खेती भारत में एक प्रमुख व्यवसाय के तौर पर है. शायद इसी वजह से उसे एक कृषि प्रधान देश कहा जाता है. साल 2021-22 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि खेती भारत की अर्थव्यवस्था में ग्रॉस वैल्यू ऐडेड यानी जीवीए का करीब 18 फीसदी योगदान करता है. ऐसे में फसलें न सिर्फ उन किसानों के लिए बल्कि देश के लिए भी एक महत्वपूर्ण संपत्ति हैं जो उनकी खेती करते हैं. अगर फसलें किसानों की संपत्ति है तो नीलगाय उनकी सबसे बड़ी दुश्मन है. रात का अंधेरा हो या फिर दिन का उजाला नीलगाय किसी भी पहर पहुंचकर खेतों में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा देती है. इनका आतंक कभी-कभी इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि किसान कई फसलों को लगाना तक छोड़ देते हैं.
कई लोगों के जेहन में यह सवाल है कि क्या नीलगाय की वजह से बर्बाद हुई फसल को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)के तहत कुछ राहत मिलती है? तो इसका जवाब है नहीं. 13 जनवरी 2016 में पीएमएफबीवाई को लॉन्च किया गया था. इस योजना का मकसद उन किसानों पर प्रीमियम का बोझ कम करना था जो अपनी खेती के लिए ऋण लेते हैं. साथ ही साथ खराब मौसम की वजह से चौपट हुई फसलों को भी इसमें शामिल किया गया था. लेकिन कई राज्यों जैसे असम में हाथी और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में नीलगाय फसलों के लिए आतंक बन जाते हैं. कहीं-कहीं पर जंगली सुअर का भी आतंक है लेकिन पीएमएफबीवाई के तहत जंगली जानवरों को कवर नहीं किया गया है. हालांकि साल 2023 में यूपी सरकार की तरफ से इस बाबत केंद्र सरकार से अनुरोध जरूर किया गया था. अभी तक उस पर कोई भी फैसला नहीं लिया गया है.
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इस योजना के तहत अनाज, तिलहन, दालें, कपास, गन्ना और बागवानी फसलों सहित कुछ और फसलों के लिए बीमा कवरेज किसानों को दिया जाता है. पीएमएफबीवाई के तहत कवर की गई विशिष्ट पैदावार उस राज्य के आधार पर भिन्न हो सकती है जिसमें पॉलिसी ली जा रही है, क्योंकि अलग-अलग राज्यों में अन्य फसलें भी अधिक प्रचलित हो सकती हैं.
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पीएमएफबीवाई के तहत, किसानों को सूखा, बाढ़, चक्रवात और कीट और बीमारियों जैसी प्राकृतिक आपदाओं समेत कुछ और खतरों की वजह से चौपट हुईं फसलों के खिलाफ बीमा दिया जाता है. पीएमएफबीवाई की तरफ से मिलने वाला बीमा कवरेज फसल की औसत उपज पर आधारित है, जैसा कि सरकार द्वारा आयोजित फसल-काटने के प्रयोगों (सीसीई) की एक प्रणाली के माध्यम से निर्धारित किया जाता है.
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बीमा की रकम कितनी होगी इसकी हिसाब फसल की औसत उपज को खेती के क्षेत्र और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से गुणा करके निकाला जाता है. पीएमएफबीवाई के तहत बीमा कवरेज के लिए प्रीमियम की गिनती फसल के प्रकार और जिस क्षेत्र में इसे उगाया जाता है, उसके आधार पर एक स्लाइडिंग पैमाने पर की जाती है. सरकार छोटे और सीमांत किसानों के लिए प्रीमियम के एक हिस्से पर सब्सिडी देती है, बाकी बची हुई रकम का भुगतान किसान खुद करते हैं. उत्तर-पूर्वी राज्यों, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के किसानों का पूरा प्रीमियम भी सरकार ही भरती है.
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