प्रयागराज और बुंदेलखंड में होगी सफेद चंदन की खेती, कुछ ही सालों में UP के किसान बन जाएंगे करोड़पति!

प्रयागराज और बुंदेलखंड में होगी सफेद चंदन की खेती, कुछ ही सालों में UP के किसान बन जाएंगे करोड़पति!

White Chandan Story: वन अनुसंधान केंद्र प्रयागराज के प्रमुख संजय सिंह के अनुसार, किसानों के साथ-साथ नर्सरी तैयार करने वाले वन विभाग के कर्मियों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे वे अपने विभाग की नर्सरी में पौधे उगाने के बाद उन्हें वन क्षेत्रों में भी लगा सकें.

यूपी में सफेद चंदन की खेती का हब बनाने की तैयारी (Photo-Social Media)यूपी में सफेद चंदन की खेती का हब बनाने की तैयारी (Photo-Social Media)
नवीन लाल सूरी
  • LUCKNOW,
  • May 15, 2025,
  • Updated May 15, 2025, 9:41 AM IST

चंदन की खेती की ओर लोगों का रुझान तो हुआ है लेकिन तकनीक की भारी कमी और पेड़ को तैयार होने में लगने वाले लंबे समय के कारण अपेक्षित रूप से इसकी खेती नहीं हो पा रही है, जबकि चंदन की खेती बेहद फायदेमंद है. इसी क्रम में केंद्र सरकार की पहल पर चंदन की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक नई परियोजना लेकर आई है. वन अनुसंधान केंद्र प्रयागराज के प्रमुख संजय सिंह ने इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में बताया कि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड और प्रयागराज को सफेद चंदन की खेती का केंद्र बनाने के उद्देश्य से एक परियोजना शुरू होने वाली है. जिसके तहत एक साल के लिए 27 लाख रुपये का बजट मंजूर हो गया है.

उन्होंने बताया कि वर्तमान में जालौन, गोरखपुर, देवरिया और चित्रकूट जैसे कुछ जिलों में छोटे पैमाने पर किसान सफेद चंदन का उत्पादन कर रहे हैं. लेकिन, इन क्षेत्रों में अब सफेद चंदन की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा.

100 किसानों को दिया जाएगा प्रशिक्षण

संजय सिंह बताते हैं कि यह परियोजना भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद, देहरादून के अधीन प्रयागराज स्थित फॉरेस्ट रिसर्च सेंटर फॉर इको-रिहैबिलिटेशन द्वारा संचालित की जाएगी. उन्होंने बताया कि इस परियोजना की अवधि पांच साल की है, जिसमें चंदन की नर्सरी लगाने से लेकर किसानों को इसकी खेती का प्रशिक्षण देने तक का काम किया जाएगा. इस परियोजना के तहत अनुसंधान केंद्र हर साल 100 किसानों को चंदन की खेती का प्रशिक्षण देगा.

किसानों की आय में तेजी से होगी बढ़ोतरी

वन अनुसंधान केंद्र प्रयागराज के प्रमुख संजय सिंह के अनुसार, किसानों के साथ-साथ नर्सरी तैयार करने वाले वन विभाग के कर्मियों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे वे अपने विभाग की नर्सरी में पौधे उगाने के बाद उन्हें वन क्षेत्रों में भी लगा सकें. इस पहल के तहत किसानों को प्रशिक्षण देकर ऐसे स्थानों का दौरा कराया जाएगा, जहां बड़ी मात्रा में चंदन की सफलतापूर्वक खेती की जा रही है. वहीं बाजार में चंदन के तेल और लकड़ी की भारी मांग है, खासकर यूपी के कन्नौज में इत्र का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है.

एक सर्वे में पाया गया है कि बुंदेलखंड क्षेत्र के प्राकृतिक जंगलों के अंदर चंदन के पेड़ मौजूद हैं. चंदन को हल्दी, रतालू और अरहर जैसे पौधों के साथ उगाया जा सकता है. वहीं आने वाले समय में चंदन की खेती से किसानों की आय में तेजी से बढ़ोतरी होगी. जिसकी खेती से लोग करोड़पति भी बन सकते हैं.

मुनाफेदार साबित होगी चंदन की खेती

चंदन का उपयोग कई चीजों में किया जाता है. इसकी लकड़ी से फर्नीचर, मूर्तियां सहीत कई डेकोरेटिव आइटम्स बनाए जाते हैं. पाउडर का इस्तेमाल सौन्दर्य प्रधान की चीजों को बनाने में, शर्बत बनाने में किया जाता है. पूजा में भी चन्दन की लकड़ी का व्यापार तौर पर उपयोग होता है. यानी चंदन पूरे साल भारी मांग में रहता है. जिसके कारण इसके भाव हमेशा ही बढ़े हुए रहते हैं. इसीकारण यदि आप भी चंदन की खेती करते हैं तो इससे आप करोड़ों का केवल मुनाफ़ा कमा सकते हैं.

चंदन के कई प्रकार

चंदन के चार प्रकार होते हैं. जिसमें से एक है लाल चंदन और दूसरा सफेद चंदन, तीसरा मयूर आयर चौथा नाग चंदन. सफ़ेद चंदन की अपेक्षा लाल चंदन की मांग और दाम बहुत अधिक है. इसीलिए आज हम आपको लाल चंदन की खेती से जुडी जानकारी देने वाले हैं.

कई औषधीय गुणों से भरपूर

चंदन में एंटी बैक्टेरियल प्रॉपर्टी होती है, जिसके कारण त्वचा के रोगों को दूर करने के लिए बड़े स्तर पर इसका उपयोग किया जाता है. दाग-धब्बों और मुहासों के लिए तो घर-घर में चंदन का उपयोग होता है. इतना ही नहीं सूरज की रौशनी से जली हुई त्वचा यानी टैनिंग को भी इससे दूर किया जा सकता है. इसमें घाव को जल्दी भरने के गुण होते हैं. छोटे-मोटे घाव, खरोच पर चंदन का लेप जलाने से जल्दी राहत मिलती है. कैंसर और पंचन तंत्र की बीमारियों से बचने के लिए लाल चंदन का सेवन भी किया जाता है.

विदेशों में अधिक मांग

भारत से ज्यादा लाल चंदन की मांग विदेशों में है. सिंगापुर, जापान ऑस्ट्रेलिया, सहित कई देशों में इसकी मांग है, लेकिन सबसे ज्यादा चीन में लाल चंदन की डिमांड है. जहां इसके लिए महंगा भुगतान किया जाता है. आप इसकी खेती करके अन्तर्राष्ट्रीय तौर पर व्यापार कर सकते हैं.

चंदन की खेती के लिए जरुरी है लाइसेंस

एक बार लाल चंदन के पौधे लगाने के बाद आपको कम से कम 10 से 15 साल का इंतजार करना पड़ता है. तब तक पौधों की उचित देखभाल जरुरी है. पौधा जब अच्छे से विकसित होकर पेड़ बन जाए तब उसकी कीमत लाखों में हो जाती है. इनकी खेती से पहले आपको सरकार से लाइसेंस लेना पड़ता है.

ये भी पढ़ें-

टमाटर, भिंडी, फूलगोभी, बैंगन उगाकर किसान कमा रहा 25 लाख रुपये, नौकरी पेशा को भी दे दी मात 

CM योगी का बड़ा निर्देश, नकली दूध, पनीर, तेल और घी बेचने वालों की हर चौराहों पर लगेंगी तस्वीर

 

MORE NEWS

Read more!