पुणे, महाराष्ट्र के दो भाई सत्यजीत और अजिंक्य हांगे इन दिनों कुछ ऐसा कर रहे हैं जो आने वाले समय में देश में खेती की सूरत को बदल सकता है. दोनों भाईयों ने करीब एक दशक तक कॉरपोरेट बैंकिंग के माहौल में सटीकता, पारदर्शिता और ट्रेसेबिलिटी की क्षमता को निखारा.अब दोनों इन्हीं खूबियों का प्रयोग पुणे से 150 किलोमीटर दूर बोधिनी गांव में अपने खेत में कर रहे हैं. दोनों भाई अपने खेत पर अपनी इन क्षमताओं को और विस्तार दे रहे हैं. जानिए कौन हैं सत्यजीत और आंजिक्य और पिछले कुछ सालों से दोनों कृषि से जुड़े किस महत्वपूर्ण काम को पूरा करने में लगे हुए हैं.
सत्यजीत और आंजिक्य ने साल 2012 में टू ब्रदर्स ऑर्गेनिक फार्म्स (TBOF) की शुरुआत की थी. आज उनकी यह फर्म अपने ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट्स के लिए मशहूर है. अब उनकी यह फर्म अपने बेचे जाने वाले हर उत्पाद की कहानी बताने के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रही है. रिटेल स्टोर से लेकर ईकॉमर्स और क्विक कॉमर्स सर्विसेज के जरिए इसके बारे में कंज्यूमर्स को बताया जा रहा है. अखबार द हिंदू बिजनेसलाइन के अनुसार टू बदर्स ऑर्गेनिक की कहानी मिट्टी की हेल्थ, देशी बीज, बुवाई, पानी, पोषक तत्वों, कटाई, परीक्षण और निश्चित तौर पर पैकेजिंग से जुड़ी हुई है. इसके प्रॉडक्ट्स, चाहे वह गन्ना हो, मूंगफली, मूंगफली का तेल, दालें, रागी या बाजरा का आटा, इनके बारे में बैचों में पता लगाया जाता है. फिर हर कंज्यूमर को इसका इतिहास बताया जाता है.
सत्यजीत के अनुसार, 'हमने बीज से कटाई के चरण तक डेटा में हेरफेर से बचने के लिए पॉलीगॉन की पब्लिक टेंपर प्रूफ ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को चुना.' वह बताते हैं कि ट्रेसेबिलिटी के लिए बैकएंड प्रॉसेस प्रॉडक्ट रजिस्ट्रेशन से शुरू होती है. इसमें हर प्रॉडक्ट को एक खास आईडी, क्यूआर कोड, बारकोड या रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) और मैन्युफैक्चर के नाम और बैच नंबर जैसे प्रमुख मेटाडेटा के साथ सिस्टम में जोड़ा जाता है. जैसे-जैसे हर प्रॉडक्ट अपने जीवनचक्र से गुजरता है, बुवाई, खेती और मैन्युफैक्चरिंग जैसी अहम घटनाओं को टाइमस्टैम्प, स्थान, ऑपरेटर और स्थिति जैसी डिटेल्स के साथ लॉग किया जाता है.
यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रॉडक्ट का एक समृद्धशाली इतिहास रहा है, एक पूरी सीरीज को मेनेटन किया जा रहा है. इस पूरे डेटा को डेटाबेसेज में सहेजकर रखा जाता है जैसे कि टेंपर प्रूफ रिकॉर्ड्स के लिए ब्लॉकचेन. सत्यजीत की मानें तो एक ऑडिट चेन को भी व्यवस्थित किया जा रहा है जो पूरी पारदर्शिता और इसकी कभी न बदली जाने वाली स्थिति को सुनिश्चित करती है. एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) से कंज्यूमर को यह मंजूरी मिलती है कि वह प्रॉडक्ट का इतिहास जान सके, इसकी सत्यता की पुष्टि कर सके और इसकी स्थिति को परख सके.
इस पूरी प्रक्रिया का मतलब यही है कि खरीदार यह जान सकते हैं कि रिटेल स्टोर में आने से लेकर प्रॉडक्ट को कब बोया गया था, इसकी जानकारी भी उपभोक्ता को मिल सकती है. इसके अलावा बीज बोने से लेकर फसल की कटाई तक हर चरण यानी कीटनाशक प्रंबधनन, सिंचाई, उर्वरकों तक के बारे में भी जानकारी दी जाती है. टू ब्रदर्स ऑर्गेनिक फार्म जैविक खेती करने वाले किसानों से संपर्क में रहने के अलावा उनके प्रॉडक्ट को भी खरीदता है.
फर्म के पास फार्मर रिलेशनशिप मैनेजर्स भी हैं जो किसानों के साथ काम करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि हर कदम पर डेटा को महफूज किया जा सके. सत्यजीत के अनुसार एक प्रॉडक्ट नाम और पूरी जानकारी के साथ तो उपलब्ध है ही साथ ही साथ इस पर किसान की फोटोग्राफ भी रहती है. इसके अलावा खेत का गूगल मैप भी मुहैया कराया जाता है. कंज्यूमर को
TBOF का सालाना टर्नओवर करीब 200 करोड़ का है और कंपनी इस समय करीब 100 किसानों के साथ मिलकर काम कर रही है. फर्म का 20 प्रतिशत बिजनेस इंटरनल सेल से होती है. जबकि 70 फीसदी खरीदार वेबसाइट से आते हैं. 15 फीसदी बिक्री अमेजन के जरिये और 15 फीसदी क्विक कॉमर्स से होती है. यहां तक पहुंचना दोनों भाईयों के लिए आसान नहीं था क्योंकि दोनों को अपने माता-पिता को कॉरपोरेट जॉब छोड़ने के मनाना था और खेती से जुड़ना था. इसके बाद उन्हें अपने 21 एकड़ के खेत पर मिट्टी को फिर से जिंदा करना था ताकि इसे ऑर्गेनिक खेती के लिए तैयार किया जा सके. लेकिन आज दोनों भाईयों को पूरी उम्मीद है कि आने वाले कुछ सालों में उनकी फर्म एक बड़ा बदलाव लाएगी.
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