Kiwi Fruit: क‍िसान बम्पर कमाई के लिए करें कीवी की खेती, यहां मिलेगी इसकी पूरी जानकारी

Kiwi Fruit: क‍िसान बम्पर कमाई के लिए करें कीवी की खेती, यहां मिलेगी इसकी पूरी जानकारी

कीवी फल को भारत में काफी पसंद किया जाने लगा है. पहले इस फल को भारत में न्यूजीलैंड से मंगाया जाता था, लेकिन बढ़ती मांग को देखते हुए भारत में कीवी की खेती बड़े पैमाने पर की जाने लगी है.

Kiwi Fruit FarmingKiwi Fruit Farming
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 10, 2022,
  • Updated Nov 10, 2022, 12:11 PM IST

किसान अब नई और विकसित तकनीकों (New Technology) के साथ खेती करना पसंद कर रहे हैं. बाजार में विदेशी सब्जी और फलों की डिमांड को बढ़ता देख किसानों ने भी नई-नई फसलों की खेती को करना शुरू कर दिया है. आज के समय में बहुत से फल ऐसे हैं, जिनकी भारत में डिमांड होने के कारण उन्हें विदेश से मंगवाया जाता है. उन फलों की भारी डिमांड को देखते हुए अब भारतीय किसानों ने भी उन फलों की खेती शुरू कर दी है. इससे ना सिर्फ सरकार और आम जनता को मुनाफा मिल रहा है, बल्कि किसानों की आय में भी तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है. 

भारत में कीवी की खेती (Kiwi cultivation in India)

कीवी, इस फल को भारत में काफी पसंद किया जाने लगा है. पहले इस फल को भारत में न्यूजीलैंड से मंगाया जाता था. लेकिन बढ़ती मांग को देखते हुए अब भारत के किसान भाई भी इसकी खेती जम कर कर रहे हैं. जिस वजह से भारत को इस फल के लिए दूसरे देश पर निर्भर नहीं होना पड़ रहा है. जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में इसकी खूब खेती की जा रही है.

कीवी की खेती के लिए जलवायु

कीवी की खेती (kiwi cultivation) करने के लिए कम तापमान वाली जगह की जरूरत होती है. ज्यादा तापमान वाले क्षेत्रों (high temp region) में कीवी की खेती करना संभव नहीं है. जहां ज्यादातर ठंड का  मौसम रहता है उस क्षेत्र में इस फल का सफल उत्पादन किया जा सकता है. इस फसल के लिए उपयुक्त तापमान 30 डिग्री से कम का है. ऐसे में देश के पहाड़ी इलाके और ठंडी जलवायु वाले राज्य में किसान इसकी खेती आसानी से कर सकते हैं.

कीवी फल की प्रमुख किस्में (Top Varieties of Kiwi)

एलीसन, मुतवा, तमुरी, एलीसन ब्रूनों, हैवर्ड और मोंटी कीवी की प्रमुख किस्में हैं. किसान बेहतर उपज और उच्च गुणवत्ता वाले फल के लिए इन क़िस्मों का चयन कर सकते हैं.

 

कैसे करें कीवी की खेती? (How to do kiwifruit cultivation)

कीवी की खेती (kiwi cultivation) करते वक़्त किसानों को कुछ बातों पर ध्यान रखने की जरूरत है. कीवी के लिए  ठंडी जलवायु उपयुक्त मानी जाती है. वहीं गर्म और तेज हवा इसके लिए हानीकारक होती है. कीवी के पौध रोपण के समय तापमान 15 डिग्री तक होना चाहिए. वहीं फल आने के समय तापमान 5 से 7 डिग्री तक होना चाहिए.

 

खेती के लिए मिट्टी की तैयारी (Soil Preparation for Kiwi Fruit)

कीवी की खेती (kiwi cultivation) के लिए गहरी दोमट मिट्टी और हलकी अम्लीय मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. पौधा रोपण करने से पहले मिट्टी के PH मान की जांच अवश्य कर लें. इसके लिए मिट्टी का PH मान (PH value) 5-6 होना चाहिए.

 

कब करें फल की तुड़ाई (Right time to harvest Kiwifruit)

शुरुआती 2 से 3 वर्षों में कीवी के पौधे फल नहीं देते. 5 वर्ष बाद फल लगने लगती है. 10 वर्ष के बाद पेड़ों में फल लगना शुरू हो जाता है और किसानों को गज़ब का मुनाफा भी होने लगता है. सेहत के प्रति लोगों की बढ़ती जागरूकता की वजह से इन फलों के मांग मे काफी उछाल देखा गया है. पैदावार (Production) की बात करें तो एक पेड़ औसतन 40-60 किलो कीवी का उत्पादन करता है. अक्टूबर-नवम्बर में फल की तुड़ाई कर सकते हैं. इसे तोड़कर 4 माह तक ठंडे जगह पर सुरक्षित रखा जा सकता है.

 

कीवी खाने के अनेकों फायदे (Benefits of eating kiwi)

कीवी का सेवन करने के कई फायदे हैं. डॉक्टर भी इस फल को खाने की सलाह देते हैं. कीवी में विटामिन सी (Vitamin C), विटामिन ई (Vitamin E), फाइबर (Fiber), पोटेशियम (potassium), कॉपर और सोडियम (Sodium) की मात्रा पाई जाती है. विटामिन सी होने के कारण इसका स्वाद हल्का खट्टा होता है. इतना ही नहीं विटामिन सी हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है. यह सौंदर्य को भी निखारता है. इसके सेवन से त्वचा की चमक और निखार बढ़ती है.

 

कीवी फल की कीमत (Kiwi Fruit Cost)

कीवी की खेती कर किसान अच्छी कमाई कर सकते  हैं. बाजार में कीवी प्रति किलो की जगह प्रति नग के हिसाब से बिकता है. यदि एक हेक्टेयर में किसान कीवी की खेती करता है तो हर वर्ष 10 से 15 लाख रुपए की कमाई आसानी से कर सकता है. वहीं जो किसान कीवी की बागवानी या खेती करना चाहते हैं वह अधिक जानकारी के लिए दिए राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड 74/बी फेज 2, पंदित्वारी, राजपुर रोड़, देहरादून से फोन नंबर- 0135-2774272 पर संपर्क कर सकते हैं. 

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