उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा आलू (Potato) उत्पादक राज्य है. देश के कुल उत्पादन का 35 फ़ीसदी आलू यूपी के किसानों के द्वारा उत्पादित ((Potato Farming) किया जाता है. प्रदेश में आलू उत्पादन के पीछे यहां की जलवायु का बड़ा योगदान है. असल में आलू की फसल 60 दिन के भीतर ही तैयार हो जाती है. वही इस फसल के लिए उपयुक्त जलवायु उत्तर प्रदेश में पाई जाती है. आलू की खेती प्रदेश के 2 दर्जन जिलों में बड़े पैमाने पर होती है. उत्तर प्रदेश में इस साल आलू का उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है. वहीं मंडियों में आलू की आवक बढ़ गई है, जिसके चलते आलू का भाव औंधे मुंह गिर गए हैं. लखनऊ स्थित दुबग्गा मंडी में आलू का भाव ₹6 तक पहुंच चुका है. जबकि किसान ₹4 प्रति किलो तक आलू बेचने को मजबूर है. किसानों को मिल रहे आलू के इस दाम में परिवहन, मजदूर जैसे खर्च भी शामिल हैं.
उत्तर प्रदेश में अभी आलू की खुदाई केवल 30 फीसदी हुई है. जबकि बड़े पैमाने पर आलू की खुदाई होना बाकी है. इसी वजह से आलू के भाव अभी और ज्यादा नीचे आने की संभावना है.
लखनऊ की मंडियों में इन दिनों स्थानीय आलू के साथ-साथ हरदोई और कन्नौज जनपद से आलू की खेप लगातार पहुंच रही है. मंडी में आलू बेचने वाले व्यापारी बताते हैं कि अभी आलू के दामों में और गिरावट होगी. क्योंकि आलू की अभी सबसे ज्यादा खुदाई बाकी है. वही मंडी में आलू बेचने वाले किसान रामकिशन ने बताया कि आलू सस्ता बिके या महंगा बेचना उनकी मजबूरी है क्योंकि आलू की खुदाई जल्दी करने के बाद वह अगली फसल की तैयारी भी उन्हें करनी है. अगेती आलू की खेती करने के बाद ज्यादातर किसान गेहूं की बुवाई करने के लिए खेतों को खाली कर रहे हैं. इसी वजह से वे अच्छे भाव के इंतजार में अपना नुकसान नहीं कर सकते हैं.
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उत्तर प्रदेश की मंडियों में जहां आलू की आवक काफी ज्यादा बढ़ गई है, जिसके चलते आलू के भाव लगातार गिर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ फुटकर में आलू की कीमतों में कमी नहीं आ रही है. लखनऊ की मंडी में जहां आलू 6 से ₹7 प्रति किलो बिक रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अभी भी फुटकर विक्रेता ₹15 किलो के भाव से आलू बेच रहे हैं जबकि इस बढ़े हुए फुटकर भाव पर किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा है. इसका फायदा छोटे दुकानदार ही उठा रहे हैं.