ट्राइकोडर्मा के इस्तेमाल में सावधानी जरूरी, भूलकर भी न करें ये 6 काम 

ट्राइकोडर्मा के इस्तेमाल में सावधानी जरूरी, भूलकर भी न करें ये 6 काम 

फसलों की गुणवत्‍ता और पैदावार बढ़ाने के लिए आज किसान कई तरह के तरीके अपना रहे हैं. कोई रसायनों से लैस फर्टिलाइजर्स का प्रयोग कर रहा है तो कहीं प्राकृतिक तरीके अपनाए जा रहे हैं. वहीं कुछ किसान ऑर्गेनिक यानी जैविक खेती पद्धति को अपना रहे है. जैविक खेती वाले किसानों के बीच आजकल ट्राइकोडर्मा नामक उत्‍पाद की काफी चर्चा है.

ट्राइकोडर्मा फसलों में लगने वाली फंगस की एक दवाई हैट्राइकोडर्मा फसलों में लगने वाली फंगस की एक दवाई है
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Apr 29, 2024,
  • Updated Apr 29, 2024, 5:05 PM IST

फसलों की गुणवत्‍ता और पैदावार बढ़ाने के लिए आज किसान कई तरह के तरीके अपना रहे हैं. कोई रसायनों से लैस फर्टिलाइजर्स का प्रयोग कर रहा है तो कहीं प्राकृतिक तरीके अपनाए जा रहे हैं. वहीं कुछ किसान ऑर्गेनिक यानी जैविक खेती पद्धति को अपना रहे है. जैविक खेती वाले किसानों के बीच आजकल ट्राइकोडर्मा नामक उत्‍पाद की काफी चर्चा है. यह वह उत्‍पाद है जो किसानों की फसलों को सुरक्षित करता है. साथ ही साथ इससे खेती की लागत में भी कमी आती है. 

क्‍या है ट्राइकोडर्मा और कब होता है प्रयोग 

दरअसल ट्राइकोडर्मा फसलों में लगने वाली फंगस यानी फफंदूी की एक दवाई है. इसका प्रयोग कई प्रकार की फसलों में किया जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो किसान फसल में तना, जड़ के गलने की समस्‍या, एक प्रकार के उकठा रोग से लेकर फल के सड़ने की समस्‍या और तनों के झुलसने की समस्‍या से लेकर कुछ और समस्‍याओं में ट्राइकोडर्मा का प्रयोग करते हैं. मिट्टी से जुड़ी कुछ बीमारियों जैसे की स्‍क्‍लैरोशियम, फाइटोफ्थोरा, पिथियम, राइजोक्‍टोनिया, स्‍कलैरोटिनिया, फ्यूजेरियम में इसका प्रयोग होता है. 

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किन फसलों में आता है काम 

ट्राइकोडर्मा का प्रयोग किसान कई फसलों में कर सकते हैं. सब्जियों, दालों, गन्‍ना, गेहूं और धान जैसी फसलों में इसका प्रयोग होता है. साथ ही फलदार पौधों के लिये भी यह फायदेमंद साबित होता है. लेकिन इसके प्रयोग में कुछ सावधानियों को बरतना बहुत जरूरी है. 

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क्‍या हैं 6 बड़ी सावधानियां 

इन 6 सावधानियों को हमेशा इसके प्रयोग से पहले ध्यान में रखें- 

  • ट्राइकोडर्मा के प्रयोग से कम से कम 4-5 दिन बाद ही किसी रासायनिक दवा का प्रयोग करें. 
  • ट्राइकोडर्मा के अच्‍छी तरह से काम करने और इसके प्रभावशाली होने के लिए  जरूरी है कि मिट्टी में नमी जरूर हो. 
  • मिट्टी जब सूखी हो तो उस समय ट्राइकोडर्मा का प्रयोग हरगिज न करें.
  • गोबर की ऐसी खाद जो ट्राइकोडर्मा से युक्‍त है, उसे बहुत समय तक न रखें. 
  • इसका प्रयोग क्षारीय भूमि में बिल्‍कुल भी फायदा नहीं देता. इसलिए वहां पर इसके प्रयोग से बचें. 
  • ट्राइकोडर्मा से युक्‍त बीज को बहुत देर तक धूप में नहीं रखना चाहिए. 

 

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