कृषि मंत्रालय की तरफ से, राज्य सरकारों के साथ मिलकर किसानों की डिजिटल आईडी बनाने का काम तेजी से चल रहा है. अब सरकार की तरफ से बताया गया है कि अगर 14 राज्यों में 6.1 करोड़ किसानों को डिजिटल आईडी मिल गई है. इस डिजिटल आईडी की मदद से किसानों के लिए एक डेटाबेस तैयार किया जा सकेगा जो उनके जमीन के रिकॉर्ड्स से जुड़ा होगा. यह मुहिम सरकार के डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन का एक अहम हिस्सा है.
अखबार फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 14 राज्यों में इस कार्यक्रम को शुरू किया गया था. इनमें से उत्तर प्रदेश में 1.3 करोड़, महाराष्ट्र में 99 लाख, मध्य प्रदेश में 83 लाख, आंध्र प्रदेश में 45 लाख, गुजरात में 44 लाख, राजस्थान में 75 लाख और तमिलनाडु में 30 लाख किसानों की डिजिटल आईडी तैयार हो चुकी है. जबकि असम, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, केरल, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में डिजिटल आईडी मुहैया कराने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
डिजिटल आईडी को किसान पहचान पत्र के तौर पर भी जाना जाएगा. यह एक खास तरह की आईडी होगी जिसमें किसान के पास कितनी जमीन है, इस जानकारी से लेकर, फसल, बुवाई और दूसरी जरूरी जानकारियां भी शामिल होंगी. मंत्रालय का लक्ष्य वित्त वर्ष 2027 तक 11 करोड़ किसानों को इसके तहत लाना है. एग्रीस्टैक जोकि सरकार के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की एक पहल है, उसके तहत इन डिजिटल आईडीज को अगले दो सालों के अंदर आधार की तर्ज पर तैयार किया जाएगा.
वित्त वर्ष 2026 और 2027 में क्रमश: तीन करोड़ और दो करोड़ किसानों को उनकी आईडी मुहैया कराई जाएगी. अनुमान के मुताबिक देश में करीब 14 करोड़ किसान हैं. लेकिन करीब 30 से 40 फीसदी फसल ऐसी है जिसे खेतिहर मजदूर यानी किराए पर काम करने वाले किसान बोते हैं. इसका मतलब ये ऐसे किसान हैं जिनके पास कोई भी जमीन नहीं हैं. राज्य का डेटा पर पूरा अधिकार होगा. वहीं फार्मर रजिस्ट्री की मदद ये किराये पर या लीज पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों को भी इस मुहिम शामिल किया जाएगा.
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