Nandi Rath: कार्बन क्रेडिट से पैसा कमाने के लिए तैयार हुआ नंदी रथ, शैलेंद्र सिंह की तकनीक को मिला ग्लोबल पेटेंट, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Nandi Rath: कार्बन क्रेडिट से पैसा कमाने के लिए तैयार हुआ नंदी रथ, शैलेंद्र सिंह की तकनीक को मिला ग्लोबल पेटेंट, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देने के बाद शैलेंद्र सिंह ने नंदी रथ का निर्माण किया जिस पर बैलों के माध्यम से बिजली सिंचाई की जाती है. नंदी रथ में लगे हुए गियर बॉक्स को अब ग्लोबल पेटेंट मिल चुका हैं.कार्बन उत्सर्जन को कम करने के क्षेत्र में नंदी रथ एक बड़ा माध्यम बनेगा . नंदी रथ से किसान बिजली ही नहीं पैदा करेगा बल्कि इससे सिंचाई ,चारे की कटाई, आटा चक्की कुछ चल सकेगा

नंदी रथ से कार्बन क्रेडिट के माध्यम से किसानों की होगी कमाईनंदी रथ से कार्बन क्रेडिट के माध्यम से किसानों की होगी कमाई
धर्मेंद्र सिंह
  • Lucknow ,
  • Aug 28, 2023,
  • Updated Aug 28, 2023, 11:09 AM IST

भारत आने वाले समय में कार्बन क्रेडिट का सबसे बड़ा बाजार बनने जा रहा है. भविष्य के  इस बाजार को देखते हुए अब कार्बन क्रेडिट के क्षेत्र में सक्रिय कंपनियां भी भारत का रुख करने लगी है. ऐसी ही एक कंपनी ने नंदी रथ को बनाने वाले पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह से भी संपर्क किया है. पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देने के बाद शैलेंद्र सिंह ने नंदी रथ का निर्माण किया . नंदी रथ पर बैलों के माध्यम से बिजली का उत्पादन और खेतो की  सिंचाई की जाती है. नंदी रथ में लगे हुए गियर बॉक्स को अब ग्लोबल पेटेंट मिल चुका हैं. 31 मार्च 2023 को नंदी रथ की गियर बॉक्स को ग्लोबल पेटेंट मिलते ही कार्बन क्रेडिट की क्षेत्र में काम करने वाली विदेशी कंपनियां सक्रिय हो गई. कार्बन उत्सर्जन को कम करने के क्षेत्र में नंदी रथ एक बड़ा माध्यम बनेगा . नंदी रथ से किसान बिजली ही नहीं पैदा करेगा बल्कि इससे सिंचाई ,चारे की कटाई, आटा चक्की भी चल सकती है . इन कामों के माध्यम से पैदा होने वाले कार्बन क्रेडिट के माध्यम से किसानों की कमाई भी होंगी. पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह का कहना है की एक नदी रथ के माध्यम से किसान हर साल कार्बन क्रेडिट के माधयम से डेढ़ से दो लाख रुपए तक की कमाई कर सकता है.

पर्यावरण को बचाना भी अब किसान की जिम्मेदारी

 कृषि क्षेत्र में किसान का सबसे महत्वपूर्ण काम देश के लोगो का पेट भरने के लिए अनाज का उत्पादन करना हैं लेकिन अब किसानों के ऊपर एक बड़ी जिम्मेदारी भी आ गई है वह है पर्यावरण को बचाने की. ग्लोबल वार्मिंग के लिए खेती की प्रचलित विधियां भी जिम्मेदार है क्योंकि लगातार जलवायु परिवर्तन के साइड इफेक्ट से कहीं बाढ़ कहीं सूखा तो कहीं भयंकर बर्फबारी हो रही है जिससे हमारे फैसले तबाह हो रही है और किसान कर्ज में डूब रहा है. ऐसे में किसानों को इस तरीके से तैयार किया जा रहा है जिससे कि खेती में ऐसे विधि का प्रयोग करके ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम से कम हो सके. इससे पैदा होने वाले कार्बन क्रेडिट से किसानों की कमाई भी बढ़ेगी . 

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नंदी रथ के नए मॉडल से खूब पैदा होगी बिजली

पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने किसान तक से खास बातचीत में बताया कि नंदी रथ का एक नया मॉडल विकसित किया जा रहा है जिसके माध्यम से अब 1500 आरपीएम के माध्यम से टोर्क पैदा होगा जिससे एक बैल के द्वारा 10 किलो वाट की बिजली  पैदा होगी. पहले माडल से नंदी रथ पर एक बैल के  माध्यम से केवल 5 किलो वाट की बिजली ही पैदा होती थी. वही एक यूनिट बिजली पैदा करते का खर्च भी एक रुपए प्रति यूनिट है जोकि सबसे कम है. इस नए मॉडल में नंदी रथ के साथ वाटर व्हील जुड़ी होगी जिस पर पानी की धार गिरते ही टरबाइन चलने लगेगी. इससे बिजली पैदा करने के साथ-साथ किसानों को सिंचाई के लिए पानी भी साथ ही मिल सकेगा. बैलों के लिए इस नंदी रथ को चलाना काफी आसान होगा. शैलेंद्र सिंह ने बताया की नया नंदी रथ सितंबर महीने के अंत तक तैयार हो जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी नंदी रथ को लेकर खासी दिलचस्पी दिखाई है . 

नंदी रथ से कार्बन क्रेडिट के माध्यम से किसानों की होगी कमाई

 नंदी रथ की चर्चा देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक  होने लगी है. बैलों के माध्यम से बिजली पैदा करने के लिए इसकी चर्चा नहीं हो रही है बल्कि कार्बन क्रेडिट के एक बड़े उत्पादक के रूप में भी इसकी चर्चा हो रही है.  पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि नंदी रथ के माध्यम से किसान ₹1 प्रति यूनिट की लागत में ऊर्जा का उत्पादन कर सकेगा. वहीं पूरे साल में एक नदी रथ के माध्यम से किसानों को डेढ़ से दो लाख रुपए की कमाई कार्बन क्रेडिट के माध्यम से होगी. नंदी रथ पूरी तरीके से पर्यावरण अनुकूल है. इससे कार्बन के उत्सर्जन में भी भारी कमी आएगी. वहीं इसके माध्यम से गांव से युवाओं का पलायन रुकेगा. दो गाय के माध्यम से किसानों  नंदी रथ को रखकर घर बैठे हर महीने 15 से ₹20 हजार तक की कमाई भी होगी.

कैसे होती है कार्बन क्रेडिट की खरीद

कार्बन उत्सर्जन को कार्बन क्रेडिट के माध्यम से नियंत्रित करने का एक प्रयास है जिसे प्रोत्साहित करने के लिए रुपये से जोड़ा गया है.  यदि कोई भी कंपनी या व्यक्ति निश्चित स्तर से नीचे कार्बन उत्सर्जन करता है तो उसके द्वारा उत्सर्जित कार्बन के बीच का अंतर को कार्बन क्रेडिट कहलाता है. इस कार्बन क्रेडिट को दो कंपनियों के बीच आदला- बदली या अंतरराष्ट्रीय बाजार के प्रचलित मूल्य के हिसाब से  बेचा जा सकता है और कर्ज भी लिया जा सकता है.

 

 

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