इस साल भारत के कई हिस्सों जैसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में मॉनसून के दौरान बाढ़ आ गई है और किसान खासे परेशान हैं. उन्हें रबी के सीजन की तैयारियां करनी हैं लेकिन खेतों में पानी उतर गया तो अब भारी मात्रा में कीचड़ या गाद रह गई है. इस परिस्थिति में खेती करना और ट्रैक्टर का सही इस्तेमाल करना किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाता है. अगर सही तकनीक और सावधानियों का पालन किया जाए, तो कीचड़ भरे खेतों में भी ट्रैक्टर का प्रयोग आसान और सुरक्षित हो सकता है.
बाढ़ के बाद कीचड़ भरे खेतों में ट्रैक्टर का प्रयोग सोच-समझकर और सावधानी से करना जरूरी है. सही ट्रैक्टर, सही उपकरण और नियंत्रित तरीके से काम करने पर किसान खेतों को जल्दी तैयार कर सकते हैं और अगली फसल की बुवाई समय पर कर सकते हैं. एक नजर डालिए उन सावधानियों पर जो किसानों को दिमाग में रखनी चाहिए.
बाढ़ के बाद सबसे पहले खेत की सतह और मिट्टी की नमी को जरूर परखें. बहुत ज्यादा गीली और दलदली जमीन पर तुरंत ट्रैक्टर चलाना सही नहीं होता क्योंकि इससे ट्रैक्टर धंस सकता है और मिट्टी की संरचना भी बिगड़ सकती है.
भारी और बड़े ट्रैक्टर की बजाय मध्यम आकार के ट्रैक्टर अधिक उपयोगी होते हैं. चौड़े टायर वाले ट्रैक्टर या डुअल व्हील वाले ट्रैक्टर कीचड़ में ज्यादा स्थिर रहते हैं. रोटावेटर और हैरो जैसे उपकरणों का इस्तेमाल खेत की सतह को समतल और मुलायम करने में मदद करता है.
कीचड़ भरे खेतों में ट्रैक्टर फंसने का खतरा रहता है. इसलिए टायर का प्रेशर थोड़ा कम करना चाहिए ताकि टायर की पकड़ (ग्रिप) बेहतर हो और फिसलन कम हो.
ट्रैक्टर को तेज गति से चलाना खतरनाक हो सकता है. गीली मिट्टी में धीरे-धीरे और नियंत्रित तरीके से ट्रैक्टर चलाएं. अगर ट्रैक्टर फंसने लगे तो अचानक एक्सीलरेटर न दबाएं, बल्कि धीरे-धीरे गियर बदलकर बाहर निकालने की कोशिश करें.
अगर खेत में अभी भी पानी भरा है, तो सबसे पहले छोटी-छोटी नालियां बनाकर पानी बाहर निकालें. इससे मिट्टी जल्दी सूखेगी और ट्रैक्टर चलाना आसान होगा.
खेत में ट्रैक्टर तभी चलाएं जब मिट्टी थोड़ी सख्त हो जाए. बहुत गीली स्थिति में ट्रैक्टर का प्रयोग करने से न केवल मशीनरी को नुकसान होगा बल्कि फसल की बुवाई भी प्रभावित होगी.
कीचड़ भरे खेतों में काम करते समय फिसलन और दुर्घटना का खतरा ज्यादा होता है. इसलिए हमेशा अनुभव वाले ड्राइवर से ट्रैक्टर चलवाएं और पास में रस्सी या चेन जैसी चीजें रखें ताकि जरूरत पड़ने पर ट्रैक्टर को खींचकर निकाला जा सके.
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