मशरूम की तुड़ाई के बाद किसानों को होता है भारी नुकसान, ऐसे करें बचाव

मशरूम की तुड़ाई के बाद किसानों को होता है भारी नुकसान, ऐसे करें बचाव

मशरूम की तुड़ाई के बाद क‍िसानों को काफी नुकसान होता है. कृषि वैज्ञानिक बृज लाल अत्री, अनुराधा श्रीवास्तव और वी.पी. शर्मा बताते हैं कि मशरूम की तुड़ाई, फलन की उचित वृद्धि के बाद ही करें.बटन मशरूम की टोपी का आकार 2.5-3.0 सें.मी. से 4.0-4.5 सें.मी. होने पर की तुड़ाई करें.

मशरूम की खेतीमशरूम की खेती
सर‍िता शर्मा
  • Noida,
  • May 03, 2024,
  • Updated May 03, 2024, 8:14 PM IST

भारत में मशरूम का उत्पादन वर्ष 1960 के दशक से शुरू हुआ. मशरूम में प्रचुर मात्रा में मौजूद प्रोटीन, विटामिन, सेलेनियम, रेशा तथा अनेक खनिज जैसे-लौह, मैग्नीशियम, जिंक, मैगनीज, पोटेशियम इत्यादि व कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और वसा होते हैं. जो मानव स्वास्थ्य के लिए वरदान कहे जा सकते हैं. इनसे शरीर में सभी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है.दावा है क‍ि मशरूम के लगातार उपयोग से शरीर में लगने वाले रोगों से छुटकारा मिल जाता है. ये तो रही खाने वालों के ल‍िए फायदे की बात. लेक‍िन क‍िसानों को इससे फायदा तब म‍िलेगा जब वो इसका सही मैनेजमेंट करेंगे. 

कार्बोहाइड्रेट व वसा कम होने के कारण यह दिल के रोगियों, मधुमेह व मोटापे जैसी रोगों से ग्रसित व्यक्तियों के लिये यह एक सुपाच्य एवं बेहतरीन आहार है. इसकी खेती से किसानों अच्छा मुनाफा भी मिलता है लेकिन कई बार किसान  इसकी तुड़ाई सही तरीके से नहीं कर पाते इसके चलते उन्हें भी उठाना पड़ता है.  

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क‍िसानों के ल‍िए मशरूम मैनेजमेंट मंत्र 

मशरूम की तुड़ाई के बाद क‍िसानों को काफी नुकसान होता है. कृषि वैज्ञानिक बृज लाल अत्री, अनुराधा श्रीवास्तव और वी.पी. शर्मा बताते हैं कि मशरूम की तुड़ाई, फलन की उचित वृद्धि के बाद ही करें.बटन मशरूम की टोपी का आकार 2.5-3.0 सें.मी. से 4.0-4.5 सें.मी. होने पर की तुड़ाई करें. छोटा आकार होने से सही पैदावार नहीं मिलेगी तथा बड़ा होने से फलन के खुलने से उचित दाम नहीं मिलेगा.

इन बातों का रखें ध्यान 

ध्यान रखें कि तुड़ाई से पूर्व पानी का छिड़काव न किया हो.ऐसा करने से फलन में पानी अधिक होने से मशरूम के खराब होने की आशंका अधिक होगी.

तुड़ाई के समय अंगूठे व अंगुली की मदद से फलन को घुमाकर तोड़ा जाए तथा कम से कम दबाब लगाकर मशरूम को जख्मी होने से बचाया जाए.

तुड़ाई के लिए क्रेट्स या टोकरियों का प्रयोग करें.मिट्टीयुक्त जड़ों को तेज धार वाले चाकू से काटें.

जहां तक हो सके मशरूम की धुलाई से बचें.अगर धुलाई करनी भी हो तो पानी में 0.05 प्रतिशत पोटेशियम मैटाबाइसल्फाइट डालकर कुछ सेकेंड के बाद ही निकाल लें.पानी से निकालकर फलन को फैलाकर रखें तथा पानी को सूखने दें.

मशरूम का ढेर बनाकर न रखें.जहां तक हो सके ऐसे कमरे में भण्डारण करें जिसका तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे हो.इसके लिए कमरे में पानी का छिड़काव करके व पंखा चलाकर तापमान कम किया जा सकता है या पानी के कूलर का प्रयोग किया जा सकता है.

पैकिंग से पूर्व मशरूम की छंटाई व ग्रेडिंग कर ली जाए.कीटों व रोगों द्वारा ग्रसित फलन को अलग कर दिया जाए.

पैकिंग के लिए 100 गेज के पॉलीथीन या पॉलीप्रोपालीन का प्रयोग करें, जिसमें उचित छिद्र हों ताकि पानी अंदर इकट्ठा न हो सके.

250-500 ग्राम पैक या पन्नट का प्रयोग करके बड़े डिब्बे में डालकर वाहन द्वारा शीघ्र मंडी भिजवाएं.

थोक व फुटकर विक्रेता मशरूम के पैकटों को निम्न तापमान पर ही रखें ताकि इसको लंबे समय तक ताजा रखा जा सके.

उत्पाद ज्यादा होने तथा बिक्री न होने की स्थिति में मशरूम को सुखाने एवं उपोत्पाद बनाने की व्यवस्था भी रखें, ताकि नुकसान न हो.

उपोत्पाद साफ-सुथरी स्थिति में ही बनाए जाएं तथा इनका भण्डारण साफ व सूखी जगह पर करें. किसी भी परेशानी से बचने एवं मार्गदर्शन के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें.

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