भारत में कपास की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. कपास खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है. साथ ही ये फसल किसानों के लिए अच्छी आमदनी का एक साधन भी है. ये एक लंबी अवधि वाली नकदी फसल है, इसलिए कपास की फसल को अधिक देखभाल की जरूरत होती है. खासकर इस समय जब मॉनसून का सीजन खत्म हो गया हो. ये समय इस फसल के लिए कीड़े और बीमारियों का समय माना जाता है. कीड़े लगने से पैदावार भी प्रभावित होती है. वहीं इस साल भी ये समस्या हरियाणा में देखी जा रही है.
जहां कपास की फसल पर बड़ी मात्रा में गुलाबी सुंडी नामक कीड़े यानी पिंक बॉलवर्म का खतरा देखा जा रहा है. इसको लेकर हरियाणा कृषि विभाग ने अक्टूबर महीने के दूसरे पखवाड़े में इस रोग से बचने के उपाय के बारे में एडवाइजरी जारी की है.
दरअसल अक्टूबर के महीने में गुलाबी सुंडी का प्रकोप नरमा की फसल में ज्यादा बढ़ जाता है. विशेषकर देर से लगाई गई नरमा फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप ज्यादा होता है. गुलाबी सुंडी का प्रकोप यदि नरमा की फसल में ज्यादा है तो जल्द से जल्द फसल की चुनाई करें और फसल को आगे न बढ़ाएं. संभव हो तो गुलाबी सुंडी द्वारा ग्रसित नरमा की चुगाई और रखरखाव अलग अलग करें. नरमा की अंतिम चुगाई के बाद अपने खेत में भेड़-बकरियों और अन्य जानवरों को चुगने दें.
भारत में शीर्ष कपास उत्पादक राज्यों में इस साल कपास की फसलों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप देखा जा रहा है. इसमें गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, आंध्र प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं. इन राज्यों के किसानों को गुलाबी सुंडी से फसलों के अधिक नुकसान होने का डर सता रहा है. दरअसल नरमा फसल के लिए गुलाबी सुंडी काफी खतरनाक मानी जाती है. प्रत्येक वर्ष नरमा के खेत में फूल आने के समय अगर फसलों में कम नमी होती है तो गुलाबी सुंडी का प्रकोप अधिक देखा जाता है.