जमाना तेजी से बदल रहा है. इसी के साथ हमारी खेती भी बदल रही है. पहले जो खेती जमीन या मिट्टी में की जाती थी. अब वही खेती हवा में की जा रही है. जमीन की कमी को देखते हुए अब हवा में खेती का कॉन्सेप्ट बढ़ रहा है.
वर्टिकल फार्मिंग ऐसी विधि है जिसमें पौधे जड़ जमीन में रहती है, लेकिन बाकी का हिस्सा हवा में होता है. पौधे को किसी सहारे के माध्यम से ऊपर की तरफ उठाया जाता है और फैलाया जाता है. इससे पौधे को कम जमीन में भी विकास करने का पूरा मौका मिलता है.
वर्टिकल फार्मिंग में बांस, बल्ली, रस्सी या तार के माध्यम से पौधे को ऊपर उठाया जाता है. ऊपर ले जाने के बाद उसे किसी मचान या दूसरी सतह पर फैला दिया जाता है. इससे पौधे का संपर्क जमीन से केवल जड़ों के माध्यम से होता है. बाकी हिस्सा हवा में होता है. यहां तक कि पैदावार भी हवा में मिलती है.
आप इस तरह की खेती अकसर देखते होंगे जिसमें सब्जियां खास होती हैं. उदाहरण के लिए लौकी या करेले की खेती को लें. इसमें रस्सी या बांस के सहारे पौधे को मचान पर चढ़ाया जाता है और उसे फैलने दिया जाता है. पौधा जितना अधिक विकसित होगा, उतना ही अधिक पैदावार मिलने की संभावना होती है.
जिन लोगों के पास कम जमीन या कम खेत हो, वे वर्टिकल फार्मिंग का सहारा ले सकते हैं. इससे उन्हें कम जमीन में भी अधिक से अधिक पैदावार लेने में सुविधा होगी. सब्जियों की खेती तो सबसे अधिक फायदेमंद होती है क्योंकि उनके पौधे रस्सी या बांस के सहारे आसानी से मचान पर फलते-फूलते हैं.
दिनों दिन घटती जमीन के चलते लोग वर्टिकल फार्मिंग की ओर अग्रसर हो रहे हैं. इसके अलावा जहां जगह की कमी है, वहां भी इस तकनीक को अपनाया जा रहा है. शहरों में सजावटी पौधों को लगाने के लिए भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. आप सड़कों के किनारे इसका नमूना देख सकते हैं.
अगर कोई किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करना चाहता है, हल्दी या सब्जियों की खेती करना चाहता है तो वर्टिकल फार्मिंग का सहारा ले सकता है. स्ट्रॉबेरी की खेती आज की तारीख में बहुत ही लाभदायक है और वर्टिकल फार्मिंग से इसमें और भी अधिक फायदा मिल सकता है.
अगर फ्यूचर फार्मिंग की बात करें तो वर्टिकल फार्मिंग उसका सबसे अच्छा उदाहरण होगा. भविष्य में जिस तरह से जमीन की कमी देखी जाएगी और खेती सिकुड़ती जाएगी, ऐसे समय में वर्टिकल फार्मिंग सबसे बड़ा विकल्प बनकर उभरेगी जहां जमीन नहीं बल्कि हवा में खेती को तवज्जो दी जाएगी.