जायद में लगाए अरबी पत्ती और कंद से कमाएं भरपूर लाभ, जानिए इसकी खेती के टिप्स

जायद में लगाए अरबी पत्ती और कंद से कमाएं भरपूर लाभ, जानिए इसकी खेती के टिप्स

जायद मौसम में अरबी की खेती से किसान पत्तियों और कंद दोनों से अच्छा लाभ कमा सकते हैं. इस फसल की बुवाई से एक महीने बाद ही पत्तियों से आय शुरू हो जाती है और 3-4 महीने बाद कंद से एकमुश्त आमदनी होती है. अरबी की खेती के लिए उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई और उचित बुवाई विधि का ध्यान रखना जरूरी है. अगर इसकी खेती में सही तकनीक अपनाई जाए तो अरबी से किसानों को गर्मियों में अच्छी आय प्राप्त हो सकती है.

क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 24, 2025,
  • Updated Feb 24, 2025, 3:23 PM IST

देश के लगभग सभी इलाकों में अरबी की खेती जायद और खरीफ मौसम में की जाती है. आमतौर पर लोग  अरबी, घुइयां या कुचई के नाम से जानते हैं. इसके कंद में जहां भरपूर मात्रा में स्टार्च होता है, वहीं इसके पत्तों में विटामिन 'ए', कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन पाया जाता है. स्वाद और गुणों से भरपूर इस सब्जी की मांग गांवों से लेकर शहरों तक में बनी रहती है. गर्मियों में, जब अन्य सब्जियों की कमी होती है, तब अरबी की सब्जी इस कमी को काफी हद तक पूरा कर देती है.

इसके अलावा, अरबी की पत्तियों का उपयोग कई प्रकार के पकवानों में भी किया जाता है. इस फसल की खासियत यह है कि इसकी बुवाई के एक महीने बाद ही पत्तियों से कमाई शुरू हो जाती है और तीन से चार महीने में कंद से एकमुश्त आमदनी होती है. किसान इस फसल में पत्तियां और कंद दोनों से मुनाफा कमा सकते हैं.  इसकी खेती कर गर्मियों में अरबी की बंपर उपज से किसान भरपूर कमाई कर सकते हैं. बस जरूरत है थोड़ी तकनीक के साथ इसकी सही तरीके से खेती करने की.

अरबी के लिए खेत की तैयारी 

अरबी की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी अच्छी रहती है. खेत की तीन-चार जुताई जरूर करें. खेत को बढ़िया तरीके से भुरभुरा करके तैयार कर लें. बुआई के समय ध्यान रखें कि खेत में अच्छी नमी हो. इसके बाद खेत में अंतिम जुताई करते समय 100 से 150 क्विंटल सड़ी हुई गोबर खाद मिलाएं. इसके साथ 80 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 50 से 60 किलो पोटाश मिट्टी में मिलाएं. 

नाइट्रोजन की 80 किलो मात्रा में से आधी मात्रा और पोटाश की आधी मात्रा का ही प्रयोग करें. लेकिन फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा भूमि में बुआई से पहले मिलाएं.

अरबी की उन्नत किस्में और बुवाई का तरीका

बंपर उपज की उम्मीद किसान तभी कर सकते हैं, जब वे उन्नत किस्मों का चुनाव करके अरबी की खेती करें. इसके लिए अरबी की स्थानीय किस्में जैसे रश्मि, इंद्र, श्री पल्लवी को लगा सकते हैं. साथ ही ANDC-1, 2, 3, मुक्ता काशी, सी-9, सी -135, और फैजाबादी जैसी उन्नतशील किस्मों की खेती आप कर सकते हैं. अरबी की बुआई कतारों में करनी चाहिए.

अरबी की बुआई करते समय कतार से कतार के बीच की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें. लेकिन ध्यान रखें कि अरबी के कंदों को 6 से 7 सेंटीमीटर का गड्डा खोदकर ही बोएं. अरबी की खेती के लिए स्वस्थ और मजबूत कंद का चयन करें. बीज के रूप में छोटे कंद या कंद के टुकड़े उपयोग किए जाते हैं. प्रत्येक कंद में कम से कम एक या दो अंकुर होने चाहिए.

अरबी की खेती में जरूर काम 

अरबी की बुआई के 4-5 दिन के बाद सिंचाई करनी चाहिए. अंकुरण हो जाने के बाद 8 से 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें. सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि फसल में जल भराव नहीं हो. अरबी की बुआई के एक या दो दिन के बाद पेंडामेथलीन 3.3 लीटर खरपतवारनाशी को 600 से 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. फसल की समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें जिससे खेत में उग रहे खरपतवार नष्ट हो जाएं.

अरबी की फसल की खुदाई और उपज 

अरबी की बुआई के 120 से 150 दिन के बाद ये पककर तैयार हो जाती है. फसल के पकने की पहचान पत्तियों के पीले होकर नीचे गिरने से आप लगा सकते हैं. अरबी की उपज इसकी किस्मों पर आधारित होती है. लेकिन आमतौर पर अरबी की एक हेक्टेयर खेती से 250 से 300 क्विंटल तक उपज मिल जाती है.

 

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