पूसा की फसल एडवाइजरी: पराली न जलाएं, गेहूं-सरसों-सब्जियों की बुवाई पर महत्वपूर्ण सुझाव जारी

पूसा की फसल एडवाइजरी: पराली न जलाएं, गेहूं-सरसों-सब्जियों की बुवाई पर महत्वपूर्ण सुझाव जारी

पूसा, नई दिल्ली ने खरीफ के अवशेष प्रबंधन, गेहूं और सरसों की बुवाई, सब्जियों की किस्मों के चयन और खेत प्रबंधन को लेकर किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह जारी की है. सलाह में पराली न जलाने, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने, रोग-कीट नियंत्रण और समय पर बुवाई पर विशेष जोर दिया गया है.

गेहूं की उन्नत किस्म और उसकी खासियतगेहूं की उन्नत किस्म और उसकी खासियत
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 24, 2025,
  • Updated Nov 24, 2025, 11:07 AM IST

पूसा, नई दिल्ली ने किसानों के लिए फसल एडवाइजरी जारी की है. इसमें किसानों के लिए कई फसलों की सलाह दी गई है. पूसा ने कहा है, किसानों को सलाह है कि खरीफ फसलों (धान) के बचे हुए अवशेषों (पराली) को ना जलाएं क्योंकि इससे वातावरण में प्रदूषण ज्यादा होता है. इससे स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है. इससे उत्पन्न धुंध के कारण सूर्य की किरणें फसलों तक कम पहुंचती हैं, जिससे फसलों में प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन की प्रकिया प्रभावित होती है जिससे भोजन बनाने में कमी आती है. 

इस कारण फसलों की पैदावार और क्वालिटी प्रभावित होती है. किसानों को सलाह है कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें. इससे मिट्टी की उर्वकता बढ़ती है. साथ ही यह पलवार का भी काम करती है जिससे मिट्टी से नमी का वाष्पोत्सर्जन कम होता है. नमी मिट्टी में बची रहती है. धान की पराली को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग @4 कैप्सूल/हेक्टेयर किया जा सकता है.

आलू में कब चढ़ाएं मिट्टी?

फसल एडवाइजरी में पूसा ने कहा है, आलू के पौधों की ऊंचाई यदि 15-22 सेमी हो जाए तब उनमें मिट्टी चढ़ाने का काम जरूरी है. अथवा बुवाई के 30-35 दिन बाद मिट्टी चढ़ाई का काम संपन्न करें.

किसान गाजर की यूरोपियन किस्मों जैसे नॅटीस, पूसा यमदागिनी, मूली की यूरोपियन किस्मों जैसे हिल क्वीन, जापानी व्हाईट, पूसा हिमानी, चुंकदर की किस्म क्रिमसन ग्लोब और शलगम की पीटीडब्लूजी आदि की बुवाई इस समय कर सकते हैं.

किसान इस समय पत्तेदार सब्जियों में सरसों साग- पूसा साग-1, पालक की किस्म ऑल ग्रीन, पूसा भारती, बथुआ की किस्म पूसा बथुआ-1, मेथी की किस्म पूसा कसुरी और धनिया पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई करें.

मौसम को ध्यान में रखते हुए गेहूं की बुवाई के लिए खाली खेतों को तैयार करें और उन्नत बीज और खाद की व्यवस्था करें. पलेवे के बाद यदि खेत में ओट आ गई हो तो उसमें गेहूं की बुवाई कर सकते हैं. 

गेहूं की उन्नत प्रजातियां

सिंचित परिस्थिति में (एचडी 3385), (एचडी 3386), (एचडी 3298), (एचडी 2967), (एचडी 3086), (एचडीसीएसडब्लू 18), (डीबीडब्लू 370), (डीबीडब्लू 371), (डीबीडब्लू 372), (डीबीडब्लू 327). 

गेहूं बीज की मात्रा 

100 किग्रा प्रति हेक्टेयर. किसान ऊपर बताई गई किस्मों का प्रयोग कर बेहतर उपज ले सकते हैं.

इन दवाओं का करें प्रयोग

जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो तो क्लोरपाईरिफॉस 20 ईसी @5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पलेवा के साथ दें. नाइ्ट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश उर्वरकों की मात्रा 120, 50 और 40 किग्रा प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए.

सरसों और मटर की बुवाई

समय पर बोई गई सरसों की फसल में बगराडा कीट (पेटेंड बग) की लगातार निगरानी करते रहें और फसल में विरलीकरण और खरपतवार नियंत्रण का काम करें.

तापमान को ध्यान में रखते हुए मटर की बुवाई करें. इसकी उन्नत किस्में एपी-3, बोनविले, लिंकन हैं. बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम 2 @.0 ग्रा. प्रति किग्रा बीज की दर से मिलाकर उपचार करें. उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका जरूर लगाएं. गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर लें और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें और अगले दिन बुवाई करें.

प्याज और गोभी की खेती

मौजूदा मौसम प्याज की बुवाई के लिए अनुकूल है. बीज दर 10 किग्रा प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल करें. बुवाई से पहले बीजों को केप्टान @2.5 ग्रा. प्रति किग्रा बीज की दर से उपचार जरूर करें.

मौजूदा तापमान स्नोबोल किस्म की फूलगोभी, सलाद, बंदगोभी और ब्रोकली की नर्सरी बनाने और तैयार पौध की रोपाई के लिए अनुकूल है. ब्रोकली की उन्नत किस्में पालम समृ‌द्धि, पालम कंचन (सामान्य किस्में), ऐश्वर्या, पेकमेन (संकर किस्में) का उपयोग करें.

इस सप्ताह किसान सब्जियों की निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को निकालें. 15 से 25 दिन की सब्जियों में नाइट्रोजन की बची हुई मात्रा का छिड़काव करें.

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