DSR तकनीक में हरियाणा ने बनाया रिकॉर्ड, 20 दिन में ही पूरा हुआ महीने भर का टारगेट

DSR तकनीक में हरियाणा ने बनाया रिकॉर्ड, 20 दिन में ही पूरा हुआ महीने भर का टारगेट

हरियाणा में धान बुआई के लिए डीएसआर तकनीक शुरू की गई है. इसमें धान की सीधी बिजाई की जाती है. धान का बिचड़ा तैयार करने की जरूरत नहीं होती. इससे पानी की बचत होती है. इस अभियान को तेज करने के लिए हरियाणा सरकार किसानों को 4000 रुपये प्रति एकड़ का इंसेन्टिव दे रही है.

डीएसआर विधि से धान बुआई करने से पानी की बचत होती हैडीएसआर विधि से धान बुआई करने से पानी की बचत होती है
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 26, 2023,
  • Updated Jun 26, 2023, 2:24 PM IST

हरियाणा ने चावल की सीधी बिजाई में नया रिकॉर्ड बनाया है. सीधी बिजाई की इस तकनीक को DSR यानी कि डायरेक्ट सीडिंग और राइस कहते हैं. यह ऐसी तकनीक है जिसमें धान का बिचड़ा तैयार नहीं किया जाता बल्कि खेत में धान का बीज छिड़कर बुआई की जाती है. यह नई टेक्नोलॉजी है जिसमें पानी की बचत होती है. इसीलिए सरकार डीएसआर विधि से धान बिजाई पर बल दे रही है. हरियाणा सरकार ने धान की मौजूदा सीजन में डीएसआर से धान बुआई करने वाले किसानों को जोड़ने के लिए एक लक्ष्य तय किया है. अच्छी बात ये है कि हरियाणा में जो लक्ष्य एक महीने के लिए रखा गया था, उसे किसानों ने 21 दिन में ही पा लिया है. इस तरह हरियाणा ने जून महीने के डीएसआर टारगेट को पार कर लिया है.

'दि ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 21 जून तक हरियाणा में 44,309 किसानों ने डीएसआर तकनीक से 3,11,365 एकड़ में धान की खेती की है जबकि इस पूरे महीने का टारगेट 2,25,000 एकड़ का है. कृषि विभाग ने यह आंकड़ा जारी किया है. आंकड़ों में कहा गया है कि आठ जिलों ने पहले ही लक्ष्य हासिल कर लिया था, जबकि दो इसे हासिल करने के करीब हैं. आंकड़ों से पता चला कि सिरसा जिले के किसानों ने 25,000 एकड़ के लक्ष्य के मुकाबले 74,087.34 एकड़ पर डीएसआर टेक्नोलॉजी अपनाई है.

सभी जिलों ने पार किया लक्ष्य

करनाल जिले को 25,000 एकड़ में डीएसआर विधि अपनाने का लक्ष्य दिया गया था और अब तक इस जिले ने लक्ष्य को पार कर लिया है. करनाल जिले के किसानों ने 32,767.50 एकड़ में डीएसआर विधि से धान की बुआई की है. आंकड़ों के अनुसार, हिसार जिले ने भी लक्ष्य को पार कर लिया है और 12,000 के लक्ष्य के मुकाबले 26,845.91 एकड़ में डीएसआर से धान की बुआई की गई है.

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जींद जिले ने 25,000 एकड़ के लक्ष्य के मुकाबले 40,704.24 एकड़ में धान की बुआई की है, जबकि यमुनानगर ने 13,000 एकड़ के लक्ष्य को पार कर 16,015.47 एकड़ में धान की बुआई की है. फतेहाबाद ने 25,000 के लक्ष्य के मुकाबले 30,129.11 एकड़ में डीएसआर तकनीक से धान की बुआई की है और कैथल जिले में किसानों ने करीब 22,050.36 एकड़ में धान बोया है, जबकि लक्ष्य 20,000 एकड़ का है. रोहतक जिले ने 10,000 एकड़ के लक्ष्य के मुकाबले 11,686.19 एकड़ को कवर किया है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

आंकड़ों में कहा गया है कि अंबाला जिले ने अब तक 13,000 एकड़ के लक्ष्य के मुकाबले 12,029.63 एकड़ डीएसआर तकनीक से कवर किया है, जबकि पानीपत को 15,000 एकड़ का लक्ष्य दिया गया है और अब तक यहां के किसानों ने 14,054.62 एकड़ को कवर किया है. सोनीपत जिले में 20,000 एकड़ के लक्ष्य के मुकाबले 14,816.29 एकड़ में डीएसआर से खेती की गई है. 

'मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल' पर डीएसआर तकनीक से धान बुआई के रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख 30 जून है और अधिकारियों को उम्मीद है कि हरियाणा इस सीजन में पानी बचाने के अपने अभियान में बड़ा रिकॉर्ड बनाएगा. कैथल के डीडीए ने कहा, पांच दिन बचे हैं और कई किसान 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आगे आ रहे हैं. उनमें से बड़ी संख्या में किसानों ने पहले ही डीएसआर विधि से धान बो लिया है और इस साल डीएसआर अपनाने वाले किसानों की संख्या एक रिकॉर्ड होगी.

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DSR विधि का फायदा

करनाल के डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर (डीडीए) आदित्य दबाड कहते हैं कि डीएसआर टेक्नोलॉजी से पानी बचाने में बहुत मदद मिलती है. राज्य सरकार इस तकनीक को अपनाने के लिए किसानों को इंसेन्टिव दे रही है. राज्य सरकार ने ऐलान किया है कि जो किसान डीएसआर तकनीक से धान की बुआई करेंगे उन्हें 4000 रुपये प्रति एकड़ इंसेन्टिव दिया जाएगा. धान की परंपरागत खेती के मुकाबले डीएसआर से पानी बचाने में बहुत मदद मिलती है.

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