उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है. गन्ना किसान अब तेजी से नई विधि के साथ खेती करके ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश को गन्ने का कटोरा कहा जाता है. आमतौर पर गन्ने की खेती परंपरागत विधियों से ही होती है, लेकिन अब ज्यादातर किसान ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई कर रहे हैं. इस विधि से गन्ने की बुवाई करने पर न सिर्फ उत्पादन बढ़ रहा है, बल्कि सिंचाई में पानी की भी बचत हो रही है. भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिक डॉ. आलोक शिव ने बताया कि ट्रेंच विधि में नाली खोदकर गहराई में गन्ने की बुवाई होती है. भारत के कई राज्यों में इस विधि से बुवाई करने से किसानों को काफी फायदा हुआ है. क्योंकि, इससे लागत में कमी आई है, जबकि उपज में इजाफा हुआ है. उत्तर प्रदेश में अभी भी सामान्य विधि से गन्ने की खेती कर रहे हैं. उन्हें प्रति हेक्टेयर 70 टन का उत्पादन मिलता है लेकिन अगर किसान ट्रेंच विधि से गन्ना लगाता है तो उसे उत्पादन 90 से 100 तक ले सकता है.
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उत्तर प्रदेश में ज्यादातर गन्ना किसान परंपरागत तरीके से गन्ने की खेती करते हैं. वहीं भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के द्वारा किसानों को अब नाली के साथ-साथ कूप विधि से भी बुवाई करके ज्यादा उत्पादन और पानी की बचत भी कर सकते हैं. ट्रेंच विधि में किसानों को 30 सेंटीमीटर गहरी और 30 सेमी चौड़ी नाली बनानी होती है जिसमें एक ट्रेंच से दूसरे ट्रेंच की दूरी 4 फीट रखनी चाहिए. बसंत कालीन गन्ने की बुवाई करते समय दूरी को घटा सकते हैं जबकि अक्टूबर में यह दूरी 4 फीट रखनी चाहिए.
ट्रेंच में सबसे पहले उर्वरक के रूप में यूरिया, डीएपी और पोटाश का प्रयोग करें. प्रति हेक्टेयर 100 किलो यूरिया, 130 किलो डीएपी और 100 किलोग्राम पोटाश को अच्छी तरह से मिलाकर तलहटी पर डाल दें. इससे बीजों का अंकुरण भी अच्छा होता है. वहीं, गन्ने की बुवाई की दूसरी विधि आजकल भी तेजी से प्रचलित हो रही है. इस विधि में गड्ढे के रूप में कूप बनाया जाता है और इसमें गन्ने की बुवाई होती है. इससे पानी की भी बचत होती है. इसके साथ-साथ गन्ने का उत्पादन काफी ज्यादा होता है.
हरदोई जनपद के गन्ना किसान जफर नियाज ने बताया कि उन्होंने ट्रेंच विधि के माध्यम से गन्ने की बुवाई की है. इस विधि में बीज भी कम लगता है और इससे गन्ने की लंबाई 12 फीट तक होती है. इस विधि के माध्यम से बोया गया गन्ना काफी मोटा होता है और जिससे उनका उत्पादन बढ़ जाता है. उन्होंने अपने खेतों में 0238 किस्म का गन्ना लगाया है जिससे अच्छा उत्पादन मिल रहा है. इस विधि के माध्यम से पहले की अपेक्षा अब सिंचाई में पानी की भी बचत होती है.