उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की छात्रा पूजा पाल ने एक ऐसी अनोखा 'धूल रहित थ्रेशर मशीन' मॉडल बनाया है, जो किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है. खास बात यह है कि यह मॉडल थ्रेशर मशीन की धूल को हवा में उड़ने नहीं देता, जिससे खेतों में और आसपास रह रहे लोगों को परेशानी नहीं होती. पूजा ने यह मॉडल कक्षा 8 में पढ़ाई के दौरान तैयार किया था. पूजा ने क्लास में पढ़ने के दौरान देखा कि थ्रेशर मशीन से उड़ने वाली धूल से उन्हें और अन्य बच्चों को परेशानी हो रही है.
साथ ही यह भी समझा की जो इसके नजदीक होता है, उसे कितनी परेशानी से गुजरना पड़ता है. इसी से प्रेरित होकर उन्होंने टिन और पंखे की मदद से एक ऐसा डिजाइन तैयार किया, जिसमें उड़ने वाली धूल एक थैले में इकट्ठा हो जाती है. यह मशीन पर्यावरण के अनुकूल तो है ही, साथ ही किसानों को आंख, फेफड़े और त्वचा संबंधी बीमारियों से भी बचा सकती है.
पूजा ने इस मशीन को तैयार करने में महज ₹3,000 खर्च किए, वह भी तब जब उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है. उनकी यह सस्ती और स्मार्ट खोज अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराही जा रही है. जापान में आयोजित एक प्रतियोगिता में पूजा के मॉडल को पेश किया गया. इससे उनके इनोवेशन को न सिर्फ पहचान मिली, बल्कि देशभर में उनका नाम चर्चा में आ गया है.
सिरौलीगौसपुर तहसील के छोटे से गांव अगेहरा की रहने वाली पूजा के पिता पुत्तीलाल मज़दूरी करते हैं और मां सुनीला देवी एक स्कूल में रसोइया हैं. बिजली, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित इस परिवार में पूजा पांच भाई-बहनों के साथ रहती हैं. इन कठिन हालातों में भी उन्होंने चारा काटने और पशुओं की देखभाल जैसे काम करते हुए पढ़ाई जारी रखी.
पूजा आगे अपनी पढ़ाई करते हुए कुछ काम करते रहना चाहती हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से अपने परिवार की मदद कर सकें. वहीं, वह अपने गांव के बच्चों की भी पढ़ाई में मदद करने का इरादा रखती हैं. पूजा की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि मजबूत इरादे और सच्ची लगन हो तो संसाधनों की कमी कभी बाधा नहीं बनती. उन्होंने विज्ञान को आम आदमी के काम में लाने का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है. इसी मॉडल ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई और लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बना दिया.
पूजा की उपलब्धियों के बाद सरकार ने मदद का आश्वासन तो दिया है, लेकिन अभी तक उनके घर की बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. एक तरफ वह लड़की है, जो जापान में भारत का नाम रोशन कर रही है, दूसरी ओर उसके घर की छत से बारिश टपकती है और रात में पढ़ने के लिए रोशनी का कोई स्थायी साधन नहीं है.