Guava disease: बरसात में अमरूद के बाग पर एन्थ्रक्नोज़ का खतरा? ऐसे करें बचाव और पाएं बंपर पैदावार

Guava disease: बरसात में अमरूद के बाग पर एन्थ्रक्नोज़ का खतरा? ऐसे करें बचाव और पाएं बंपर पैदावार

बरसात (जुलाई-सितंबर) में अमरूद के बागों पर एन्थ्रक्नोज़ रोग का खतरा बढ़ जाता है, जिससे पत्तियां, टहनियां और फल काले होकर सड़ने लगते हैं. समय पर पहचान और उचित प्रबंधन से इस विनाशकारी रोग से बचा जा सकता है. नहीं तो बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं पौध सुरक्षा विशेषज्ञ.

Cultivation of GuavaCultivation of Guava
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jul 28, 2025,
  • Updated Jul 28, 2025, 12:23 PM IST

अमरूद की खेती करने वाले किसानों के लिए बरसात का मौसम अक्सर एन्थ्रक्नोज़ रोग के बढ़ते प्रकोप के साथ आता है, जिससे उपज को भारी नुकसान होता है. यह एक फफूंदजनित रोग है जो कोलेटोट्राईकम (Colletotrichum) नामक फफूंद के कारण होता है. जुलाई से सितंबर के महीनों में, जब वातावरण में नमी बढ़ जाती है, तो इस रोग का प्रभाव सबसे अधिक देखने को मिलता है. समय पर पहचान और उचित प्रबंधन से इस विनाशकारी रोग से बचा जा सकता है. नही तो बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि ऐसे फल बाजार में बिकने लायक नहीं रहते हैं.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा- समस्तीपुर, बिहार पादप रोगविज्ञान हेड डॉ एस.के. सिंह ने बताया कि एन्थ्रक्नोज़ रोग सबसे पहले जुलाई-अगस्त के महीनों में अमरूद के पेड़ों की नई और कोमल पत्तियों और टहनियों पर हमला करता है.

एन्थ्रक्नोज़ रोग की यह है पहचान

डॉ एस.के. सिंह ने  कहा डॉ कि एन्थ्रक्नोज रोग के कारण प्रभावित पत्तियों पर काले या चॉकलेट रंग के अनियमित धब्बे बनने लगते हैं, जिससे पत्तियां पीली पड़कर कमजोर हो जाती हैं और अंततः गिर जाती हैं. आसपास की पत्तियां भी काली-भूरी हो जाती हैं और ऊपर की टहनियां काली पड़ने लगती हैं. नई कलियां फूल बनने से पहले ही कमजोर होकर गिर जाती हैं. यदि इस अवस्था में उपचार न किया जाए, तो पूरी टहनी सूख कर गिर सकती है. रोग फलों को भी प्रभावित करता है, जिससे उन पर छोटे, धंसे हुए काले धब्बे दिखाई देते हैं और फल अंदर से सड़ने लगते हैं. छोटी कलियां और फूल भी समय से पहले सूख कर गिर जाते हैं. 

एन्थ्रक्नोज़ रोग रोकने को अपनाएं कारगर उपाय

एन्थ्रक्नोज़ रोग को नियंत्रित करने के लिए एकीकृत नजरिया अपनाना जरूरी है, जिसमें स्वच्छता, उचित बागवानी प्रथाएं और आवश्यकतानुसार रासायनिक नियंत्रण शामिल है. अमरूद के पेड़ के आसपास के क्षेत्र को हमेशा साफ-सुथरा रखें. ज़मीन पर गिरी हुई किसी भी संक्रमित पत्ती, फल या पौधे सामग्री को तुरंत हटा दें और उचित तरीके से नष्ट कर दें. यह कवक के फैलाव को कम करने में मदद करेगा. वायु संचार और सूर्य के प्रकाश के प्रवेश को बेहतर बनाने के लिए अमरूद के पेड़ की नियमित रूप से छंटाई करें. फल की पूरी तुड़ाई के बाद, पेड़ से सूखी और रोगग्रस्त टहनियों को तेज चाकू या सिकेटियर से काट दें.

कटे हुए हिस्से पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के गाढ़े पेस्ट का लेप लगाएं ताकि संक्रमण दोबारा न फैले. एन्थ्रक्नोज़ संक्रमण के लक्षणों के लिए अपने अमरूद के पेड़ का नियमित रूप से निरीक्षण करें. यदि आपको कोई प्रभावित पत्तियां, तना या फल दिखाई दे, तो उन्हें तुरंत हटा दें और आगे फैलने से रोकने के लिए उनको उचित तरीके से नष्ट कर दें. इसके पौधो की टहनियों पर सीधे पानी छिड़काव ना करें. इससे रोग फैलता है. उचित और सही मात्रा में उर्वरक प्रंबधन पर खास ध्यान दें. 

इन केमिकल दवाओं का करें इस्तेमाल

पौध रोग विशेषज्ञ डॉ एस.के. सिंह के अनुसार अगर अमरूद का पेड़ एन्थ्रक्नोज़ से गंभीर रूप से प्रभावित है, तो अंतिम उपाय के रूप में कवकनाशी का उपयोग करें. रासायनिक दवा हेक्साकोनाजोल या प्रोपिकोनाजोल नामक फफूंदनाशी की 2 मिली दवा को प्रति लीटर पानी में घोलकर उसमें आधा मिली लीटर स्टीकर मिलाकर दो छिड़काव करें. पहला छिड़काव फूल आने के 15 दिन पहले और दूसरा छिड़काव पेड़ में पूरी तरह से फल लग जाने के बाद करने से रोग की उग्रता में भारी कमी आती है.

इसके आलवा कार्बेडाजिम 12% + मैन्कोजेब 63% जो कि साफ नाम से बाजार में आती, इसकी 3 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से भी रोग की उग्रता में भारी कमी आती है. अमरूद के पौधों में 25 जून के आसपास इसका स्प्रे करने से बरसात के मौसम में इस रोग से बचाव करता है और सर्दियों में फसल को सुरक्षित रखने में मदद करता है. इन उपायों को अपनाकर आप अपने अमरूद के बाग को एन्थ्रक्नोज़ रोग से होने वाले भारी नुकसान से बचा सकते हैं और स्वस्थ व अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं.

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