बाग-बगीचा : नाम अजीब है और डरावना भी लेकिन बेहद फायदेमंद है ड्रैगन फ्रूट क्योंकि अपने लजीज स्वाद के लिए जाना जाने वाला और कई गंभीर बीमारियों के लिए यह फल रामबाण इलाज साबित होता है. थाइलैंड, चीन और मलेशिया में इसकी बागवानी की जाती है. चूंकि पूरी दुनिया में चीन से इसका फैलाव हुआ, इसलिए नाम ड्रैगन फ्रूट पड़ गया. इस फल के बारे में एक दिलचस्प तथ्य ये है कि चीनी लोगों का मानना है कि इसकी उत्पत्ति युद्ध के दौरान ड्रैगन की आग से हुई थी. इससे जुड़े मिथकों को तोड़ते हुए इस फल में कुछ ऐसी चीजें हैं जो इसे हमारे लिए सुपर हेल्दी बनाती हैं. चूंकि हमारे देश में इसकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. इस वजह से कई किसान अपने खेतों में ड्रैगन फ्रूट की बागवानी में बहुत रुचि ले रहे हैं और सालाना लाखों की कमाई कर रहे हैं. इस बाग-बगीचा सीरीज में ड्रैगन फ्रूट की बागवानी की खासियत और इसकी बागवानी के तरीकों के बारे में जानेंगे.
ड्रैगन फ्रूट की बागवानी कम वर्षा वाले स्थानों पर भी आसानी से की जा सकती है. इसके पौधों में मौसम के उतार-चढ़ाव को झेलने की क्षमता अधिक होती है, इसलिए इसकी बागवानी सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है और अच्छी पैदावार ली जा सकती है. औषधीय गुणों से भरपूर ड्रैगन फ्रूट में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. यह कैंसर से लड़ने में मदद करता है और इसमें विटामिन सी होता है. इसमें कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता होती है. यह मधुमेह और अस्थमा जैसी बीमारियों में भी फायदेमंद है. एक ड्रैगन फ्रूट में 60 कैलोरी ऊर्जा होती है, तभी इसे सुपर फ्रूट कहा जाता है.
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कृषि विज्ञान केंद्र पूसा समस्तीपूर के हेड और बागवानी विशेषज्ञ डॉ एपी. सिंह ने किसान तक को बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती विदेशों में खास तौर पर वियतनाम में होती थी. ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल काट कर खाने के लिए किया जाता है और फलों के अंदर कीवी की तरह ही बीज पाए जाते हैं. इसके फल का इस्तेमाल खाद्य पदार्थों को बनाने के लिए भी किया जाता है. इसके फल से जैम, जेली, आइसक्रीम, जूस और वाइन को तैयार किया जाता है. इसके अलावा पौधों को सजावट के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है. उन्होंने बताया कि एक उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) फल है जो दिखने में बिल्कुल अलग होता है. इसका पौधा नागफनी के पौधे की तरह होता है. इसका फल खाने में थोड़ा कुरकुरा और मीठा होता है. इसकी बनावट आग उगलने वाले ड्रैगन के जैसी है, इसलिए इसका यह नाम फ्रूट ड्रैगन रखा गया है.
ड्रैगन फ्रूट की बागवानी कम वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है. बरसात को छोड़कर आप किसी भी मौसम में इसके पौधे या बीज का रोपण कर सकते हैं. इसके लिए तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस अच्छा होता है. मार्च से जुलाई के बीच का समय इसके पौधे और बीज को लगाने का बेहतर समय होता है. इसके पौधों को कलम से लगाना बेहतर होता है. कलम के रूप में लगाने पर पौधा दो साल बाद पैदावार देना शुरू कर देता है जबकि बीज से तैयार करने में चार-पांच साल लग जाते हैं. इसकी बागवानी के लिए जब भी कलम या बीज खरीदें, प्रमाणित या विश्वसनीय दुकान से ही खरीदें.
बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एपी. सिंह के अनुसार, ड्रैगन फ्रूट के पौधे को लगाने के लिए खेत में 10x8 फीट की दूरी पर सीमेंट के खंभों को बनवाया जाता है और उसके सहारे पौधे लगाए जाते हैं. प्रति एकड़ लगभग 17 सौ पौधे रोपित किए जाते हैं. एक बार बड़ी रकम खर्च करने के बाद उसी ढांचे पर 25 साल तक ड्रैगेन फ्रूट की जा सकती है. एक खंभे के पास चार पौधे रोपित किए जाते हैं. ड्रैगेन फ्रूट के पौधे लगाने के लगभग छह महीने बाद फल आने शुरू हो जाते हैं और लगभग एक साल बाद सभी पौधे से शत प्रतिशत फल आने लगते हैं. एक पौधे से लगभग चार से पांच फल मिल जाते हैं. बाजार में यह फल 600 से 800 रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है.
ड्रैगन फ्रूट एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण कैंसर और मधुमेह के जोखिम को कम करने में मदद करता है. अपने दैनिक आहार में इस सुपरफ्रूट को शामिल करने की सलाह दी जाती है. ड्रैगनफ्रूट का स्वाद कीवी और नाशपाती के मिले जुले स्वाद के जैसा होता है. इसमें छोटे-छोटे काले बीज होते हैं. इस फल में प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है. यह फल ब्लड शुगर के स्तर को बनाए रखता है और डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों में इसके उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करता है. इस फल में एंटी-कैंसर गुण होते हैं जिससे कोलन कैंसर होने का खतरा कम होता है.
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ड्रैगन फ्रूट विटामिन सी से भरपूर होने की वजह से इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है. पाचन (डाइजेशन) के लिए अच्छा है. यह फल अच्छे बैक्टीरिया के विकास में मदद करता है, जिनसे पाचन में मदद मिलती है. लाल रंग के गूदे वाले ड्रैगनफ्रूट में बीटालेन होता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. यह दिल की बीमारियों के खतरे को कम करता है. इस फल में बीटा-कैरोटीन होता है जो मोतियाबिंद और मैक्यूलरडिजनरेशन जैसी आंखों की बीमारियों से बचाता है.