फलों का राजा आम इन दिनों बाजार में पूरी तरीके से छाया हुआ है. आम का इंतजार अब खत्म हो चुका है. अगले 2 महीने तक बाजार में आम की भरपूर आवक मिलने वाली है. उत्तर प्रदेश में दशहरी ,लंगड़ा और चौसा आम तैयार हो चुका है. वहीं आम खाने के शौकीन लोग आजकल बाजारों में बिक रहे आम को खूब खरीद कर खा रहे हैं. इन दिनों बाजार में केमिकल से पके आम भी धड़ल्ले से बिक रहे हैं. खाद एवं औषधि विभाग की तरफ से कार्बाइड से फल पकाने पर रोक लगा दी गई है लेकिन इसके बावजूद भी दुकानदार आम को जल्दी पकाने के लिए कैल्सियम कार्बाइड का प्रयोग कर रहे हैं. इस केमिकल से पके हुए आम कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी हमें दे सकते हैं. इसलिए किसान तक आज आपको कई ऐसे टिप्स (Expert Tips) बताने जा रहा है जिसके जरिए बड़े आसानी से केमिकल से पके आम की पहचान कर सकते हैं.
लखनऊ में खाद्य सुरक्षा अधिकारी अंकिता यादव ने किसान तक को बताया कि आम को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और एसिटिलीन गैस का इस्तेमाल किया जाता है. वही कैल्शियम कार्बाइड से पके हुए आम हमारी सेहत को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए आम खरीदने से पहले इन टिप्स के जरिए आम की करें पहचान..
लैब में ऐसे होती है पहचान
कैल्शियम कार्बाइड से पके हुए आम की पहचान खाद्य विभाग की लैब के माध्यम से भी हो सकती हैं. लखनऊ की खाद्य सुरक्षा अधिकारी अंकिता यादव ने बताया कि बाजार में आम को खरीदने के बाद उसे पानी से धो लें और उस पानी का 10ml एक बिकर में लेकर उसमें 10 परसेंट सोडियम हाइड्रोक्साइड को डालें. यदि इस लिक्विड का कलर चेंज हो जाता है तो इसका मतलब है कि इस आम को कैल्शियम कार्बाइड से पकाया गया है. यदि लिक्विड का कलर बिल्कुल नहीं परिवर्तित होता है तो वह पूरी तरीके से सुरक्षित है.
धब्बेदार आम को बिल्कुल नहीं खरीदें
प्राकृतिक रूप से पका हुआ आम पूरी तरीके से पीला होता है जबकि कैल्शियम कार्बाइड के द्वारा पकाया हुआ आम की सतह पर धब्बे होते हैं. आम एक समान पीला या हरा नहीं होता है बल्कि कहीं हरा तो कहीं पीला दिखता है. ऐसे आम को बिल्कुल भी नहीं खरीदना चाहिए.
पानी में डालते ही आम डूब जाए तो शौक से खाइये
प्राकृतिक रूप से पका हुआ आम को अगर पानी की बाल्टी में डाला जाए तो वह डूब जाता है जबकि केमिकल के द्वारा पका हुआ आम तैरने लगता है. यह आम की पुरानी पहचान है जिसको आज भी गांव में लोग अपनाते हैं.
सूंघ कर करें पहचान
प्राकृतिक रूप से पके हुए आम को सूंघने से फल की मिठास वाली एक अलग तरह की महक महसूस होती है जबकि केमिकल के द्वारा पके हुए आम से अलग तरह की गंध आती है. वही इस तरह की आम को खाने से मुंह का स्वाद भी खराब हो जाता है.
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बाजार में केमिकल से पके हुए फल अब धड़ल्ले से बिक रहे हैं. लोगों को इसकी पहचान नहीं होती है. ऐसे में जाने अनजाने में फलों के माध्यम से हम कई केमिकल का भी सेवन कर रहे होते हैं. ऐसे में आम को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है. अगर इस तरह के पके हुए फलों को खाते हैं तो इससे स्किन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर ,कोलन कैंसर, ब्रेन डैमेज, नर्वस सिस्टम को भी नुकसान पहुंचाने का खतरा होता है यहां तक कि त्वचा में भी कई तरह की बीमारियां पनप सकती हैं.
बाजार में बिकने वाला कोई भी फल सुरक्षित नहीं है. खाद्य सुरक्षा अधिकारी अंकिता यादव ने बताया कि आम को बाजार से खरीद कर सीधे नहीं खाएं बल्कि पहले किसी बाल्टी या टब में आधे घंटे तक भिगो दें. आम की तासीर गर्म होती है इसलिए ऐसा करने से आम ठंडा हो जाएगा. वही आम के छिलके में मिला हुआ केमिकल भी पानी में उतर जाएगा. इस तरह आम को सुरक्षित तरीके से खाया जा सकता है.
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