मक्का की फसल पर इस घातक कीट का बढ़ रहा संकट! तुरंत जानिए बचाव के उपाय

मक्का की फसल पर इस घातक कीट का बढ़ रहा संकट! तुरंत जानिए बचाव के उपाय

खरीफ सीजन में मक्का की बुआई के बाद अब फसल पर एक घातक कीट का खतरा मंडराने लगा है. यह कीट तेजी से फैलता है और पूरी फसल को चट कर सकता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं इस कीट से बचाव के उपाय क्या है.

मक्का की फसल पर कीट का खतरामक्का की फसल पर कीट का खतरा
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Jul 06, 2025,
  • Updated Jul 06, 2025, 12:27 PM IST

खरीफ सीजन में मक्का की बुआई जून के महीने में शुरू हो चुकी है. वहीं, कुछ किसान ऐसे भी हैं जो इसकी खेती जुलाई के महीने में कर रहे हैं. लेकिन जून में बोए गए मक्के की फसल पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं. दरअसल, कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, बुवाई के 20 से 25 दिन बाद मक्का की फसल पर फॉल आर्मी वॉर्म कीट(इल्ली) का हमला होता है, जो शुरूआती दौर वाली फसलों के लिए बहुत ही घातक होता है. यह कीट इतनी तेजी से फैलते हैं कि अगर थोड़े दिन लापरवाही हुई तो पूरी फसल चट कर सकते हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं इस कीट से मक्के की फसल का कैसे करें बचाव.

रोजाना खेतों का निरीक्षण जरूरी

फॉल आर्मी वॉर्म कीट सबसे पहले मक्का की ऊपरी पत्तियों पर हमला करते हैं. वहीं, ये शुरुआत में पत्तियों में छोटे-छोटे छेद बनते हैं, फिर कीट पत्तियों के झुरमुट (गुब्बे) में घुसकर उसे खा जाते हैं. ये कीट रात में ज्यादा सक्रिय होते है और तेजी से फैलते हैं. ऐसे में शुरुआती दौर में खेत में एक भी पौधे में इस कीट का लक्षण दिखे, तो पूरे खेत को खतरा हो सकता है. इसलिए किसानों को रोजाना खेतों का निरीक्षण करना चाहिए.

फॉल आर्मी वॉर्म कीट के लक्षण

अगर आपने भी जून के महीने में मक्के की बुवाई की है तो उसे नियंत्रण के लिए इल्ली यानी फॉल आर्मी वॉर्म कीट के लक्षणों की पहचान करना जरूरी है. विशेषज्ञ बताते हैं कि, मक्का की पत्तियों में लाइन से छेद दिखना, बीच से पत्तों का कटा होना, पत्तों के अंदर गंदगी और कीड़े का मल जमा होना इसके प्रमुख लक्षण है. कई बार कीट खुद दिखाई नहीं देते, लेकिन उसके मल और नुकसान से मौजूदगी का अंदाजा लगाया जा सकता है.

इल्लियों से बचाव का देसी तरीका

किसान अपनी मक्के की फसल को फॉल आर्मी वॉर्म कीट से बचाव के लिए फेरोमोन ट्रैप लगा सकते हैं, जिससे कीट की मौजूदगी और संख्या का आकलन किया जा सके. वहीं, फसलों पर जैसे ही लक्षण दिखें, किसान 3000 बीएमपी ग्रेड के नीम तेल का उपयोग करें. इसके लिए एक लीटर नीम तेल को पांच लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. यह उपाय शुरुआती अवस्था में बेहद असरदार होता है. ये छिड़काव हर 5-6 दिन के अंतराल में दो बार करने से कीट का असर कम किया जा सकता है.

रासायनिक दवाइयों का उपयोग

अगर मक्के की फसल में फॉल आर्मी वॉर्म कीट का प्रकोप ज्यादा फैल गया हो तो रासायनिक नियंत्रण जरूरी हो जाता है. इसके लिए किसान क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल दवाई 60 मिली प्रति एकड़, 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. वहीं, ये छिड़काव एक सप्ताह बाद स्पाइनोसेड या दोबारा क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल का स्प्रे करने से कीट नियंत्रण में आता है. किसान दानेदार कार्बोफ्रान दवाई  का भी उपयोग करके  इल्लियों पर कंट्रोल कर सकते है. बता दें कि दानेदार कार्बोफ्रान से निकलने वाली गैस अंदर ही इल्लियों को मार देती है.

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