बाजरा, मक्का समेत श्रीअन्न फसलों के लिए खतरा बना अधिक पानी, निकासी नहीं हुई तो लग जाएंगे ये 3 रोग 

बाजरा, मक्का समेत श्रीअन्न फसलों के लिए खतरा बना अधिक पानी, निकासी नहीं हुई तो लग जाएंगे ये 3 रोग 

खरीफ सीजन में 188.72 लाख हेक्टेयर में श्रीअन्न यानी मोटे अनाज की खेती की गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 181.74 लाख हेक्टेयर की तुलना में करीब 7 लाख हेक्टेयर अधिक है. लेकिन, खेतों में जलभराव से कई तरह की बीमारियों और कीटों ने फसलों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. कृषि एक्सपर्ट ने बचाव के उपाय किसानों को बताए हैं.

तिल और उर्द फसल के लिए भी अधिक जल घातक हो सकता है.तिल और उर्द फसल के लिए भी अधिक जल घातक हो सकता है.
रिजवान नूर खान
  • New Delhi,
  • Sep 15, 2024,
  • Updated Sep 15, 2024, 2:35 PM IST

खरीफ सीजन में किसानों ने जमकर मोटे अनाज यानी श्रीअन्न फसलों की खेती की है. ज्वार, बाजरा और मक्का किसानों के लिए अधिक बारिश मुसीबत बन रही है. उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे अपने खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था कर लें, नहीं तो उपज को भारी नुकसान हो सकता है. इसके अलावा तिल और उड़द फसल के लिए भी अधिक जल घातक हो सकता है. बता दें कि यूपी में गंगा-यमुना, राप्ती, गोमती समेत कई नदियों का जलस्तर बढ़ा है, जिससे खेतों में पानी भर गया है.  

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार इस खरीफ सीजन में 188.72 लाख हेक्टेयर में श्रीअन्न यानी मोटे अनाज की खेती की गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 181.74 लाख हेक्टेयर की तुलना में करीब 7 लाख हेक्टेयर अधिक है. इसके अलावा इस वर्ष  126.20 लाख हेक्टेयर में दलहन की खेती की गई है और 192.40 लाख हेक्टेयर में तिलहन की खेती की गई. इस बार फसलों का रकबा बढ़ गया है.

अधिक पानी श्रीअन्न फसलों के लिए घातक

मिलेट्स समेत अन्य श्रीअन्न फसलें अपनी प्राकृतिक संरचना के कारण कीटों के प्रति अधिक सहनशील होती हैं. इसके परिणामस्वरूप, मिलेट्स की खेती में कीटनाशकों का उपयोग कम किया जाता है, जो न केवल कृषि लागत को कम करता है, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुकूल रहता है. लेकिन, अत्यधिक पानी श्रीअन्न फसलों के लिए घातक होता है और कई रोगों को बढ़ावा देता है. 

कृषि अधिकारियों ने बताया किसान क्या करें 

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के अधिकारियों ने बीते दिनों बरेली, पीलीभीत, लखनऊ समेत कई जिलों में किसानों के खेत पर जाकर धान, तिल व बाजरा समेत अन्य फसलों का निरीक्षण किया है. कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि मक्का, बाजरा, तिल, उर्द समेत अन्य फसलों के खेतों में अधिक जल भराव ठीक नहीं है. किसान खेत से जल निकासी की तुरंत व्यवस्था करें. अधिकारियों ने कहा कि यदि फसल में नुकसान हुआ हो तो क्षतिपूर्ति हेतु पीएम फसल बीमा योजना के टोल फ़्री 14447 पर 72 घंटे में जानकारी दें साथ ही फसल बीमा के क्षेत्रीय कार्मिकों को भी सूचित करें, ताकि फसल नुकसान की भरपाई हो सके. 

फसलों पर इन 3 रोगों का हमला

  1. ब्लास्ट रोग - लगातार बारिश और अधिक नमी वाले क्षेत्रों में खेतों में ब्लास्ट रोग फैलता है. इस रोग में पौधों के पत्तों में भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं. इससे बचाव के लिए  किसानों को फसल में हेक्साकोनाज़ोल 5 फीसदी ईसी का 30 मिलीलीटर प्रति 15 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. 
  2. सड़न रोग - फसल पानी में डूबी रहने से पेड़ की जड़ और तने में सड़ने की बीमारी लग जाती है. सड़न रोग को रोकने के लिए कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. 
  3. तना छेदक कीट - तना छेदक कीट से फसल को बचाने के लिए रोपाई से पहले ही पौधों के ऊपरी हिस्से को काट देना चाहिए. अगर खेत में तना छेदक कीट दिखे तो यूरिया का प्रयोग बंद कर दें. इसके साथ ही नीम तेल 1500 पीपीएम का 1.5 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें. 
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