आज भी बाजार में बाजरे-ज्वार जैसे मोटे अनाज के किसान को ठीक-ठीक दाम नहीं मिल पाते हैं. यहीं वजह है कि मोटे अनाज से जुड़ी फसलों को करने में किसान कतराते हैं, लेकिन मिलेट्स ईयर 2023 के तहत मोटे अनाज जैसे बाजरा, ज्वार, रागी आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है. सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोललॉजी (सीफेट), लुधियाना भी इस कड़ी में अपना अहम रोल अदा कर रहा है. बच्चों के लिए मिलेट्स से कुरकुरे, पास्ता आदि बनाए जा रहे हैं. सीफेट का दावा है कि किसान चार से पांच लाख रुपये में इन मशीनों को लगाकर दोगुना तक मुनाफा कमा सकते हैं.
सीफेट के डायरेक्टर डॉ. नचिकेता ने 'किसान तक' को बताया कि हमारा संस्थान खुद भी फूड आइटम से जुड़ी मशीनें बनाता है. मशीन बनाने के बाद हम उसकी टेक्नोलॉजी बाजार में 'नो प्रोफिट और नो लॉस' पर बेच पर बेच देते हैं. स्टार्टअप कंपनी या फिर दूसरे लोग उस टेक्नोलॉजी से मशीन बनाकर अपने कारोबार को आगे बढ़ाते हैं.
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सीफेट की फूडग्रेन एंड ऑयल सीड प्रोसेसिंग यूनिट से जुड़ीं प्रिंसीपल साइंटिस्ट दीपिका गोस्वामी ने बताया कि आज बाजार में बाजरा और ज्वार 25 से 30 रुपये किलो के हिसाब से मौजूद है. हम खुद अपनी लैब में एक किलो बाजरे से कुरकुरे के 20 पैकेट्स तक बना रहे हैं. अभी हाल ही में हिसार, हरियाणा में लगे कृषि एक्सपो में हमने नो प्राफिट और नो लॉस पर 10 रुपये का एक कुरकुरे का पैकेट बेचा था. अगर कुरकुरे बनाने वाली मशीनों की बात करें तो बाजरे और ज्वार के दाने को थोड़ा महीन करने के लिए वीट फ्लार मशीन की जरूरत होगी जो 20 हजार रुपये तक की मिल जाएगी.
कुरकुरे बनाने वाली सिंगल एक्स टूडर मशीन की बात करें तो यह तीन से चार लाख रुपये आएगी. बने हुए कुरकुरे को ड्रायर में रखना होता है. इस तरह का ट्रे ड्रायर एक से डेढ़ लाख रुपये का मिलेगा. सबसे आखिर में कुरकुरे की मसाला कोटिंग करनी होती है. इससे कुरकुरे चटपटे हो जाते हैं. यह मशीन भी 20 से 25 हजार रुपये तक की आ जाएगी. इस तरह से फाइबर से भरपूर और बच्चों की हैल्थ बनाने वाले कुरकुरे तैयार हो जाते हैं.
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सीफेट के डायरेक्टर डॉ. नचिकेता ने बताया कि हमारे संस्थान में खासतौर पर बच्चों के लिए मिलेट्स से जुड़े कई तरह के आइटम बनाए जा रहे हैं. जिसमे कुरकुरे, मफिन और पास्ता जैसे आइटम भी हैं, जिन्हें बच्चों के मां-बाप जल्दी खिलाने के लिए तैयार नहीं होते हैं, लेकिन हमने मिलेट्स में बनाकर इन्हें ऐसा बना दिया है कि अब मां-बाप खुद बच्चों को कुरकुरे खरीदकर खाने के लिए देंगे. हिसार के कृषि एक्सपो में भी यही हुआ था. हमारे कुरकुरे के एक हजार पैकेट हाथ-ओ-हाथ बिक गए थे.
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