Sonpur Mela: सोनपुर मेले में उन्नत गेहूं-जौ-चना मॉडल पेश, हाईटेक खेती की भी मिली जानकारी

Sonpur Mela: सोनपुर मेले में उन्नत गेहूं-जौ-चना मॉडल पेश, हाईटेक खेती की भी मिली जानकारी

एशिया के सबसे बड़े पशु मेले में बिहार कृषि विभाग का आकर्षक पवेलियन. गेहूं की डीबी 187 और एचडी 2967 समेत जौ, चना और आलू-मक्का की आधुनिक खेती के मॉडल ने किसानों को दी नई दिशा.

पहाड़ी क्षेत्रों के लिए जलवायु सहिष्णु गेहूं की किस्में फोटो सौजन्य -IARIपहाड़ी क्षेत्रों के लिए जलवायु सहिष्णु गेहूं की किस्में फोटो सौजन्य -IARI
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • Patna,
  • Nov 28, 2025,
  • Updated Nov 28, 2025, 5:06 PM IST

सोनपुर मेला, जिसे एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला कहा जाता है, इस बार किसानों के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बना. बिहार के सारण जिले में आयोजित इस मेले में कृषि विभाग ने आधुनिक खेती के कई मॉडल और फसलों की बुवाई से संबंधित जानकारी दी. इससे बड़ी संख्या में किसान लाभान्वित हुए और नई-नई जानकारी हासिल की. गेहूं की डीबी 187 और एचडी 2967 जैसी किस्में किसानों की कमाई बढ़ा सकती हैं.

गेहूं की बुवाई के लिए सही बीज और तकनीक

कृषि विभाग ने मेले में गेहूं की बुवाई के लिए विभिन्न किस्मों की जानकारी दी. जिला कृषि पदाधिकारी सारण ने बताया कि डीबी 187 और एचडी 2967 जैसी किस्में किसानों के लिए उपयुक्त हैं. डीबी 187 की बुवाई का समय 5 नवंबर से 25 नवंबर तक है और इसका उत्पादन 60-65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकता है. वहीं, एचडी 2967 किस्म की बुवाई 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक की जा सकती है और इसका उत्पादन 40-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. इन किस्मों की विशेषता यह है कि ये रोग प्रतिरोधक हैं और बेहतर उत्पादन देती हैं.

जौ और चना की खेती

जौ की खेती के लिए डीबीआर बी 19 टू किस्म की जानकारी दी गई, जिसकी बुवाई का समय 10 नवंबर से 20 नवंबर तक है. यह किस्म कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह नियंत्रण में सहायक है. चना की खेती के लिए भी विशेष बीजों की जानकारी दी गई, जिसमें रोग प्रतिरोधक किस्में शामिल हैं. चना की बुवाई का समय 15 अक्टूबर से 7 नवंबर तक बताया गया, हालांकि समय बीत चुका है, लेकिन कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर इसे अगले साल के लिए अपनाया जा सकता है.

आधुनिक खेती के मॉडल

मेले में जीरो टिलेज तकनीक से आलू की खेती का मॉडल भी प्रदर्शित किया गया. इस तकनीक में पुआल से ढककर आलू की खेती की जाती है, जिससे उत्पादन बेहतर होता है. इसके अलावा, संकर मक्का और आलू की संयुक्त खेती का मॉडल भी दिखाया गया. मटर और स्वीट कॉर्न की बुवाई के लिए भी एक विशेष मॉडल पेश किया गया, जिसमें दोनों फसलों को एक साथ उगाने की विधि बताई गई.

कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेने की अपील

कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी कि वे फसलों की बुवाई में देरी होने पर कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क करें. स्मार्ट खेती और आधुनिक तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया गया, ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके और फसलों की क्वालिटी में सुधार हो.

सोनपुर मेले में प्रस्तुत किए गए ये मॉडल और जानकारी किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं. यह मेले न केवल पशुओं के लिए बल्कि कृषि के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है.

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