Farming tips: उन्नत उपज के लिए जानें सिंचाई का सही तरीका, इन विधियों का करें इस्तेमाल

Farming tips: उन्नत उपज के लिए जानें सिंचाई का सही तरीका, इन विधियों का करें इस्तेमाल

सिंचाई का सही तरीका जाने बिना किसानों को खेती करते समय नुकसान का भी सामना करना पड़ता है. ऐसे में यह और भी जरूरी है कि किसानों को सिंचाई के सही तरीके के बारे में पता होना चाहिए. स्वचालित सिंचाई प्रणाली पर्यावरण और आर्थिक दोनों अर्थों को समझती है, और उन्हें बगीचे और लॉन के सभी आकारों के अनुरूप अनुकूलित किया जा सकता है.

सिंचाई का सही तरीकासिंचाई का सही तरीका
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Mar 02, 2023,
  • Updated Mar 02, 2023, 1:29 PM IST

फसलों से सही उपज और उच्च गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि आप सही समय पर सिंचाई करें. ऐसे में किसान उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर अपना काम और भी आसान बना सकते हैं. सिंचाई का सही तरीका जाने बिना किसानों को खेती करते समय नुकसान का भी सामना करना पड़ता है. ऐसे में यह और भी जरूरी है कि किसानों को सिंचाई के सही तरीके के बारे में पता होना चाहिए. स्वचालित सिंचाई प्रणाली पर्यावरण और आर्थिक दोनों अर्थों को समझती है, और उन्हें बगीचे और लॉन के सभी आकारों के अनुरूप अनुकूलित किया जा सकता है.

बेहतर परिणामों के लिए अपने सिंचाई व्यवस्था को निर्धारित करने के लिए टाइमर वाली सिंचाई प्रणाली का भी लाभ उठा सकते हैं. यह लॉन, बगीचे, सब्जी उद्यान और फूलों के बगीचे को बनाए रखने का एक पर्यावरण-अनुकूल तरीका है.

पानी का दबाव और धारा

अपने खेतों में एक स्वचालित सिंचाई प्रणाली स्थापित करने के लिए आपको 30 और 35 PSI (पाउंड प्रति वर्ग इंच) के बीच पानी के दबाव और 10 से 13 GPM (गैलन प्रति मिनट) के बीच पानी के धार की आवश्यकता होगी.

खेतों में सिंचाई करने का तरीका

प्राचीन काल से लेकर आज तक कृषि क्षेत्र में सिंचाई के साधनों और विधियों में मूलभूत परिवर्तन हुआ है. प्राचीन काल से फसलों की सिंचाई के पारंपरिक तरीके आज के किसानों के लिए बहुत कठिन और जटिल हो गए हैं. पहले कुएं, बेदी और ढेकुली की मदद से खेतों में और पशुओं को पानी पिलाया जाता था. आज तकनीक बहुत उन्नत हो गई हैं. अलग-अलग तकनीकों और सौर पंपों की मदद से किसान कुशलतापूर्वक अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं.

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ड्रिप इरीगेशन

इस विधि में बूंद-बूंद पानी पौधों की जड़ों पर गिरता है. इसलिए इसे ड्रिप सिस्टम कहा जाता है. फलीदार पौधों, बगीचों और पेड़ों को पानी देने का यह सबसे अच्छा तरीका है. इससे पौधों को बूंद-बूंद पानी मिलता है. इस विधि में पानी की बर्बादी नहीं होती है. इसलिए यह पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए वरदान है.

कट या तोड़ विधि

यह सिंचाई की परम्परागत विधि है. जिसमें नहर या तालाब का पानी नाली के माध्यम से खेत में डाला जाता है. इस विधि का प्रयोग मुख्य रूप से धान की फसल में किया जाता है. इस विधि में बहता हुआ जल ढाल के अनुरूप अविच्छिन्न रूप से प्रवाहित होता है. इस तरीके में पानी की काफी बर्बादी होती है.

स्प्रिंकलर सिस्टम

इस विधि का प्रयोग असमान भूमि के लिए किया जाता है. जहां पानी कम मात्रा में उपलब्ध हो. रोटेटिंग नोज़ल ऊपर की ओर पाइप के ऊपरी सिरों से जुड़े होते हैं. ये पाइप एक निश्चित दूरी पर एक मुख्य पाइप से जुड़े होते हैं. जब पाइप की सहायता से ऊपरी पाइप में पानी भेजा जाता है तो यह घूमते हुए नोज़ल से बाहर आ जाता है. इसे पौधों पर इस तरह छिड़का जाता है जैसे बारिश हो रही हो.

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