फलों और सब्जियों की उन्नत पौध तैयार करने के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ग्राफ्टिंग यूनिट शुरू होने जा रही है. इस यूनिट के जरिए उन्नत और अच्छी किस्म के पौधों का विकास किया जाएगा, जो ज्यादा पैदावार देने में सक्षम होंगे. इन पौधों को नर्सरी में तैयार करके के किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा. विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिए रोगरहित और ज्यादा उपज देने वाली पौध तैयार करने में मदद मिलती है.
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) में वेजिटेबल ग्राफ्टिंग यूनिट का शुभारंभ 5 जनवरी को हरियाणा के मुख्य सचिव विवेक जोशी कर रहे हैं. इस मौके पर शहरी खेती एक्सपो एवं पुष्प उत्सव में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को वह पुरस्कृत भी करेंगे. इस यूनिट के जरिए उन्नत और अच्छी किस्म के पौधों का विकास किया जाएगा, जो रोगों से लड़ने में सक्षम होने के चलते ज्यादा पैदावार देंगे. यहां पर ग्राफ्टिंग ट्रेनिंग लेकर किसान खुद से नर्सरी में पौध तैयार कर अपनी उपज बढ़ा सकेंगे.
हकृवि के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि वेजिटेबल ग्राफ्टिंग यूनिट की स्थापना राष्ट्रीय कृषि विकास योजना रफ्तार परियोजना के तहत की गई है. इसमें 175 लाख रुपए की लागत आई है. कुलपति ने बताया कि सब्जियों में ग्राफ्टिंग तकनीक एक अनूठी बागवानी तकनीक है, जिसमें दो अलग-अलग पौधों को एक साथ जोड़ कर एक नया पौधा विकसित किया जाता है. किसान इस तकनीक को सीखकर उच्च श्रेणी की नर्सरी तैयार कर सकेंगे और किसानों को कई बीमारियों से बिना रसायन निजात मिल सकेगी.
वेजीटेबल यूनिट में ग्राफ्टिंग करने के लिए हाइटेक ग्रीन हाउस सहित 6 ढांचों को बनाया गया है. हकृवि की आधुनिक ग्राफ्टिंग यूनिट में फैनपैड पॉलीहाउस, ग्रीन हाउस सहित नर्सरी, अंकुरण चैम्बर, स्टोर रूम, लैबोरेटरी, पैकिंग हाउस और ट्रेनिंग हाल शामिल है. इसके इलावा 5 टनल भी बनाई गई हैं जिसमें रूट स्टॉक की स्क्रीनिंग भी की जा सकती है.
ग्राफ्टेड पौध तैयार करने की विधि में अंकुरण चैम्बर में नियंत्रित परिस्थितियों में किसी भी मौसम में बीज का अंकुरण करवाया जाता है. अंकुरित होने के बाद पौध को नर्सरी में 30 दिन के लिए रखा जाता है, जिससे पौध तैयार हो जाती है. तैयार पौध की ग्राफ्टिंग के लिए उसे ग्राफ्टिंग चैम्बर सहित पॉलीकार्बोनेट नर्सरी ढांचे में 8 दिन के लिए रखा जाता है. उसके बाद 3 दिन के लिए ग्राफ्टेड पौध की हार्डनिंग नर्सरी में करवाई जाती है.
विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि 11 दिन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ग्राफ्टेड पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है. अब तैयार पौध को फैनपैड पॉलीहाउस या ग्रीन शैड नेट या कीट मुक्त नैट हाउस में लगाया जा सकता है. किसान के पास उपलब्ध किसी भी संरक्षित खेती के ढांचे में ग्राफ्टेड पौध को लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कद्दू वर्ग की फसलों की ग्राफ्टिंड पौध की रोपाई खुले खेत में की जा सकती है.