खेती में अच्छी क्वालिटी और हेल्दी फसल लेने के लिए बीजोपचार (Seed Treatment) करना बहुत ज़रूरी होता है. आजकल किसान भाई बीजोपचार के लिए रासायनिक दवाओं का उपयोग करते हैं, जिसमें काफी खर्चा आता है. लेकिन बीजामृत एक ऐसा प्राकृतिक, और सस्ता जैविक घोल है, जिसे हम घर पर ही आसानी से बना सकते हैं.
बीजामृत क्या है?
बीजामृत एक जैविक घोल (Organic Solution) है, जिसका उपयोग बीज उपचार के लिए किया जाता है. इसके इस्तेमाल से बीजों की अंकुरण क्षमता बढ़ती है, पौधे स्वस्थ रहते हैं और बीज व मिट्टी जनित रोगों से सुरक्षा मिलती है.
बीजामृत बनाने के लिए क्या-क्या चाहिए
- स्थानीय गाय का गोबर – 5 किलो
- गाय का गोमूत्र – 5 लीटर
- गाय का दूध – 1 लीटर
- चूना – 50 ग्राम
- पानी – 20 लीटर
- बीज – 100 किलो
- मिट्टी – 50 ग्राम (बेहतर असर के लिए बरगद के पेड़ की जड़ के पास की मिट्टी)
बीजामृत बनाने की विधि
स्टेप 1 : गोबर का रस तैयार करना
- सबसे पहले एक बर्तन में 20 लीटर पानी लें.
- अब 5 किलो गाय का गोबर एक कपड़े में बांधकर पानी में 12 घंटे तक डुबोकर रखें.
स्टेप 2 : चूने का घोल बनाना
- 50 ग्राम चूना 250 मिलीलीटर पानी में घोलकर रातभर के लिए अलग रख दें.
- चूना गोमूत्र की अम्लीयता को संतुलित करने में मदद करता है और घोल का pH स्तर ठीक रखता है.
स्टेप 3 : बीजामृत घोल तैयार करना
- 12 घंटे बाद गोबर की पोटली को निकालकर अच्छी तरह निचोड़ लें.
- इस गोबर के पानी में 5 लीटर गोमूत्र और 1 लीटर दूध मिलाकर लकड़ी की डंडी से अच्छे से चलाएं.
- अब इसमें रातभर रखा चूने का घोल डालें और फिर से अच्छी तरह मिलाएं.
- आपका बीजामृत घोल तैयार है.
- इसे 24 घंटे के अंदर उपयोग कर लेना चाहिए.
बीजामृत कैसे इस्तेमाल करें
- जिन बीजों को बोना है, उन्हें जूट की बोरी या ज़मीन पर बिछा दें.
- बीजों को बीजामृत घोल में 30 मिनट तक डुबोकर रखें.
- इसके बाद बीजों को छांव में सुखाएं और तुरंत बो दें.
- बीजामृत के फायदे
- रासायनिक दवाओं की तुलना में बहुत सस्ता.
- बनाने में कम समय और मेहनत.
- बीज तेज़ी से और अधिक संख्या में अंकुरित होते हैं.
- बीज और मिट्टी जनित रोगों से सुरक्षा मिलती है.
- पौधों की जड़ों और तनों का विकास बेहतर होता है.
- पौधों की जड़ें जल्दी और मजबूती से जमती हैं.
- बीजों की अंकुरण क्षमता बढ़ती है.
- जड़ों को कीटों और फफूंद से बचाव मिलता है.
बीजामृत के इस्तेमाल में सावधानियां
- बीजामृत में उपचार के 1 घंटे बाद ही बीज बोएं.
- चूना हमेशा पहले पानी में घोलें और इसे अंत में मिलाएं.
बीजामृत किसानों के लिए एक प्राकृतिक, सस्ता और प्रभावी समाधान है, जो बीजों की अंकुरण क्षमता बढ़ाकर फसल की उपज और गुणवत्ता दोनों में सुधार करता है.