सहजन के पौधों के लिए खतरनाक है ये कीट, बचाव के लिए अपनाएं ये देसी तरीका

सहजन के पौधों के लिए खतरनाक है ये कीट, बचाव के लिए अपनाएं ये देसी तरीका

Sahjan Farming Tips: सहजन की खेती किसानों के लिए फायदेमंद है, लेकिन इसमें कीड़े लगने का खतरा अधिक होता है. कीड़ा लगने से कई बार किसानों को काफी नुकसान भी होता है. ऐसे में आइए जानते हैं बचाव के लिए देसी उपाय क्या है.

सहजन पर लगने वाला कीटसहजन पर लगने वाला कीट
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Jul 13, 2025,
  • Updated Jul 13, 2025, 12:57 PM IST

सहजन, मोरिंगा या ड्रमस्टिक एक फायदेमंद फसल है और इसके कई औषधीय गुण हैं. इसकी खेती किसानों को कम लागत में अच्छा फायदा दे सकती है. सहजन की खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद रही है. इसके लिए अतिरिक्त जगह की जरूरत भी नहीं होती है. वहीं, किसी भी फसल की बुवाई के साथ खेतों में इसे आसानी से लगाया जा सकता है. लेकिन सहजन के पेड़ में कीड़े लगने का खतरा सबसे अधिक होता है. ऐसे में किसानों को इसके पौधे लगाने के बाद विशेष देखरेख करनी पड़ती है, ताकि समय रहते इसे रोगों से बचाया जा सके. ऐसे में आइए जानते हैं सहजन में पौधे में कौन से कीट लगते हैं और क्या है इससे बचाव के उपाय.

सहजन में भूआ कीट का खतरा

सहजन के पेड़ों में आमतौर पर भूआ कीट लगने का खतरा सबसे अधिक होता है, जो फसल को पूरी तरह बर्बाद कर देता है. यह कीट पूरे पौधे की पत्तियों को खा जाता है और आसपास भी फैल जाता है. सहजन को इस से बचाने के लिए कई तरह की दवाएं उपयोग की जाती हैं, लेकिन कुछ घरेलू तरीकों के इस्तेमाल से भी इन कीटों पर नियंत्रण किया जा सकता है. दरअसल, सहजन में फूल आने से पहले इस कीट का खतरा सबसे अधिक बढ़ जाता है. यह कीट काफी खतरनाक होते हैं. यदि शरीर के किसी भाग को छू जाएं तो खुजली होने लगती है और घाव भी हो सकता है.

बचाव का देसी और सस्ता उपाय

बता दें कि सहजन में लगे भूआ कीट आसपास लगे सब्जियों और फसल को भी प्रभावित कर सकते हैं. इससे किसानों की परेशानी बढ़ जाती है. ऐसे में बचाव के लिए किसान देसी उपाय कि तो भूआ कीट पर कपड़ा धोने वाला सर्फ का घोल छिड़क कर उन्हें मारा जा सकता है. यह उपाय किसानों के लिए कम खर्चीला और आसान भी है. इसके अलावा फूल आने से पहले पेड़ों की चुने से पुताई करने से भी इस कीट से बचा जा सकता है.

सहजन की जान लिजिए खासियत

सहजन एक औषधीय पौधा है. इसके के सभी भागों का उपयोग किया जाता है, जिससे इसकी खेती करने वाले किसानों की आमदनी बढ़ जाती है. आमतौर पर सहजन का उपयोग भोजन, दवा और पशुचारा आदि में किया जाता है. सहजन का फूल, फल और पत्तियों का भोजन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जबकि छाल, पत्ती, बीज, और जड़ आदि से औषधीय दवाइयां तैयार की जाती हैं. इसकी पत्तियां पशुचारे के रूप में भी इस्तेमाल की जाती हैं.

किसान ऐसे करें सहजन की खेती

मोरिंगा लगाने के लिए गर्मी और बरसात का मौसम सही होता है. जैसे बारिश का मौसम चल रहा है. ऐसे में मोरिंगा की खेती में पानी की बहुत जरूरत नहीं होती है और रखरखाव भी कम करना पड़ता है. इसके पौधे लगाने से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर खरपतवार नष्ट कर दें. फिर 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेमी. तक गहरे गड्ढे तैयार कर लें. गड्ढों को भरने के लिए मिट्टी के साथ 10 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद का मिश्रण तैयार कर लें. उसके बाद पौधे को लगाएं.

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