कुपोषण को दूर भगाएंगी अनाजों की ये बायो-फोर्टिफाइड किस्में, यहां देखें ल‍िस्ट

कुपोषण को दूर भगाएंगी अनाजों की ये बायो-फोर्टिफाइड किस्में, यहां देखें ल‍िस्ट

अब तक देश में कई फसलों की बायो-फोर्टिफाइड (bio-fortified) किस्में जारी की जा चुकी हैं. बता दें कि बायो-फोर्टिफाइड किस्मों में प्रोटीन, जिंक, आयरन और विटामिन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं.

फसलों की बायो-फोर्टिफाइड किस्मों को किया जा रहा विकसित, फोटो साभार: freepik फसलों की बायो-फोर्टिफाइड किस्मों को किया जा रहा विकसित, फोटो साभार: freepik
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 15, 2023,
  • Updated Jan 15, 2023, 1:20 PM IST

अब तक देश में कई फसलों की बायो-फोर्टिफाइड (bio-fortified) किस्में जारी की जा चुकी हैं. बता दें कि बायो-फोर्टिफाइड किस्मों में प्रोटीन, जिंक, आयरन और विटामिन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं. वही देश की जनता को पोषण सुरक्षा देने और कुपोषण को समाप्त करने के उद्देश्य से अलग-अलग फसलों की कई बायो-फोर्टिफाइड किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित करने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है. अभी तक किन-किन फसलों की कितनी बायो-फोर्टिफाइड किस्में विकसित हो चुकी हैं उनकी लिस्ट केंद्रीय कृषि और कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट कर बताया है.

किन फसलों को किया गया है शामिल

अब तक बायो-फोर्टिफाइड की 12 किस्मों को विकसित किया गया है. जिसमे, चावल, गेहूं, मक्का, बाजरा, रागी, कुटकी, मसूर, सरसों, असली, सोयाबीन, मूंगफली और बागवानी फसलें शामिल है. जिनके सेवन से लोगों की पोषण और कुपोषण वाली समस्याओं को दूर करने में मदद करेगा.

किन फसलों में है कितनी बायो फोर्टिफाइड किस्में

अगर अलग-अलग फसलों में किस्मों की बात करें तो, गेहूं की सबसे ज्यादा 28 किस्में को इसमें शामिल किया गया है. तो वहीं गेहूं के बाद मक्का दूसरे नंबर पर 14 किस्में, बाजरा की 9, चावल की 8, बागवानी फसलों की 8, सरसों की 6, सोयाबीन की 5, रागी की 3, मसूर और मूंगफली की 2, और कुटकी और अलसी की 1 किस्मों को शामिल किया गया है.

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खाने योग्य भाग की बढेगी गुणवत्ता

कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर में अपने ट्वीट में बताया कि, बायोफोर्टिफिकेशन फसलों के खाने योग्य भाग की पोषण गुणवत्ता को बढ़ाने की प्रक्रिया है. जिसे नई प्रजाती जैसी अनुवांशिक प्रक्रियाओं के माध्यम से की जाती है. इसे करने के लिए किसी अलग पद्धति की जानकारी की जरूरत नहीं पड़ती है. यह सस्ता और टिकाऊ होने के साथ-साथ लोगों तक ज्यों का त्यों पहुंचाया जा सकता है. इसे गरीब से गरीब लोगों तक भी आसानी से पहुंच सकता है.

कुपोषण से जंग लड़ने में होंगी मददगार

भारत कुपोषण से जंग लड़ रहा है. भारत में आज भी कुपोषण की समस्या काफी गंभीर मात्रा में है. देश में सबसे ज्यादा कुपोषित महिलाएं और बच्चे हैं. इन्हीं समस्याओं से लड़ने के लिए भारत सरकार ने बायो फोर्टिफाइड किस्मों को विकसित कर कुपोषण से लड़ने में तेजी ला रही है. अब देश के वैज्ञानिकों के द्वारा भी पोषण, जलवायु अनुकूल रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली फसलों की किस्मों को विकसित करने का काम किया जा रहा है.

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