
ट्रेन दुर्घटनाओं में यात्रियों और रेलवे को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सभी रेल रूट पर कवच सिस्टम लागू किया जाएगा. रेलवे ने ओडिशा हादसे के बाद कुछ अन्य छोटी दुर्घटनाओं को देखते हुए यह फैसला किया है. 2025 में 5,000 किलोमीटर और रूट को कवच तकनीक से लैस करने की योजना है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि मानवीय गलती से होने वाली ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे अपने 68,000 किलोमीटर लंबे रूट के नेटवर्क में कवच सिस्टम स्थापित कर रहा है.
रेलमंत्री ने कहा कि 2024 में हम 2,500 किमी मार्ग में कवच स्थापित करेंगे और 2025 तक हम इसे हर साल 5,000 किमी में तैनात करेंगे. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार रेलमंत्री ने कहा कि हम 68,000 किमी के अपने पूरे रेल नेटवर्क को कवच तकनीक से कवर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकॉम कंपोनेंट्स मैन्यूफैक्चरर्स ने भारत में कवच तकनीक का निर्माण करने की इच्छा दिखाई है.
कवच सिस्टम को पहली बार 2016 में पैसेंजर ट्रेन में चलाया गया था. सिग्नल पासिंग, अत्यधिक गति और टकराव के खिलाफ ट्रेनों को सुरक्षा प्रदान करता है. इससे लोको की ओर से गलती की किसी भी संभावना को कम किया जाता है. रेलमंत्री ने कहा कि कवच सिस्टम दुर्घटनाएं रोकने में प्रभावी है और इसे लागू करना आसान है और यह कम खर्चीला भी है. कवच सिस्टम को इस वित्तीय वर्ष के लिए केंद्रीय बजट में 710 करोड़ रुपये मिले हैं. जबकि, विस्तार के लिए और रकम जारी होने की संभावना है.
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कवच सिस्टम वर्तमान में दक्षिण मध्य रेलवे के 1,465 किमी में लागू है. जबकि, इसे दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता सेक्शन में 3,000 किमी में स्थापित किया जा रहा है. 3 मैन्यूफैक्चरर्स मेधा सर्वो ड्राइव्स, एचबीएल पावर सिस्टम्स और केर्नेक्स माइक्रोसिस्टम्स कंपोनेंट्स की आपूर्ति कर रहे हैं. 2 बहुराष्ट्रीय कंपनियां क्योसन और सीमेंस कवच प्रोटोटाइप विकसित कर रही हैं.