Pulses Crop Disease: मूंग और उड़द फसल में 2 रोगों का खतरा बढ़ा, इन उपायों से अपनी उपज बचाएं किसान 

Pulses Crop Disease: मूंग और उड़द फसल में 2 रोगों का खतरा बढ़ा, इन उपायों से अपनी उपज बचाएं किसान 

दलहन की खेती करने वाले किसानों को अच्छी पैदावार के लिए फसल को कीटों और रोगों से बचाना जरूरी है. बारिश के मौसम में खेत में कई दिनों तक ज्यादा पानी भरे रहने से पौधे में बीमारियों और कीटों का खतरा बढ़ने लगता है. इससे बचने के लिए किसानों के लिए कृषि विभाग की ओर से कुछ उपाय बताए गए हैं. आइये जानते हैं. 

मूंग और उड़द की फसल में कीट का खतरा. (सांकेतिक तस्वीर)मूंग और उड़द की फसल में कीट का खतरा. (सांकेतिक तस्वीर)
रिजवान नूर खान
  • New Delhi,
  • Aug 18, 2024,
  • Updated Aug 18, 2024, 2:38 PM IST

खरीफ सीजन में किसानों ने दालों की फसलों की बंपर बुवाई की है. दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए केंद्र की ओर से मिले प्रोत्साहन का असर रकबे में भारी बढ़ोत्तरी के रूप में देखा गया है. हालांकि, मूंग और उड़द की फसल में दो कीट रोग पीला चितकबरी या मोजेक रोग और सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का खतरा बढ़ गया है. दरअसल, इस बार बंपर बारिश के चलते जिन खेतों में ज्यादा देर तक पानी भरा रहा है उनमें इन रोगों का खतरा और कीट के हमले का संकट अधिक है. इससे बचने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने उपाय बताए हैं. 

मूंग और उड़द का रिकॉर्ड बुवाई रकबा 

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार इस बार खरीफ सीजन में दालों की बंपर बुवाई हुई है. 12 अगस्त तक के आंकड़ों के अनुसार मूंग दाल की बुवाई 33 लाख हेक्टेयर हो चुकी है. जबकि, पिछले साल इसी अवधि तक केवल 29 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई हो सकी थी. इसके अलावा उड़द दाल की बुवाई 28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है.  वहीं, अन्य सभी दालों की बुवाई रकबा मिलाकर 118 लाख हेक्टेयर में बुवाई की गई है, जो पिछले सीजन में हुई 111 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 7 लाख हेक्टेयर बुवाई अधिक है. 

यूपी कृषि विभाग ने मोजेक रोग से किया अलर्ट

उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी के अनुसार उड़द और मूंग फसल में पीला चितवर्ण रोग जिसे पीला चितकबरी या मोजेक रोग भी कहा जाता है, फैसले का खतरा है. इस रोग के प्रकोप से पौधे की पत्तियों पर पीले सुनहरे चकत्ते पड़ जाते हैं. रोग के अधिक बढ़ने पर पूरी पत्ती पीली पड़ जाती है. यह एक संक्रमित रोग है जो सफेद मक्खियों के जरिए फैलता है. मक्खियां पौधों पर इस रोग को फैलाती है और धीरे-धीरे पूरी फसल इसकी चपेट में आ जाती है. पत्तियों की चिकनाई खत्म हो जाती है और वह सिकुड़ने लगती हैं. 

रोग से बचाव के लिए क्या करें किसान 

  • पीला चितकबरी या मोजेक रोग से बचने के लिए बीज की बुवाई जुलाई के पहले हफ्ते तक कतारों में करनी चाहिए. 
  • शुरुआती समय में ही पीला चितकबरी या मोजेक रोग से ग्रसित पौधों को उखाडकर नष्ट कर देना चाहिए. 
  • पीला मोजेक रोग से फसल को बचाने के लिए रोग ग्रसित पौधों को उखाड़ कर खेत से दूर फेंकना चाहिए या जला देना चाहिए. 

कीटनाशक का इस्तेमाल 

  1. किसान फसल को बचाने के लिए डायमीथोएट 30 EC कीटनाशक 1 ली प्रति हेक्टेयर के हिसाब से करीब 600 लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़काव करें.
  2. या फिर किसान ऑक्सिडिमेटान- मिथाइल 25% EC कीटनाशक को 1 ली प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगभग 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
  3. या फिर किसान ट्रायजोफॉ-40 ईसी 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल में छिड़काव करें. 
  4. या फिर थायोमेथोक्साम-25 डब्लूजी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर 3 बार छिड़काव करें.
  5. या फिर डायमेथोएट-30 ईसी, 1 मिली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 2 या 3 बार 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें.

सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का खतरा बढ़ा 

कई अति बारिश वाले राज्यों में मूंग और उड़द फसल में सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का प्रकोप देखा जा रहा है. सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग से फसल को बचाने के लिए किसान ध्यान दें कि खेत में पौधे घने नहीं होने चाहिये. इस रोग के लक्षण दिखने पर किसान मेंकोजेब 75 डब्लूपी कीटनाशक को 2.5 ग्राम लीटर या फिर कार्बेन्डाइजिम 50 डब्लूपी 1 ग्राम की कीटनाशक को प्रति लीटर पानी में घोल 2-3 बार खेत में छिड़काव कर लें. 

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