अजोला की खासियत यह है कि सही वातावरण में इसकी वृद्धि मात्र 5-6 दिन में दोगुनी हो जाती है. यदि इसे पूरे वर्ष बढ़ने दिया जाए तो प्रति हेक्टेयर 300-350 टन उपज प्राप्त की जा सकती है. इससे 40 किग्रा. प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन प्राप्त होती है. यही कारण है कि अब अजोला की खेती किसान कहीं भी कर सकते हैं. ईफको की इस नई तकनीक की मदद से अब घर की छत पर भी अजोला की खेती की जा सकती ही.
अजोला एक सस्ता, आसानी से पचने वाला और पौष्टिक पशु आहार है. इसे खिलाने से सामान्य आहार खाने वाले पशुओं के दूध में अधिक फैट पाए जाते हैं. वहीं पशुओं के मूत्र में खून की समस्या फास्फोरस की कमी के कारण होती है. अजोला खिलाने से यह कमी दूर हो जाती है. इससे पशुओं में कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन प्रचुर मात्रा में मिल जाता है. इसमें शुष्क पदार्थ के आधार पर 40-60 प्रतिशत प्रोटीन होता है. 12-15 प्रतिशत, फाइबर 10-15 प्रतिशत, खनिज 7-10 प्रतिशत, अमीनो एसिड, कार्बनिक पदार्थ और पॉलिमर आदि पाए जाते हैं. कार्बोहाइड्रेट और वसा की मात्रा बहुत कम होती है. इसमें उच्च प्रोटीन और कम लिग्निन सामग्री होने के कारण मवेशी इसे आसानी से पचा लेते हैं. इतना ही नहीं, अजोला का उपयोग भेड़, बकरी, सूअर, खरगोश और बत्तखों के भोजन के रूप में भी किया जा सकता है.
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प्रति पशु 1.5 किग्रा. अजोला नियमित रूप से दिया जा सकता है, जो सप्लीमेंट पशु आहार के रूप में कार्य करता है. यदि एक दुधारू पशु को 1.5 से 2 कि.ग्रा. यदि अजोला प्रतिदिन दिया जाए तो दूध उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जा सकती है. इसे खाने वाली गाय-भैंसों के दूध की गुणवत्ता भी पहले से बेहतर हो जाती है. अजोला के कारण गाय और भैंस के दूध का गाढ़ापन बढ़ जाता है. यदि इसे गाय, भैंस, भेड़ और बकरियों को खिलाया जाए तो उनकी उत्पादन और प्रजनन क्षमता काफी बढ़ जाती है.
भारत में अजोला का उपयोग पशु चारे के अलावा मानव चारे, औषधि और वॉटर प्युरिफायर के रूप में किया जाता है. अजोला चावल के खेतों में चरा और निटेला जैसे खरपतवारों की वृद्धि को रोकता है. ऐसे में अजोला की खेती छत पर की जा सके इसके लिए इफको ने नई तकनीक लॉन्च की है. यह एचडीपीई एक्वाटिक गार्डन बेड 100% वर्जिन गुणवत्ता वाले कच्चे माल से बना है, यह यूवी स्थिर, 100% जलरोधक, टिकाऊ है और लंबे समय तक चलता है. ये गार्डन बेड जलीय खेती के लिए उपयुक्त हैं और इसमें गार्डन बेड, बत्तख तालाब, मछली तालाब और कई अन्य जैसे बहु उपयोग हैं. यानी इस वॉटर बेड की मदद से आप ना केवल अजोला की खेती कर सकते हैं बल्कि घर पर छोटे स्तर पर मछली पालन भी कर सकते हैं.