स्टेविया एक औषधीय महत्व का पौधा है. इसका व्यापक स्तर पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार हो सकते हैं. यह भारत में कृषि के लिए अपेक्षाकृत नया पौधा है तथा इसकी खेती बड़े स्तर पर अभी मुख्य तौर पर कर्नाटक तथा महाराष्ट्र राज्यों तक ही सीमित है. स्टेविया (स्टेविया रेबुडियाना) आमतौर पर मीठी तुलसी, मीठापत्ता, चीनीपत्ता, शहदपत्ता या केवल स्टेविया या मधुरगुणा के नाम से जाना जाता है. इसे संस्कृत भाषा में मधुपत्र के नाम से भी जाना जाता है. यह पौधा अपनी मीठी पत्तियों के लिए व्यापक रूप से उगाया जाता है. इसका उपयोग प्राकृतिक चीनी तथा चीनी के अन्य स्रोत के रूप में करते हैं. कृषि वैज्ञानिक हनुमान सिंह, शक्ति सिंह भाटी और राजेन्द्र कुमार के अनुसार इसकी लगभग 240 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसकी पत्तियां सामान्य चीनी से लगभग 30-40 गुना मीठी होती हैं.
वैज्ञानिकों के अनुसार स्टेविया की पत्तियों में दो मुख्य यौगिक स्टेवियोसाइड एंव एंव रेबुडीयोसाइड पाए जाते हैं. कम कार्बोहाइड्रेटयुक्त चीनी की मांग बाजारों में बढ़ती जा रही है. घरेलू स्तर के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसका अच्छा बाजार विकसित हो रहा है. यह मधुमेह रोगियों के लिए एक आशा की किरण है, क्योंकि यह चीनी का प्राकृतिक स्रोत है. यह मोटापे और उच्च रक्त शुगर रोगी के इलाज में भी प्रयोग किया जाता है. अब इसके फायदे जान लेते हैं.
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दांतों एवं मसूड़ों के रोगों में लाभदायक.
विभिन्न उद्योगों में प्राकृतिक शर्करा के रूप में उपयोग.
खाद्य उत्पाद, जैसे सॉस, अचार, आईसक्रीम और केक इत्यादि में प्रयोग.
स्टेविया चूर्ण को भोजन में मिलाने से भोज्य पदार्थ को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है.
मधुमेह रोगियों के लिए चीनी के रूप में प्रयोग किया जाता है.
आहार पूरक के रूप में इस्तेमाल हो सकता है
उच्च रक्तचाप को कम करने के अतिरिक्त शारीरिक तापमान को कम या ज्यादा भी बनाने में कारगर.
त्वचा की देखरेख एवं चर्म विकारों से मुक्त करने में उपयोगी
वजन नियंत्रण में सहायक है. यह पूर्णतया कैलोरी रहित होने से वजन को नियंत्रित करने की क्षमता रखता है.
इसकी पत्तियों का उपयोग न केवल प्राकृतिक चीनी के रूप में बल्कि अग्नाशय ग्रन्थि को भी जीवंत करने में मददगार होता है. इसके अलावा इसमें पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, मैग्नीशियम, राइबोफ्लेविन, जस्ता, क्रोमियम, सेलेनियम, कैल्शियम एंव फॉस्फोरस भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं. स्टेविया में पोषक तत्व नहीं होते. इसका मतलब है कि यह आपके आहार में कैलोरी की मात्रा नहीं बढ़ाता है. यह चीनी का अच्छा विकल्प हो सकता है. वर्तमान में जापान में किसी और देश की तुलना में सबसे अधिक स्टेविया की खपत होती है. स्वीटनर बाजार में यह 40 प्रतिशत का योगदान करता है.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सदियों से दक्षिण अमेरिकी देशों, जैसे ब्राजील में स्टेविया के पौधे की पत्तियों का इस्तेमाल प्राकृतिक स्वीटनर के तौर पर होता आ रहा है. आज यह पूरे विश्व में पाया जाता है. मीठे के प्राकृतिक विकल्प के तौर पर मशहूर है. यह नेचुरल स्वीटनर स्टेवियारिबॉदियाना के पौधे से हासिल होता है. इसमें मीठा प्राकृतिक रूप से पाया जाता हैं और इसमें साधारण चीनी से 200 गुना तक अधिक मीठा होता है. इसकी यह खासियत दो मिश्रणों की वजह से होती है. पहला स्टेवियोसाइड और दूसरा रिबॉडियोसाइड है. इसके कई अलग-अलग उपयोग भी होते हैं, जैसे पेस्ट्री, अचार, जैम, शीतल पेय, च्यूइंग गम, तम्बाकू के उत्पाद और शर्बत में टेबल चीनी के रूप में. इसके उपयोग से शून्य प्रतिशत कैलोरी का सेवन होता है.
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