KVK की पहल से बदली गन्ना खेती की तस्वीर, इंटरक्रॉपिंग से मिला दोगुना फायदा

KVK की पहल से बदली गन्ना खेती की तस्वीर, इंटरक्रॉपिंग से मिला दोगुना फायदा

देहरादून में गन्ना किसानों की प्रमुख नकदी फसल है. यहां इंटरक्रॉपिंग नहीं अपनाने से हो रहा था नुकसान. बाद में KVK ढाकरानी की रिसर्च से 163 हेक्टेयर में 227 किसानों के साथ बड़ा प्रयोग किया गया. इंटरक्रॉपिंग की मदद से गन्ना और पंत उड़द-35 उन्नत किस्म की हुई खेती जिसके शानदार नतीजे मिले.

sugarcane intercroppingsugarcane intercropping
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 23, 2025,
  • Updated Dec 23, 2025, 6:43 PM IST

गन्ना देहरादून के लिए एक महत्वपूर्ण फसल है क्योंकि इससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है. देहरादून में लगभग 900 से 1000 हेक्टेयर जमीन पर गन्ने की खेती होती है और अच्छे मुनाफे के कारण इसमें अभी भी बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि, इंटरक्रॉपिंग सिस्टम अपनाकर गन्ने की फसल से होने वाली आय को कई गुना बढ़ाया जा सकता है. ढाकरानी में कृषि विज्ञान केंद्र की स्टडी से पता चला है कि ज्यादातर किसान या तो इंटरक्रॉपिंग नहीं कर रहे हैं या सिर्फ वही फसलें उगा रहे हैं जिनसे सबसे कम मुनाफा होता है.

गहन रिसर्च के बाद, KVK के वैज्ञानिकों ने गन्ने के साथ इंटरक्रॉप के रूप में उड़द दाल का सुझाव दिया. उन्होंने इस इंटरक्रॉप सिस्टम के लिए एक हेक्टेयर जमीन पर चार बार परीक्षण और ट्रायल किए. इसके नतीजे काफी अच्छे रहे. वैज्ञानिकों ने अपने काम का दायरा बढ़ाया और 227 किसानों की 163 हेक्टेयर जमीन को बड़े पैमाने पर इंटरक्रॉपिंग के लिए चुना और किसानों को खेती की आधुनिक जानकारी दी. 

आत्मा प्रोजेक्ट से मिली मदद

ATMA प्रोजेक्ट की वित्तीय मदद से, उन्हें 20 क्विंटल उड़द के बीज, 7 क्विंटल बायो फर्टिलाइजर सिम्बियन और 30 किलो ट्राइकोडर्मा दिए गए. इस परीक्षण के लिए GB पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में बनाई गई पंत उड़द-35 उन्नत किस्म का इस्तेमाल किया गया.

इंटरक्रॉप सिस्टम में अपनाए गए मुख्य तकनीकी उपायों में बीजों को ट्राइकोडर्मा @ 5 ग्राम/किलो बीज से उपचारित करना, उड़द की फसल में फली छेदक को एंडोसल्फान @ 2 मिली/लीटर पानी के स्प्रे से नियंत्रित करना और मिट्टी में बायो-फर्टिलाइजर का सही इस्तेमाल शामिल था. इंटरक्रॉप को उड़द की बुवाई के 30 दिन बाद फूल आने से पहले पहली सिंचाई दी गई और दूसरी, तीसरी सिंचाई 10 दिन के अंतराल पर दी गई.

किसानों की बढ़ी कमाई

इस परीक्षण के दौरान औसतन 4.70 क्विंटल/हेक्टेयर उड़द का उत्पादन हुआ. सबसे ज्यादा पैदावार प्रतीतपुरा गांव के किसान हरद्वारी लाल को मिली, जो 5.70 क्विंटल/हेक्टेयर थी. कुल आय 10,750 रुपये प्रति हेक्टेयर थी और आय-खर्च का अनुपात 1:4.07 था. किसानों को 3.60 से 5.70 क्विंटल/हेक्टेयर उत्पादन और 5,500 से 10,750 रुपये/हेक्टेयर आय हुई.

यह स्थानीय किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में पहला कदम है. अब किसान समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं. वे न केवल ज्यादा आय कमा सकते हैं बल्कि अपने परिवार के लिए भोजन और पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकते हैं. कुछ किसानों के अनुसार, इंटरक्रॉपिंग सिस्टम से गन्ने की पैदावार भी बढ़ी है.

इंटरक्रॉपिंग के फायदे

  • एक्स्ट्रा इनकम: उड़द कुछ ही महीनों में जल्दी रिटर्न देता है, जिससे गन्ने की लंबी अवधि की इनकम में मदद मिलती है.
  • मिट्टी की उर्वरता: एक फलीदार पौधा होने के नाते, उड़द नाइट्रोजन फिक्स करता है, जिससे गन्ने के लिए मिट्टी उपजाऊ बनती है.
  • जमीन का अधिक इस्तेमाल: उसी जमीन के एरिया से ज्यादा पैदावार मिलती है.

इंटरक्रॉपिंग कैसे करें

  1. समय: बसंत में लगाए गए गन्ने के लिए सबसे अच्छा उड़द को पंक्तियों के बीच बोया जाता है.
  2. अनुपात: एक आम रोपण अनुपात हर 1 पंक्ति गन्ने के लिए उड़द की 2 पंक्तियां (2:1) या 3:2 है.
  3. कटाई: गन्ना ज्यादा लंबा होने से पहले उड़द की कटाई कर ली जाती है, जिससे गन्ने के लिए जगह बच जाती है.

अन्य उपयुक्त इंटरक्रॉप

  1. बसंत: मूंग, मक्का, ज्वार, प्याज, आलू, खीरा
  2. पतझड़: लहसुन, मटर, राजमा

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