मिलेट्स डिहलर मशीन से आसान होगा किसानों का काम, दस गुना बढ़ेगा मुनाफा

मिलेट्स डिहलर मशीन से आसान होगा किसानों का काम, दस गुना बढ़ेगा मुनाफा

मोटे अनाज उत्पादन वाले क्षेत्रों में इन अनाजों के छिलके मैन्युअल रूप हटाए जाते हैं. इस प्रक्रिया में दाने टूट जाते है या फिर मिलेट्स अनाजों के साथ छिलका मिलने से आटा की क्वालिटी खराब हो जाती है. इस कार्य में कठिन परिश्रम और ज्यादा समय भी लगता है. ,

मिलेट्स डिहलर मशीनमिलेट्स डिहलर मशीन
जेपी स‍िंह
  • नोएडा,
  • Apr 14, 2023,
  • Updated Apr 14, 2023, 3:05 PM IST

Millets: गेहूं और चावल की तुलना में मोटे अनाजाें में अध‍िक प्रोटीन, फाइबर, विटामिन तथा आयरन अध‍िक होता है. इस वजह से इन्हें पोषण वाला अनाज कहते हैं. तो वहीं मोटे अनाज की खेती भी क‍िसानों के ल‍िए सरल है, ज‍िमसें गेहूं और धानी जैसी फसलों की खेती की तुलना में क‍िसानों का खर्च भी कम आता है. वहीं लोगों को हेल्थ संबधी जोखिमों को कम करने के लिए अब मोटे अनाजों में शामि‍ल ज्वार, बाजरा, रागी, चेना, कंगनी, कुटकी, कोदो, सवां को भोजन में  शामिल करने की सलाह दी जा रही हैं. दूसरी तरफ हाल के वर्षों में घरेलू और ग्लोबल स्तर पर मांग बढ़ने के कारण मोटे अनाजों के उत्पादन में तो वृद्धि हुई  है और इसके निर्यात में भी इजाफा हुआ है. इस बीच मोटे अनाजों की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर द‍िया जा रहा है, ज‍िसमें क‍िसानों की मुश्क‍िलों को मिलेट्स डिहलर मशीन आसान बना सकती है. ऐसे में मोटे अनाज से दस गुना तक मुनाफा कमाया जा सकता है. 

आइए जानते हैं क‍ि मिलेट्स डिहलर मशीन क्या है. क‍िसान कैसे इसका उपयोग कर सकते हैं. साथ ही ये भी जानने की कोश‍िश करते हैं क‍ि पुरातन अनाजों में शाम‍िल मोटे अनाजों की खेती से कैसे क‍िसानों का मोहभंग हो गया था.  

मोटे अनाजों की खेती से क्यों दूर हुए किसान ?

सवाल उठता है कि जब हर तरफ से फायदा देने वाली मिलेट्स फसलों को क्यों किसानों ने अपने खेतों में उगाना कम कर दिया. इसमें एक सबसे बड़ा मुख्य कारण था मोटे अनाज के दानों पर आवरण यानी छिलके हटाने के लिए किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती थी, क्योंकि मोटे अनाजों दानों के  छिलके गोंद की तरह चिपके रहते है. परंपरागत रूप से मिलेट्स यानी मोटे अनाज के उत्पादन के बाद महिलाओं द्वारा मूसल या लकड़ी स्टोनर ग्राइंडर का उपयोग करके मैन्युअल रूप से इनसे छिलके हटा दिए जाते हैं, लेक‍िन इसमें दाने टूट जाते हैं या फिर मिलेट्स अनाजों के साथ छिलका मिलने से इनके आटा की क्वालिटी खराब हो जाती है. इस प्रक्रिया में कठिन परिश्रम और ज्यादा समय भी लगता है. इस कारण बीते दशकों में म‍िलेट्स की खपत के भारी गिरावट आई. तो क‍िसानों ने खेती से दूरी बनाई. 

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वहीं दूसरी तरफ मिलेट्स की प्रोसेसिंग करने का प्रयास बड़े उद्योगों की तरफ से क‍िया गया, लेक‍िन इसमें छिलके हटाने में प्रक्र‍िया में मोटे अनाजों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है, ज‍िसमें इनसे फाइबर, खनिज और कई फाइटोन्यूट्रिएंट जैसे पोषक तत्व कम हो जाते हैं.  

मोटे अनाजों का उत्पादन घटने की ये भी रही वजह 

सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ एगीकल्चर इंजीनियरिंग रीजनल सेंटर कोयम्बटूर के हेड डॉ एस बालासुब्रमण्यम ने बताया कि हरित क्रांति के बाद मुख्य खाद्यान्न फसलें धान और गेहूं पर ही विशेष ध्यान दिया गया. उस समय देश के लोगों को भुखमरी से निकालने के लिए इन फसलों की जुताई से लेकर प्रोसेसिंग तक ज्यादा काम किया गया. इसमें हमारी पुरानी परम्परागत फसलें, मिलेट्स पीछे छूट गईं, लेकिन आज के वक्त में  लोगों को मिलेट्स का महत्व समझ में आने लगा है. मिलेट्स उच्च प्रोटीन, फाइबर, विटामिन तथा आयरन आदि की उपस्थिति के चलते पोषण हेतु बेहतर आहार होते हैं.

मिलेट्स डिहलर बन रहा है समाधान, छ‍िलका उतारना हुआ आसान 

सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ एगीकल्चर इंजीनियरिंग रीजनल सेंटर कोयम्बटूर के हेड डॉ सुब्रमण्यम ने कहा कि मिलेट्स की बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार द्वारा टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के विकास पर काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा क‍ि हमारे सेंटर ने इन सब समस्याओं को देखते हुए मिलेट्स के छिलके निकालने के लिए मिलेट्स डिहलर मशीन विकसित की है. इससे मोटे अनाजों से छिलके हटाने का काम बेहद आसान हो गया है. दानों के टूटने की भी समस्या कम हो गई है. उन्होंने बताया कि इसमें मिलेट्स के 100 किलों अनाज का 60 से 65 किलो छिलका रहित अनाज मिलता है. तो वहीं समय भी आधा लगता है. उन्होंने बताया, मिलेट डिहलर मशीन को 10 बाई 12 फीट के कमरे में स्थापित कर सिंगल फेज कंरट से चला सकते हैं. इसको एक आदमी सुगमता पूर्वक ऑपरेट कर सकता है. इस मशीन से 10 से 12 प्रकार के जो मिलेट्स अनाज है, उनके छिलके असानी ने निकाले जा सकते हैं.

मिलेट्स डिहलर को बना सकते हैं कमाई का जरिया 

डॉ सुब्रमण्यम ने यह भी जानकारी देते हुए कहा क‍ि इस मशीन की कीमत 80 हजार रुपये है, जो क्लीनर, स्टोनर, डि‍हलर का काम करती है. इसमें ग्रेडर और पैंकिग तकनीक जोड़ दी जाती है तो इस मशीन की कीमत 2 से 2.50 लाख रुपये हो जाती है.इसमें 10 से 12 मिलेट्स का असानी से प्रोसेसिंग किया जाता है. उन्होंने कहा कि मिलेट्स की प्रोसेसिंग के बाद उसकी कीमत में दोगुना से लेकर 10 गुना तक हो जाती है, जिससे किसानों को लाभ मिलता है. इस मशीन की जरूरत के हिसाब से एक दिन में एक क्विंटल से लेकर 10 क्विंटल तक मोटे अनाजों से छिलके निकाले जा सकते हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि गांव के किसान इस मशीन को कम लागत में लगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

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