गेहूं की लहलहाती फसल को इन गलतियों से हो सकता है भारी नुकसान, समय पर बचाव का उपाय जान लें

गेहूं की लहलहाती फसल को इन गलतियों से हो सकता है भारी नुकसान, समय पर बचाव का उपाय जान लें

अप्रैल के पहले सप्ताह से गेहूं की कटाई कार्य तेजी से होगा, लेकिन गेहूं की कटाई कब करें, कैसे करें ये सवाल किसानों को परेशान कर रहे होंगे. कई किसान इसकी कटाई पकने से पहले कर देते हैं, जिससे उनकी उपज बाद में सूखकर सिकुड़ जाती है. वही दूसरी ओर कटाई में देर होने पर खेतों में ही गेहूं झड़ने लगते हैं जिसका खामियाज़ा किसान को कम उपज के रूप में मिलती है.

मंडियों में किसान अपनी उपज लेकर पहुंच रहे हैं.मंडियों में किसान अपनी उपज लेकर पहुंच रहे हैं.
जेपी स‍िंह
  • Noida,
  • Mar 15, 2025,
  • Updated Mar 15, 2025, 11:37 AM IST

गेहूं की लहलहाती फसल खेतों में तैयार हो रही है. साल भर गेहूं का दाम बेहतर मिलने से और इस बार रबी सीजन में गेहूं की खेती के लिए मौसम अनुकूल रहने की वजह से किसानों ने गेहूं की बुवाई में रुचि दिखाई है. इस साल 324.88 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई हुई है, जबकि पिछले साल यह 318.33 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में थी. किसानों को इस बार भी गेहूं के अच्छे दाम मिलने की उम्मीद है क्योंकि अप्रैल के पहले सप्ताह से गेहूं की कटाई कार्य तेजी से होगा. ऐसे में गेहूं की कटाई कब करें, कैसे करें, ये सवाल किसानों को परेशान कर रहे होंगे. कई किसान इसकी कटाई पकने से पहले कर देते हैं, जिससे उनकी उपज बाद में सूखकर सिकुड़ जाती है. वही दूसरी ओर कटाई में देर होने पर गेहूं खेतों में ही झड़ने लगते हैं जिसका खामियाज़ा किसान को कम उपज के रूप में मिलती है. 

गेहूं की कटाई के वक्त कोई भूल ना करें?

गेहूं की कटाई के समय कोई भूल ना करें नहीं तो उपज का नुकसान होगा. अगर कटाई के समय कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाए तो, गेहूं की क्वालिटी और उपज दोनों बढ़ जाएगी है. गेहूं की कटाई का समय, फसल की नमी और कटाई तकनीक अहम कारक होते हैं क्योंकि अधिक नमी में गेहूं की जल्दी कटाई करने से दाने अधिक टूटते हैं. सुखाने की लागत बढ़ जाती है और फफूंद रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए इन तीन खास बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि विशेषज्ञों के मुताबिक कटाई, थ्रेसिंग, स्टोरेज के दौरान 17 फीसदी तक नुकसान हो जाता है.

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कब करें गेहूं की कटाई? 

गेहूं के पकने की अवस्था का अनुमान किसान अपने अनुभव के आधार पर लगा सकते हैं. जैसे फ़सल पकने पर पत्तियां सूख जाती हैं, और बाली के नीचे का भाग सुनहरा हो जाता है. दानों को अगर अंगूठे से दबाया जाए तो दूध नहीं निकलता और दानों में कड़ापन आ जाता है. इसके अतिरिक्त अगर नमी मापने की सुविधा हो तो दाने में 25-30 प्रतिशत नमी रह जाने पर फसल काटी जा सकती है. 

परीक्षणों से पता चला है कि 25 प्रतिशत नमी होने पर गेहूं पक जाता है और गेहूं की फसल में जब ये अवस्थाएं आ जाएं, तभी गेहूं की कटाई करनी चाहिए .अगर गेहूं की कटाई में देरी होती है तो यह नुकसान 2 से 7 फीसदी तक हो सकता है. कटाई के वक्त बरती जाने वाली सावधानियों की बात करें तो सबसे पहले दानों में नमी की मात्रा चेक करना है. अगर नमी कम हो चुकी है तो गेहूं की कटाई में देर ना करें. 

गेहूं की फसल को काटने से पहले सिंचाई बंद कर दें. अप्रैल के अंत तक सभी किस्मों की कटाई कर लेनी चाहिए. अगर आपने गेहूं की कटाई दरांती, हंसिया या रीपर से की है, तो आप गेहूं की फसल को 4-5 दिनों तक खेतों में सूखने के लिए छोड़ दें. इसके बाद ही मड़ाई करें. मड़ाई के समय खुद की सुरक्षा के लिए थ्रेसर की पंखी से दूर रहें.   

गेहूं की कटाई के लिए इन मशीनों का करें प्रयोग 

अगर  गेहूं की कटाई कम्बाईन से करा रहे हैं तो गेहूं का नुकसान कम होता है और बड़े खेतों में कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग अधिक लाभदायक है. गेहूं की फसल की कंबाइन कटाई के दौरान 44.9% लागत की बचत और उपज में 2.4 फीसदी वृद्धि हो जाती है. जबकि छोटे खेतों में स्व-चालित मशीन एक बेहतर किफायती विकल्प है. इससे किसानों को भूसा मिल जाता है.

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गेहूं की कटाई के लिए  'विकल्प' नाम का यंत्र तैयार किया गया है जो  बिना बिजली और डीजल के चलने वाला ये उपकरण फसल को जड़ से काटने की क्षमता रखता है, जिससे खेत में पराली जलाने की जरूरत भी नहीं पड़ती और किसान को पूरी उपज के साथ भूसा भी मिल जाता है. इस उपकरण से आठ घंटे में दो बीघा गेहूं की कटाई की जा सकती है. बाजार में इस मशीन की कीमत महज 7-8 हजार रुपये ही है. लेकिन अगर खेत का क्षेत्रफल काफी बड़ा है, तो फसल की कटाई रीपर, मोअर या कम्बाइन से करने की सलाह दी गई है. 

 

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