कपास बुआई का एक नया तरीका सामने आया है. इसे पंजाब में आजमाया गया है. वैसे तो पंजाब में कपास की बुआई लगभग खत्म है, लेकिन गुजरात या अन्य राज्यों में यह चल रही है. ऐसे में नए तरीके को जानना किसानों के लिए लाभदायक होगा. कपास बुआई के इस नए तरीके को अंग्रेजी में बेड प्लांटेशन कहा जा रहा है. यहां बेड का अर्थ चौड़े मेढ़नुमा ढांचे से है जिसे खेत में बनाया जाता है. इसी बेड पर कपास के बीज बोए जाते हैं. इस बेड प्लांटेशन के तीन फायदे बताए जा रहे हैं- पहला, कपास की खेती में पानी की बचत होगी. दूसरा, बीज का पूरी तरह से फुटाव होगा और तीसरा, खर-पतवार से छुटकारा मिलेगा. पंजाब में इस बार अधिकांश किसानों ने बेड प्लांटेशन से ही कपास की खेती की है.
पंजाब में यह ऐसी तकनीक है जिसकी तरफ कई प्रगतिशील किसानों ने रुख किया है. इस नई तकनीक को पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने आगे बढ़ाया है. इसमें मजदूरों की संख्या भी कम लगती है क्योंकि बेड प्लांटेशन का अधिकांश काम ट्रैक्टर से होता है. ट्रैक्टर में बेड प्लांटर लगा होता है जो खेत में मेढ़ बना देता है. उसी मेढ़ पर बीज की बुआई कर दी जाती है. अच्छी बात ये है कि मेढों के बीच बनी क्यारियों में पानी दिया जाता है. इससे जरूरत का पानी लगता है और पानी अधिक हो जाए तो उसे निकालना आसान होता है.
एग्रीकल्चर डायरेक्टर गुरविंदर सिंह 'TOI' से कहते हैं, कपास का बेड प्लांटेशन बेहद कारगर तरीका है जिसमें किसानों ने दिलचस्पी दिखाई है. इस सीजन में कई किसानों ने इस तकनीक से खेती की है. पंजाब का कृषि विभाग अलग-अलग जिलों में इस नई टेक्नोलॉजी के बारे में किसानों को बता रहा है और डेमोंस्ट्रेशन दे रहा है.
ये भी पढ़ें: Punjab में कपास बीज के ढाई लाख से अधिक पैकेट 'गायब', पता लगाने में जुटा पूरा महकमा
प्लांट प्रोटेक्शन ऑफिसर डॉ. जसविंदर सिंह कहते हैं, प्रदेश के किसानों को इस बात की सलाह दी जा रही है कि वे धान की खेती छोड़कर कपास में उतरें. इससे पानी की बचत की जा सकेगी. इस बार किसानों को जब बेड प्लांटेशन के बारे में बताया गया, तो उन्होंने इसके फायदे जानने के बाद इसे आजमाना शुरू कर दिया. बेड प्लांटेशन टेक्नोलॉजी से अगर कपास की खेती की जाए तो फूलों को बेहद आसानी से तोड़ा जा सकता है और इससे किसानों को बंपर रिटर्न मिलेगा.
पंजाब में हालांकि खेती की नई-नई टेक्नोलॉजी पर काम हो रहा है, कपास के बीज पर सरकार सब्सिडी भी दे रही है. इसके बावजूद कपास का रकबा नहीं बढ़ रहा है. पिछले साल के मुकाबले इस बार यह रकबा बहुत कम रह सकता है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 1960 के बाद से इस बार सबसे कम कपास का रकबा रह सकता है.
ये भी पढ़ें: Punjab: कपास पर गुलाबी सुंडी की तगड़ी मार, पूरे मालवा में चौपट हो सकती है फसल
पंजाब में धान की खेती से किसानों को हटाने के लिए कपास पर जोर दिया जा रहा है ताकि तेजी से घटते जलस्तर को कायम रखा जाए. लेकिन इसमें बहुत अधिक कामयाबी मिलती नहीं दिख रही. इस बार कृषि विभाग ने किसानों से अपील की थी कि वे मूंग की खेती न करें क्योंकि उस पर लगने वाले कीट कपास को प्रभावित कर सकते हैं. लेकिन यह अपील भी कारगर होती नहीं दिखी.