कोरोना फैलने के बाद लोगों के खान-पान में काफी बदलाव देखा गया है. अब लोग अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए ताजे और केमिकल फ्री फल-सब्जी और मसालों का इस्तेमाल करने में यकीन रखते हैं. बाजार में मिलने वाले ज्यादातर फल और सब्जियां केमिकल खादों के यूज से उगाई जाती हैं, जिसके कारण हेल्थ से जुड़े कई हानिकारक प्रभाव होते हैं. आप किचन गार्डनिंग कर ऑर्गेनिक तरीके से फल-सब्जी उगाएं. इससे आप घर पर ही ताजे फल-सब्जी और मसाले प्राप्त कर सकते हैं. घर पर गार्डनिंग करने वाले ज्यादातर लोग ग्रोथ को लेकर परेशान रहते हैं. आइए किचन गार्डन से अच्छी पैदावार पाने की टिप्स जान लेते हैं.
किचन गार्डनिंग करते हुए पौधों की अच्छी पैदावार के लिए गमले में भरी जाने वाली मिट्टी के बारे में समझ लेते हैं. गमले में भरी जाने वाली मिट्टी के साथ वर्मी कंपोस्ट और रेत भरना जरूरी है. आधी मिट्टी और आधे में खाद और बालू मिलाएं (मिट्टी, खाद और रेत का अनुपात 2:1:1). मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी, सूखी और साफ होनी चाहिए. इसमें नमी या कीड़े नहीं होने चाहिए. वर्मी कंपोस्ट मिट्टी के पोषक गुणों को बढ़ाते हैं तो वहीं रेत पौधों में लंबे समय तक नमी बनाए रखता है.
पौधों में खाद पानी की सही मात्रा और सही समय की जानकारी होनी चाहिए तभी पौधे की अच्छी ग्रोथ होगी. किचन गार्डन में उगाए जाने वाले ज्यादातर पौधे 3-4 महीने में फल देने लगते हैं. इसलिए तीन से चार महीने तक खास देखभाल की जरूरत होती है. कोई भी पौध या बीज गमले में लगाने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर मिट्टी को गीली करें. अब अगली सिंचाई तभी करें जब मिट्टी की नमी सूख जाए. आपको हर बार यही करना है. कभी भी पौधों में अधिक जलभराव ना करें. इससे पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं. खाद की बात करें तो पौधों में 30-45 दिन के अंतराल में 1-2 चम्मच ऑर्गेनिक खाद भी पर्याप्त है. ये खाद और पानी देने का संतुलित तरीका है. इससे पौधों और पौधों में लगने वाले फलों की तगड़ी ग्रोथ होती है.
खाद पानी के अलावा पौधों को कीटों से बचाना भी जरूरी है. कीटों से बचाव के लिए पौधों में किसी तरह के केमिकल कीटनाशक का इस्तेमाल ना करें. पौधों में कीटनाशक के लिए नीम की पत्तियों को उबाल कर कीटनाशक बनाएं या फिर छाछ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इन सब के अलावा गार्डनिंग के लिए ऐसी जगह का चयन करें जहां सूर्य की बराबर रोशनी पहुंचे. छांव वाली जगह पर कीट और मिट्टी में फंगस का खतरा रहता है.