मध्य प्रदेश के छोटे शहर कटनी के किसान कुछ ऐसा कर रहे हैं जो देश के बाकी किसानों के लिए प्रेरणा हो सकता है. राज्य में पराली जलाने को लेकर सरकार काफी सख्त है और ऐसे में किसान भी काफी सावधानी बरत रहे हैं. किसानों को पराली में राहत दिलाने और इसके प्रबंधन के लिए हैप्पी सीडर मुहैया कराया गया है. इस हैप्पी सीडर की मदद से किसानों को पराली की समस्या से तो छुटकारा मिल ही रहा है, साथ ही साथ मूंग जैसी फसलों की खेती की लागत भी कम हो रही है.
राज्य के किसान कल्याण और कृषि विभाग की तरफ से एक खास पहल की गई थी जिसमें हैप्पी सीडर मुहैया कराया गया था. इस पहल के तहत विकासखंडों को करीब 30 गांवों की सवा दो हजार एकड़ जमीन पर किसानों को हैप्पी सीडर के जरिय पराली प्रबंधन के बारे में बताया गया. प्रबंधन के तौर-तरीकों का प्रदर्शन किसानों के सामने किया गया और उन्हें पूरी जानकारी भी दी गई. कटनी के कैलवाराकला, पठरापठरा, बामनमार, टिकरवारा, पडरिया और गुलवारा में हैप्पी सीडर का प्रदर्शन एक आयोजन के तहत किया गया.
कृषि अधिकारियों के अनुसार पराली जलाना एक बड़ी समस्या है और इससे वायु प्रदूषण भी बढ़ता है. साथ ही साथ मिट्टी के पोषक तत्वों में भी कमी आती है. उनका कहना था कि धान की कटाई के बाद पराली जलाने से गेहूं की बोनी भी प्रभावित होती है. साथ ही साथ गेहूं की फसल पकने में भी समय लगता है. अगर किसान धान की फसल को काटने के बाद हैप्पी सीडर का प्रयोग करें तो फसल को काटते हुए ही गेहूं की सीधी बोनी की जा सकती है. हैप्पी सीडर फसल अवशेषों को काटकर सतह के ऊपर ही छोड़ देता है. ऐसे में यह मल्च का काम करता है. मध्य प्रदेश की सरकार हैप्पी सीडर की खरीद के लिए किसानों को सब्सिडी भी देती है.
वहीं कुछ गांवों के किसानों की मानें तो हैप्पी सीडर की मदद से की गई मूंग की खेती में उन्हें काफी फायदा हुआ. इससे जब खेती की गई तो लागत में कमी आई और उन्हें अच्छी उत्पादकता भी हासिल हुई. राज्य के किसान मानने लगे हैं कि अगर हैप्पी सीडर का प्रयोग किया जाए तो किसानों का फायदा हो सकता है. राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी इस बारे में एक्स पर पोस्ट किया और हैप्पी सीडर के फायदे गिनाएं हैं.
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