भारत में खाने-पीने के शौकीन लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है. उन्हें तरह-तरह की चीजें खाना पसंद है. वहीं अगर डेली डाइट की बात करें तो हरी सब्जियों का भरपूर सेवन किया जाता है. यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है, जिसके कारण लोग इसे अधिक से अधिक खाना पसंद करते हैं. ऐसे में लोग अपने घरों में सब्जियां रखते हैं. लेकिन अगर वही सब्जी खराब हो जाए तो उसे फेंक देते हैं. लेकिन अब उन्हीं खराब सब्जियों से बिजली तैयार करने की खबर सामने आ रही है. जी हां, यानी अब खराब सब्जियां भी ठीक से इस्तेमाल होने लगी हैं. वो कैसे आइए जानते हैं.
दरअसल हैदराबाद के बाहरी इलाके सिकंदराबाद में एक बहुत बड़ी सब्जी मंडी है, जिसका नाम बोवेनपल्ली सब्जी मंडी. इस सब्जी मंडी में सब्जियों के अलावा अन्य तरह का कचरा भी निकलता है. जिसकी मात्रा करीब 10 टन है. लेकिन इस कचरे को फेंका नहीं जाता, बल्कि इससे रोजाना 500 यूनिट तक बिजली पैदा की जाती है. इतना ही नहीं बचे हुए कचरे से जैविक खाद भी बनाई जा रही है. कचरे से जैविक खाद बनाने का काम को काफी समय से होता आ रहा है, लेकिन खराब सब्जियों से बिजली बनाने का तरीका काफी नया और अनोखा है.
हाल ही में मन की बात कार्यक्रम में, प्रधान मंत्री ने सब्जी के कचरे से बिजली उत्पादन के लिए बोवेनपल्ली सब्जी बाजार और बोवेनपल्ली के बायोगैस संयंत्र की प्रशंसा की थी. बोवेनपल्ली सब्जी मंडी और आस-पास के यार्डों में सड़ी हुई सब्जियों और कचरे को शहर भर से जमा कर किया जाता है. यह कचरा रोजाना करीब 10 टन होता है. यह सब्जी बाजार के लिए बिजली का एक प्रमुख स्रोत और बाजार की व्यावसायिक रसोई के लिए जैव ईंधन में बदल जाता है. जैविक खाद को गैस के अतिरिक्त उप-उत्पाद के रूप में प्राप्त किया जाता है.
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इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक बायोमीथेनेशन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए, टनों सब्जियों के कचरे को पहले कन्वेयर बेल्ट पर डाला जाता है जो कचरे को श्रेडर तक ले जाता है. कटा हुआ कचरा तब घोल में परिवर्तित हो जाता है और सड़न की प्रक्रिया शुरू करने के लिए बड़े कंटेनरों या गड्ढों में डाल दिया जाता है. जिससे जैविक कचरा जैव ईंधन में बादल जाता है. जिसमें दो प्रमुख घटक होते हैं, मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड. इसके बाद ईंधन को '100 प्रतिशत बायोगैस जनरेटर' में डाला जाता है, जो ईंधन को बिजली में परिवर्तित करता है, और बाजार के बिजली के बल्बों तक पहुंचता है.
बोवेनपल्ली बाजार के लिए संयंत्र का संचालन करने वाली एजेंसी आहूजा इंजीनियरिंग की निदेशक श्रुति आहूजा बताती हैं कि बिजली और जैव ईंधन पैदा करने के अलावा, जैविक खाद भी पैदा कर रहा है. जिसका उपयोग खेती में किया जा सकता है. दस टन कचरा जो अभी-अभी किसी लैंडफिल में जमा हुआ होगा, अब उससे जैव ईंधन और जैव खाद पैदा किया जा सकता है.