
भारत में खेती एक नए तकनीकी दौर में प्रवेश कर रही है. अब हल-बैल की जगह ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स और जीन एडिटिंग जैसी आधुनिक तकनीकें खेतों में उतर रही हैं. इन तकनीकों का उद्देश्य है खेती को अधिक लाभदायक, टिकाऊ और स्मार्ट बनाना.
आज के आधुनिक ड्रोन अब केवल तस्वीरें लेने तक सीमित नहीं हैं. ये मल्टीस्पेक्ट्रल, थर्मल और हाइपरस्पेक्ट्रल सेंसर से लैस हैं, जो फसल की सेहत, मिट्टी की नमी, कीटों के हमले और पोषक तत्वों की स्थिति का सटीक विश्लेषण करते हैं. कुछ मिनटों में ही ड्रोन पूरे खेत का नक्शा तैयार कर लेते हैं और डेटा को क्लाउड प्लेटफॉर्म जैसे Flyght Cloud पर भेजते हैं. वहां यह डेटा विश्लेषित होकर किसानों को बताता है कि कहां सिंचाई करनी है, कितनी खाद डालनी है और कब कीटनाशक का छिड़काव करना है. इससे उपज बढ़ती है और संसाधनों की बचत होती है.
नीति आयोग ने हाल ही में "रीइमैजिनिंग एग्रीकल्चर: रोडमैप फॉर फ्रंटियर टेक्नोलॉजी-लेड ट्रांसफॉर्मेशन" नाम से एक विजन डॉक्यूमेंट जारी किया है. इसका लक्ष्य है अगले पाँच सालों में भारत की कृषि को 100% आत्मनिर्भर बनाना. इस रोडमैप के अनुसार, नई तकनीकों से कृषि लागत में 40% की कमी और उत्पादन में 60% की बढ़ोतरी संभव है.
| वर्ष | लक्ष्य | मुख्य उपलब्धि |
| 2026 | पायलट प्रोजेक्ट | 10 राज्यों में ड्रोन-AI हब, 1 लाख एकड़ कवरेज |
| 2027 | डिजिटल पहुंच | 50% किसानों को मुफ्त ऐप, सैटेलाइट डेटा और IoT किट |
| 2028 | ग्लोबल मार्केट | ब्लॉकचेन से सीधा निर्यात, 10 लाख टन ऑर्गेनिक उत्पाद |
| 2029 | रोबोट क्रांति | 50,000 रोबोटिक यूनिट्स किराए पर |
| 2030 | स्मार्ट विलेज | हर गांव में “डिजिटल खेत”, आय दोगुनी |
यह परिवर्तन केवल सरकार का नहीं, बल्कि किसानों, वैज्ञानिकों, उद्यमियों, निवेशकों और नीति-निर्माताओं का संयुक्त प्रयास है. जब तकनीक प्रयोगशाला से निकलकर खेतों तक पहुंचेगी, तभी भारत दुनिया का “अन्न भंडार” बनने का सपना साकार करेगा.
ड्रोन, एआई, रोबोटिक्स और डेटा-आधारित खेती भारत की कृषि को एक नए युग में ले जा रहे हैं. यह बदलाव न केवल किसानों की आय बढ़ाएगा, बल्कि संसाधनों की बचत और पर्यावरण की रक्षा भी करेगा. भविष्य की खेती “स्मार्ट, टिकाऊ और आत्मनिर्भर भारत” की पहचान बनेगी.
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