उत्तर प्रदेश के जांबाज पुलिस ऑफिसर डिप्टी एसपी रह चुके शैलेंद्र सिंह बाहुबली मुख्तार अंसारी के खिलाफ कार्रवाई करके खूब चर्चित हुए. राजनीतिक दबाव के चलते उन्हें 2004 में नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा. चंदौली के रहने वाले शैलेंद्र सिंह नौकरी छोड़ने के बाद एक दशक से ज्यादा समय तक मुसीबतों से घिरे रहे. वही अब लखनऊ के नई जेल के पीछे फार्म हाउस में शुद्ध देसी गायों का संरक्षण कर रहे हैं. साथ ही यहां पर बैलों की मदद से बिजली भी पैदा कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की संख्या इन दिनों लगभग 9 लाख से ऊपर है. ये पशु किसानों के लिए बड़ी समस्या बने हुए हैं. शैलेंद्र सिंह ने इस समस्या से किसानों को छुटकारा दिलाने के लिए एक प्रयोग शुरू किया और उन्होंने लंबी मेहनत के बाद नंदी रथ नाम की एक बैलगाड़ी बनाई है. जिस पर बैलों की मदद से बिजली बनाई जा रही है.
शैलेंद्र सिंह अपने फार्म हाउस पर बैलों की मदद से सफलतापूर्वक बिजली का उत्पादन करके अपनी जरूरतों को भी पूरा कर रहे हैं. वहीं उन्होंने सरकार को भी एक राह दिखाई है. किसानों के लिए भी अब आवारा बैल समस्या नहीं, बल्कि उनके लिए मददगार साबित होंगे जो उनकी आय बढ़ाने में काफी ज्यादा मददगार होंगे.
2004 में नौकरी से इस्तीफा देने के बाद शैलेंद्र सिंह बेसहारा हो चुके थे. उनके पास कोई काम नहीं था. ऐसे में उन्होंने पशु संरक्षण पर काम करना शुरू किया. सबसे पहले उन्होंने गिर और साहीवाल नस्ल की गायों को पाला और उनकी मदद से प्राकृतिक खेती शुरू की. उनके सफल प्रयोग की चारों तरफ जब तारीफ होने लगी, तो उन्होंने सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं की समस्या को दूर करने के लिए काम शुरू किया. उन्होंने एक ऐसा यंत्र बनाया जिसकी मदद से बिजली पैदा हो रही है.
उन्होंने इस रथ को नंदी रथ नाम दिया. बैलगाड़ी की तरह दिखने वाले इस रथ पर बैल बड़े आसानी से चलते हुए बिजली बनाते हैं. वही एक बैल 2 घंटे में 2 किलो वाट बिजली बना लेता है. पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह का कहना है कि उनके इस प्रयोग को सरकार अगर अपनाती है, तो बिजली की समस्या दूर होगी और किसानों के लिए आवारा पशु समस्या नहीं, बल्कि समाधान बन जाएंगे. उनके नंदी रथ पर एक साथ अगर 100 बैल को चलाया जाए तो प्रतिदिन 1 मेगावाट बिजली पैदा हो जाएगी.
आवारा पशुओं के लिए बनाए गए नंदी रथ की मदद से बिजली ही नहीं पैदा होगी, बल्कि किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी. नंदी रथ को बनाने वाले शैलेंद्र सिंह का कहना है कि उनकी इस तकनीक के माध्यम से छुट्टा पशुओं की समस्या का समाधान होगा. वही किसानों के लिए उनका नंदी रथ काफी मददगार साबित होगा.
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बैलगाड़ी की तरह इसे पोर्टेबल बनाया गया है. किसान इसे बड़े आसानी से अपने खेत पर ले जा सकता है और बैलों की मदद से खेत की सिंचाई, आटे की पिसाई और घर की बिजली भी पैदा कर सकता है. सरकार अगर उनके इस नंदी रथ के मॉडल को अपनाती है तो इससे किसानों का भला होगा. सरकार नंदी रथ पर किसानों को सब्सिडी देती है तो निश्चित रूप से प्रदेश के ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ बैल की भूमिका काफी सहयोगी होगी.
पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह के द्वारा अविष्कार किए गए नंदी रथ की प्रसिद्धि अब विदेशों में भी पहुंच चुकी है. नंदी रथ को देखने के लिए सरकार के अधिकारी ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग आ रहे हैं. शैलेंद्र सिंह ने बताया कि उनके द्वारा अपने इस विशेष प्रकार के नंदी रथ से बिजली पैदा करने में गियर बॉक्स का सबसे बड़ा योगदान है, जिसका उन्हें पेटेंट मिल चुका है. उनकी यह तकनीकी काफी क्रांतिकारी है जिसकी मदद से आने वाले समय में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी.
पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह बताते हैं कि अभी उनके फॉर्म पर एक नंदी रथ बनाने में लगभग डेढ़ लाख रुपए की लागत आ रही है. उनके यहां अब तक 2 दर्जन नंदी रथ का निर्माण किया जा चुका है. अगर बड़े पैमाने पर नंदी रथ का निर्माण किया जाए तो इसकी लागत एक लाख तक आ सकती है. उत्तर प्रदेश सरकार से इस प्रोजेक्ट पर वार्ता चल रही है. प्रदेश में बड़ी संख्या में आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं. ऐसे में सरकार भी नंदी रथ को लेकर दिलचस्पी ज्यादा दिखा रही है. हाल ही में उनके फार्म हाउस पर ग्रामीण विकास विभाग और मुख्यमंत्री के निजी सलाहकार अवनीश अवस्थी भी आए थे.
नंदी रथ के माध्यम से बैल के द्वारा बिजली बनाने का सफल प्रयोग पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह के द्वारा किया जा रहा है. पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह बताते हैं कि उनकी नंदी रथ पर अगर एक बैल 2 घंटे तक चलता है तो 2 किलो वाट यानी 6 यूनिट बिजली पैदा होती है. वही एक साथ 100 बैल नंदी रथ पर चलाते हैं तो प्रतिदिन 1 मेगावाट की बिजली पैदा होगी. अगर बात करें नंदी रथ के माध्यम से बिजली पैदा करने की खर्च की तो हाइड्रो और सोलर से कम है. सौर ऊर्जा के माध्यम से अभी तक 3 रुपए प्रति यूनिट का खर्च आता है, जबकि उनके नंदी रथ के माध्यम से डेढ़ रुपए प्रति यूनिट का खर्च आ रहा है.
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अगर बैलों के गोबर का उपयोग भी किया जाए तो यह खर्च 1 रुपए प्रति यूनिट हो जाएगा जो काफी सस्ता विकल्प है.
नंदी रथ किसानों के लिए एक उपयोगी माध्यम बन सकता है. वही अगर सरकार नंदी रथ के मॉडल को अपनाती है और इस पर सब्सिडी देती है तो किसानों के लिए काफी उपयोगी होगा. नंदी रथ पर 75% की सब्सिडी के बाद किसानों को यह 50 हजार रुपए में मिल जाएगा. वही इसके माध्यम से किसान पैदा होने वाली बिजली से आटा चक्की, चारा मशीन, खेतों में सिंचाई और घरेलू बिजली के लिए आपूर्ति कर सकता है.
नंदी रथ के माध्यम से सिंचाई करना किसानों के लिए काफी सस्ता विकल्प होगा. अभी तक डीजल पंप के द्वारा सिंचाई करने पर प्रति हेक्टेयर का खर्च 1 हजार रुपए आता है, लेकिन नंदी रथ के माध्यम से 200 रुपए में 1 एकड़ की सिंचाई हो सकती है जो किसानों के लिए काफी सस्ता विकल्प होगा.
पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी हाईवे और एक्सप्रेसवे पर आवारा पशुओं से बढ़ते हादसों को रोकने और इनके उपयोग के लिए अपने मॉडल को समझाया है. शैलेंद्र सिंह का कहना है कि हाईवे और एक्सप्रेस-वे के किनारे आवारा पशुओं के उपयोग करके इलेक्ट्रिक वाहनों का चार्जिंग स्टेशन बनाया जा सकता है. इससे जहां एक्सप्रेस-वे और हाईवे पर आवारा पशुओं की संख्या में कमी आएगी. वही यह पूर्णतया पर्यावरण के लिए भी अनुकूल होगा.