लॉ स्‍टूडेंट को दिल्‍ली हाई कोर्ट ने फटकारा, दायर की थी जेल में बंद नेता को चुनाव प्रचार की मंजूरी की याचिका 

लॉ स्‍टूडेंट को दिल्‍ली हाई कोर्ट ने फटकारा, दायर की थी जेल में बंद नेता को चुनाव प्रचार की मंजूरी की याचिका 

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को एक ऐसी याचिका को खारिज किया है जो चुनाव प्रचार से जुड़ी हुई थी. इस याचिका में भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को यह सुनिश्चित करने के लिए एक सिस्‍टम तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी जिसके तहत गिरफ्तार राजनीतिक नेता लोकसभा चुनाव 2024 के लिए वर्चुअल मोड के जरिये प्रचार कर सकें. इस याचिका के जरिये जेल में बंद नेताओं को प्रचार करने की अनुमति देने की मांग की गई थी.

दिल्‍ली हाई कोर्ट ने ठुकराई लॉ स्‍टूडेंट की याचिका
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • May 01, 2024,
  • Updated May 01, 2024, 10:10 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को एक ऐसी याचिका को खारिज किया है जो चुनाव प्रचार से जुड़ी हुई थी. इस याचिका में भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को यह सुनिश्चित करने के लिए एक सिस्‍टम तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी जिसके तहत गिरफ्तार राजनीतिक नेता लोकसभा चुनाव 2024 के लिए वर्चुअल मोड के जरिये प्रचार कर सकें. इस याचिका के जरिये जेल में बंद नेताओं को प्रचार करने की अनुमति देने की मांग की गई थी. दिल्‍ली हाई कोर्ट ने इस याचिका 'अत्यधिक साहसी' बताते हुए इसे खारिज कर दिया. साथ ही साथ याचिकाकर्ता भी फटकारा है. 

'अत्‍यधिक साहसिक याचिका' 

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि यह एक अत्यधिक साहसिक याचिका है, जो कानून के बुनियादी सिद्धांतों के विपरीत है. रिपोर्ट के अनुसार, बेंच ने याचिकाकर्ता को जनहित याचिका दायर करने के लिए फटकार लगाई. इसे कानून के बुनियादी सिद्धांतों के विपरीत बताया क्योंकि वह अदालत से कानून बनाने और कानून बनाने के लिए कह रहा था. याचिका लॉ के लास्‍ट ईयर के स्‍टूडेंट अमरजीत गुप्ता की तरफ से दायर की गई थी. अमरजीत ने वकील मोहम्मद इमरान अहमद के माध्यम से दायर की थी. साथ ही किसी राजनीतिक नेता या उम्मीदवार की गिरफ्तारी के बारे में तुरंत चुनाव आयोग को जानकारी देने के लिए केंद्र से निर्देश भी मांगा गया था. 

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याचिकाकर्ता पर जुर्माने की बात 

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जब दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने कहा कि वह याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाएगी, तो उसके वकील ने अनुरोध किया कि ऐसा नहीं किया जा सकता क्योंकि याचिकाकर्ता कानून का छात्र है. इसके बाद अदालत ने वकील से कहा कि वह कानून के छात्र को शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा को समझाएं और न्यायिक शक्तियों की सीमाएं हों. बेंच के शब्‍दों में, 'यह कोई खाली जगह नहीं है. आप हमसे कानून के विपरीत काम करने को कह रहे हैं. कानून कहता है कि हिरासत में आरोपी के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए.' 

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आयोग को हो गिरफ्तारी की जानकारी 

इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया गया कि एक सिस्‍टम मौजूद हो ताकि प्रवर्तन एजेंसियों को गिरफ्तारी के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी की जरूरत न हो. याचिका में यह अनुरोध भी किया गया है कि यूएपीए के तहत किए गए अपराधों जैसे नेशनल सिक्‍योरिटी के लिए गिरफ्तारी इतनी जरूरी है, तो कम से कम ऐसी गिरफ्तारी की जानकारी अरेस्‍ट के तुरंत बाद चुनाव आयोग को दी जानी चाहिए. 

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