अभी तक धान रोपाई नहीं कर पाएं हैं किसान तो न करें चिंता, इस विधि से बुवाई पर कवर हो जाएगा देरी का समय 

अभी तक धान रोपाई नहीं कर पाएं हैं किसान तो न करें चिंता, इस विधि से बुवाई पर कवर हो जाएगा देरी का समय 

डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) विधि से बुवाई नई तकनीक पर आधारित खेती का तरीका है. इसमें पारंपरिक तरीके से नर्सरी के बाद पौधों की रोपाई की बजाय खेत में सीधे बीज की बुवाई की जाती है. परंपरागत विधि में DSR विधि की तुलना में दोगुनी लागत खर्च होती है और समय भी अधिक लगता है.  

DSR विधि से नर्सरी में लगने वाला करीब 25 दिन का समय बच जाता है. DSR विधि से नर्सरी में लगने वाला करीब 25 दिन का समय बच जाता है.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 21, 2024,
  • Updated Jul 21, 2024, 7:10 PM IST

खरीफ सीजन में धान की रोपाई लगभग पूरी होने को है. अगर कोई धान रोपाई के जरिए फसल करना चाहता है तो वे किसान देरी कर चुके हैं. हालांकि, ऐसे किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्हें डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) विधि से धान की बुवाई करनी होगी. इससे वह देरी का कम से 25 दिन का समय कवर कर सकेंगे. क्योंकि, इस डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) विधि नर्सरी का झंझट नहीं होता है और सीधे बीज की बुवाई खेत में की जाती है. इससे नर्सरी में लगने वाला करीब 25 दिन का समय बच जाता है. 

धान की खेती के लिए DSR विधि क्या है 

डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) विधि से बुवाई नई तकनीक आधारित खेती का तरीका है. इसमें पारंपरिक तरीके से नर्सरी के बाद पौधों की रोपाई की बजाय खेत में सीधे बीज की बुवाई की जाती है. DSR विधि अपनाने पर जोर है. इस विधि के तहत सीधे बीज की बुवाई खेत में की जाती है. जबकि, परंपरागत बुवाई में पहले धान की नर्सरी की जाती है फिर करीब 25 दिन बाद नर्सरी की खेत में रोपाई की जाती है. परंपरागत विधि में डीएसआर विधि की तुलना में दोगुना लागत खर्च होती है और समय भी अधिक लगता है.  

DSR से खेती के फायदे 

DSR विधि से धान की खेती करने वाले किसानों को फसल में लगने वाले पानी की कम लागत लगानी पड़ती है. इस विधि से खेती पर पानी की खपत को 30 फीसदी कम करने में मदद मिलती है. इससे किसानों का सिंचाई में लगने वाला मोटा खर्च बच जा रहा है. इसके अलावा कम पानी वाले इलाकों में इस विधि ने किसानों की मुश्किलों को हल करने में मदद की है. 

  1. धान बुवाई में देरी होने पर किसान इस विधि का पालन कर करीब 25 दिनों के देरी वाले समय को कवर कर सकते हैं. 
  2. इस विधि से खेती करने वाले किसानों को धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच 10-12 दिन का अतिरिक्त समय मिल सकता है.
  3. किसान के अनुसार डीएसआर विधि से लगभग 15,000 रुपये प्रति एकड़ की बचत की जा सकती है. हालांकि, इस विधि से बुवाई के लिए अधिक तापमान फसल को नुकसान पहुंचा सकता है.

DSR विधि से खेती का बढ़ रहा रकबा 

डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) विधि से खेती का रकबा कुल रकबे का करीब 10 फीसदी है. इस बार DSR विधि धान की खेती का रकबा बढ़ा है.  क्योंकि, देरी की स्थिति में और कम पानी वाले क्षेत्रों में किसानों ने इस विधि से धान की खेती करनी शुरू कर दी है. पंजाब और हरियाणा के घटते भूजल स्तर को देखते हुए दोनों राज्यों में बड़ी संख्या में किसान डीएसआर विधि से धान की खेती कर रहे हैं. क्योंकि, डीएसआर विधि से किसानों को लगभग 30 फीसदी पानी बचाने में मदद मिल रही है. 

खरीफ धान बुवाई का कुल रकबा 

इस साल देश में धान के रकबे में बंपर बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार बेहतर मॉनसूनी बारिश के चलते चालू खरीफ में अब तक धान का रकबा 7 प्रतिशत बढ़कर 166.06 लाख हेक्टेयर हो गया है. पिछले साल 19 जुलाई तक धान की बुआई 155.65 लाख हेक्टेयर में हुई थी. ऐसे में उम्मीद की जा रही है धान का रकबा बढ़ने से फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होगी. इससे चावल की बढ़ती कीमत में गिरावट आ सकती है.

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