पशुपालन करने वाले किसान पशुओं की लगभग सभी जरूरतें पूरी कर लेते हैं, लेकिन उनके सामने हरे चारे की समस्या हमेशा बनी रहती है. ऐसे में आज हम आपको हरे चारे लिए ऐसी फसल की जानकारी देने जा रहे हैं, जिससे महीनों तक चारे का झंझट खत्म हो जाएगा. साथ ही किसान इस फसल की खेती कर चारा बेचकर भी अच्छी कमाई कर सकते हैं. इस चारा फसल का नाम मक्का है. हरे चारे में उपयोग होने वाले मक्के की खेती करके किसान अपने पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था कर सकते हैं. मक्के का हरा चारा खिलाने से मवेशी पहले के मुकाबले ज्यादा दूध देने लगते हैं. ऐसे में अगर आप भी पशुओं को खिलाने के लिए मक्के की खेती करना चाहते हैं तो नीचे दी गई जानकारी की सहायता से मक्के की उन्नत किस्म के बीज ऑनलाइन अपने घर पर मंगवा सकते हैं.
पशुपालकों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन पोषक तत्वों से भरपूर और सेहतमंद मक्के की 'J-1006' किस्म के बीज बेच रहा है. इस चारे की बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. यहां किसानों के लिए कई अन्य प्रकार की फसलों के बीज और पौधे वाली फसलें आसानी से मिल जाएंगी. किसान इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर पर डिलीवरी करवा सकते हैं.
'J-1006' मक्के की चारा वाली एक खास किस्म है. इसकी खेती हरे चारे और मक्के के आटे के लिए की जाती है. इस चारे का उपयोग गाय-भैंसों, बकरियों और भेड़ों के लिए किया जाता है. ये एक पौष्टिक चारा है जो पशुओं के लिए प्रचुर मात्रा में प्रोटीन का बेहतर स्रोत है. साथ ही दूध की क्वालिटी भी सुधारने में कारगर है. इस किस्म की खेती करने पर किसानों को 400-500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज ले सकते हैं. वहीं, इस किस्म में पत्ती झुलसा और भूरी धारीदार डीएम रोग नहीं लगता है.
अगर आप भी अपने पशुओं के लिए मक्के की खेती करना चाहते हैं और बीज खरीदना चाहते हैं तो 5 किलो का बैग फिलहाल 33 फीसदी छूट के साथ 280 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. इसे खरीद कर आप आसानी से अपने पशुओं को संतुलित आहार वाला मक्के का चारा खिला सकते हैं.
'J-1006'की खेती करने पर ये बहुत कम समय में तैयार हो जाता है. इस किस्म की फसल बुवाई के करीब 70 से 75 दिनों के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इतने दिनों में इसमें उगने वाला भुट्टा दुधिया अवस्था में होता है. चारे के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली इस मक्का फसल को रेशमी अवस्था से लेकर नरम दूध वाली अवस्था तक काटकर पशुओं के आहार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं, इसकी खेती के लिए 20-22 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है. साथ ही इसकी बुवाई करते समय ध्यान रखें कि पंक्तियों के बीच 60 सेमी और पौधों के बीच 20-25 सेमी की दूरी पर करें.