बेशक बाजारों में आम की खेप पहुंच चुकी है. जिसमें अभी तक देश के दक्षिणी हिस्सों से आम बाजारों में पहुंचा है, जिसका स्वाद दशहरी, लंगड़ा और चौसा के मुकाबले कुछ भी नहीं है. महाराष्ट्र के रत्नागिरी क्षेत्र में पैदा होने वाला अल्फांसो और केसर आम भी अब बाजार में पहुंच चुका है. जिनके दाम सामान्य से बहुत अधिक हैं. हालांकि सीजन की शुरुआत में आम के दाम अधिक ही रहते हैं, लेकिन इस बार पीक सीजन में भी आम के अधिक रहने की उम्मीद है. कुल मिलाकर आम के चाहने वालों को इस बार अपनी जेब को कुछ ज्यादा ही ढीला करना पड़ सकता है. जिसका मुख्य कारण है कि उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से में आम की फसल को बेमौसम बारिश ने प्रभावित किया है.
असल में उत्तर प्रदेश में कुल 15 फल पट्टियां है, जो 13 जिलों में फैली हुई है. इस बार सबसे बड़ी फल पट्टी के रूप में मलिहाबाद और काकोरी के दशहरी आम को बेमौसम बारिश से काफी ज्यादा नुकसान हुआ है. ओलावृष्टि के चलते आम के बाग को सबसे अधिक प्रभावित किया है. प्रदेश की आम उत्पादक जिलों में 25 से 30 फ़ीसदी तक फसल को नुकसान पहुंचा है, जिसका असर आम के उत्पादन पर पड़ सकता है. आम उत्पादकों के द्वारा यह आशंका जताई जा रही है कि इस बार आम की कीमतें अधिक रह सकती हैं .
पूरे देश में आम का सबसे ज्यादा उत्पादन उत्तर प्रदेश में ही होता है. उत्तर प्रदेश में देश के कुल आम उत्पादन का 25 फ़ीसदी उत्पादन होता है. प्रदेश में बनारसी लगड़ा ,दशहरी और चौसा जैसे बेशकीमती आम है, जिनका स्वाद कुछ खास है. हालांकि यह आम अभी बाजार में 1 महीने तक नहीं दिखाई देंगे क्योंकि पेड़ों पर इनकी फसल तैयार हो रही है. लखनऊ की मलिहाबाद, काकोरी फल पट्टी में दशहरी आम और मेरठ के फल पट्टी में चौसा आम की फसल (mango crop) को बारिश और ओलावृष्टि ने काफी नुकसान पहुंचाया है, जिसके चलते इस बार उत्पादन में काफी ज्यादा गिरावट भी देखने को मिलेगी. पद्मश्री से सम्मानित मैंगो मैन कहे जाने वाले कलीमुल्लाह खान ने किसान तक को बताया कि अपने जीवन काल में इस बार जैसा आम का बौर नहीं देखा था, लेकिन बेमौसम बारिश और ओले की वजह से आम की फसल की यह बौर गिर गए, जिससे उत्पादन पर बड़ा असर दिखेगा. इस बार आम की कीमतें कुछ ज्यादा ही होंगी.
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बेमौसम बारिश के चलते आम के फूल फफूद के चलते संक्रमित हो गए हैं. वही इस फसल पर बौर ब्लाइट और पाउडर फफूंदी जैसे रोगों से आम के बौर को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. फफूंद के चलते आम के छोटे फल भी गिरने लगे हैं. आम उत्पादक किसान बेमौसम बारिश और फूलों पर लगने वाले रोग से काफी ज्यादा परेशान है. फफूंद के कारण आम की फसल पर दाग पड़ जाते हैं, जिससे किसानों को अच्छे दाम नहीं मिलते हैं. वहीं किसान बहुत कीटनाशक दवाओं का छिड़काव लगातार कर रहे हैं, जिससे नुकसान को कम किया जा सके. कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार आम के किसान( जिंग बोरान और मैग्नीज ) का छिड़काव करके फसल की गुणवत्ता को बेहतर बनाने का प्रयास भी कर रहे हैं.
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