Agri Tech: रोहतास की महिला ने सपनों को दी उड़ान, बनी जिले की पहली ड्रोन पायलट

Agri Tech: रोहतास की महिला ने सपनों को दी उड़ान, बनी जिले की पहली ड्रोन पायलट

ड्रोन तकनीक कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है. रोहतास जिले के कोचस प्रखंड के रूपीबांध गांव की रहने वाली जूही कुमारी ने इफको फूलपुर (प्रयागराज) से ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग के बाद उन्हें सरकार की ओर से इफको कंपनी द्वारा निःशुल्क कृषि ड्रोन उपलब्ध कराया गया जिसकी मदद से आज जूही कुमारी खेतों में छिड़काव का काम बड़ी आसानी से कर पा रही हैं.

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क‍िसान तक
  • Sasaram,
  • Feb 20, 2025,
  • Updated Feb 20, 2025, 2:19 PM IST

महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं जिनकी मदद से आज लाखों महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. उन्हीं योजनाओं में से एक है ड्रोन दीदी योजना. इस योजना के जरिए ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं अपने सपनों को नई उड़ान दे रही हैं और समाज में अपनी अलग पहचान बना रही हैं. रोहतास जिले की 28 वर्षीय जूही कुमारी, जो एक गृहिणी और किसान के रूप में जानी जाती थीं, अब ड्रोन पायलट बनकर मिसाल कायम कर रही हैं. उन्होंने कृषि ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग लेकर अपनी सफलता की कहानी लिखी है.

जूही कुमारी ने बताया कि कृषि ड्रोन उड़ाने के बाद पायलट वाली फीलिंग आती है. उन्होंने कहा ग्रेजुएशन तक पढ़ाई करने के बाद आगे पढ़ाई का मौका नहीं मिला. लेकिन इसी शिक्षा के सहारे मैंने ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग लेकर खुद को साबित किया कि मैं हर काम को करने में सक्षम हूं और यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है.

ड्रोन से बदल रहा खेती का तरीका

ड्रोन तकनीक कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है. रोहतास जिले के कोचस प्रखंड के रूपीबांध गांव की रहने वाली जूही कुमारी ने इफको फूलपुर (प्रयागराज) से ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग के बाद उन्हें सरकार की ओर से इफको कंपनी द्वारा निःशुल्क कृषि ड्रोन उपलब्ध कराया गया. जिसकी मदद से आज जूही कुमारी खेतों में छिड़काव का काम बड़ी आसानी से कर पा रही हैं. इतना ही नहीं वो अपने साथ-साथ दूसरे किसानों को भी ड्रोन तकनीक के बारे में जानकारी दे रही हैं और उन्हें जागरूक कर रही हैं.

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500 एकड़ से अधिक क्षेत्र में किया छिड़काव

जूही पिछले 10 महीनों से खेती के लिए कृषि ड्रोन का इस्तेमाल कर रही हैं. अब तक उन्होंने ड्रोन की मदद से 500 एकड़ से ज़्यादा क्षेत्र में नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और खाद का छिड़काव किया है. हालांकि उनका यह भी मानना ​​है कि किसानों में ड्रोन को लेकर जागरूकता की कमी है. फिर भी जिन किसानों ने उनकी ड्रोन सेवाओं का इस्तेमाल किया है वे दूसरे किसानों को भी इसे अपनाने का सुझाव दे रहे हैं.

ड्रोन से बच रहा पानी दवा और समय

जूही ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि पारंपरिक तरीकों से एक एकड़ जमीन में दवा का छिड़काव करने के लिए 150-200 लीटर पानी और दो-तीन मजदूरों की जरूरत पड़ती है. दवा की कीमत समेत कुल लागत करीब 1200 रुपये आती है. वहीं कृषि ड्रोन के जरिए एक एकड़ जमीन में सिर्फ 10 लीटर पानी और 300 रुपये खर्च होते हैं. इसके साथ ही कुछ ही मिनटों में दवा का छिड़काव हो जाता है.

वहीं दूसरी तरफ जूही कुमारी का कहना है कि यह योजना न केवल महिलाओं को सशक्त बना रही है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने का भी मौका दे रही है. उनकी इस उपलब्धि ने रोहतास जिले में महिलाओं के लिए एक नई प्रेरणा पैदा की है.

ड्रोन ट्रेनिंग के लिए कर रहीं प्रेरित 

जूही अब अन्य महिलाओं को भी ड्रोन ट्रेनिंग के लिए प्रेरित कर रही हैं. वह चाहती हैं कि ग्रामीण महिलाएं भी इस तकनीक का उपयोग कर अपने परिवार और समाज में योगदान दें. ड्रोन दीदी योजना के माध्यम से महिलाओं के लिए नई संभावनाओं के द्वार खुले हैं. जूही कुमारी का यह प्रयास न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है बल्कि यह ग्रामीण भारत के लिए एक नई उम्मीद भी है. (सासाराम से मनोज कुमार सिंह का इनपुट)

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