फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, कानपुर आईआईटी (Kanpur IIT) ने खास नई नकनीक को विकसित किया है. अब एक बार फिर आईआईटी कानपुर ने किसानों के लिए एक खास सोलर मशीन बनाई है जो उनकी फसल को सुखाने में मदद करेगी. इसी क्रम में रोज़ी शिक्षा केंद्र ने कृषि उपज के मूल्य को बढ़ाने के लिए एक अभिनव 'सोलर डिहाइड्रेशन' तकनीक पेश की है.
किसानों को सौर ऊर्जा का उपयोग करके फल और सब्जियों को सुखाने में सक्षम बनाकर, यह पहल बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव के लिए एक स्थायी समाधान प्रदान करती है, जिससे उन्हें मांग अधिक होने पर अपनी उपज को अधिक लाभदायक दरों पर बेचने की सुविधा मिलती है. इस मशीन की मदद से किसान अपनी फसल, फल और सब्जियां सुखाकर उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं और बाद में अच्छे दामों पर बेच सकते हैं.
इस प्रयास का नेतृत्व आईआईटी कानपुर के प्रो. संदीप संगल और प्रो. कल्लोल मंडल कर रहे हैं, जिन्होंने इस परियोजना को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हाल ही में इस तकनीक का प्रदर्शन लगभग 30 किसानों के सामने किया गया, जिसमें श्रमिक भारती द्वारा पोषित शिवराजपुर में हरिया नेचर फार्मिंग प्रोड्यूसर कंपनी और कल्याणपुर ब्लॉक में नमामि गंगे परियोजना के तहत गठित लवकुश एफपीओ के किसान शामिल थे. किसानों को सोलर डिहाइड्रेशन विधियों में व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया, जिससे उन्हें अपने खेतों पर इस लागत प्रभावी संरक्षण तकनीक को उपयोग करने की जानकारी दी गई.
टमाटर के प्री-ट्रीटमेंट और सोलर ड्रायरिंग को दिखाया कि कैसे यह विधि शेल्फ लाइफ को बढ़ा सकती है और बाजार में इसकी बिक्री को बेहतर बना सकती है. किसानों को संबोधित करते हुए, आईआईटी कानपुर के रंजीत सिंह रोज़ी शिक्षा केंद्र की परियोजना कार्यकारी अधिकारी डॉ रीता सिंह ने कहा, 'सोलर डीहाइड्रेशन अपशिष्ट को कम करने और कृषि लाभ को बढ़ाने का एक कुशल, पर्यावरण-अनुकूल तरीका है. नाबार्ड के समर्थन से, हमारा लक्ष्य इस तकनीक को अधिक गांवों तक पहुंचाना है, ताकि व्यापक रूप से इसे अपनाया जा सके और इसकी पहुंच सुनिश्चित हो सके.'
उन्होंने आगे बताया कि आईआईटी कानपुर के सहयोग से कानपुर में चार एफपीओ में यह मशीन लगाई जा रही है. आने वाले समय में उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों में और फिर पूरे देश में इस तकनीक को पहुंचाने की योजना है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसका फायदा मिल सके.
डॉ रीता सिंह ने बताया कि इस मशीन में एक खास तरह का पैनल और स्टील का एक चेंबर लगा होता है. इसमें एक ट्रे होती है जिसमें सुखाई जाने वाली फसल रखी जाती है. यह ट्रे मशीन के अंदर एक ऐसे पैनल में रखी जाती है जो सूरज की रोशनी से गर्मी पैदा करता है. इस गर्मी और अंदर की गर्म हवा से फसल अच्छी तरह सूख जाती है. इस प्रक्रिया में निकलने वाला धुआं चिमनी के रास्ते बाहर निकल जाता है. उन्होंने बताया कि इस मशीन से सुखाई गई फसल में पोषक तत्व बने रहते हैं और उनके खराब होने का डर भी खत्म हो जाता है.
इसके अलावा आईआईटी कानपुर ने सोलर डिहाइड्रेशन के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) और गुणवत्ता प्रोटोकॉल विकसित करने के लिए सीएसजेएमयू विश्वविद्यालय में खाद्य प्रसंस्करण विभाग के साथ सहयोग किया है. यह पहल तकनीकी माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने, बेहतर वित्तीय स्थिरता और विस्तारित बाजार तक पहुंचाने में बड़ी मदद करेगा.
ये भी पढ़ें-
CM योगी ने बताया यूपी के कृषि सेक्टर में कैसे हुआ चमत्कार, गन्ना किसानों के लिए कही ये बड़ी बात
अब पराली को जलाने की जरूरत नहीं, कम खर्च में खाद में बदल देंगी ये 5 मशीनें