उत्तर प्रदेश में मक्का की खेती को मिलेगा बढ़ावा, उत्पादन बढ़ाने के लिए करोड़ों का बजट, जानिए योजना

उत्तर प्रदेश में मक्का की खेती को मिलेगा बढ़ावा, उत्पादन बढ़ाने के लिए करोड़ों का बजट, जानिए योजना

Maize Cultivation in UP: कृषि निदेशक डॉ. पंकज कुमार त्रिपाठी के मुताबिक, वर्तमान में प्रदेश में मक्का का क्षेत्रफल 10.85 लाख हेक्टेयर, उत्पादन 30.55 मीट्रिक टन तथा औसत उत्पादकता 28.15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. चूंकि प्रदेश का मुख्य फसल चक्र धान-गेहूं होने के कारण प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन, मृदा स्वास्थ्य खराब होने, खेती की लागत बढ़ने और किसानों को कम लाभ प्राप्त होने जैसी समस्याएं आ रही हैं.

17 दिसंबर को कानपुर में आयोजित की जाएगी मक्का की राज्य स्तरीय कार्यशाला17 दिसंबर को कानपुर में आयोजित की जाएगी मक्का की राज्य स्तरीय कार्यशाला
नवीन लाल सूरी
  • LUCKNOW,
  • Dec 16, 2025,
  • Updated Dec 16, 2025, 5:20 PM IST

मक्का एक ऐसी फसल है जिसे साल में तीन बार उगाया जा सकता है. यह हर मौसम में उगाई जा सकती है और अब इसके इस्तेमाल और मांग में काफी बढ़ोतरी भी हुई है. वहीं योगी सरकार प्रदेश में मक्का की खेती को प्रोत्साहन दे रही है. इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित 'त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम' योजनान्तर्गत राज्य स्तरीय मक्का की कार्यशाला/प्रदर्शनी का आयोजन 17 दिसंबर 2025 को सुबह 10:30 बजे से शताब्दी भवन सभागार, हरकोर्ट बटलर तकनीकी विश्वविद्यालय, कानपुर में किया जाएगा. इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही होंगे.

75 जनपदों में संचालित होगा मक्का विकास कार्यक्रम

बता दें कि उत्तर प्रदेश का देश में मक्का के अन्तर्गत क्षेत्रफल की दृष्टि से चौथा स्थान है, और यह कार्यशाला प्रदेश में मक्का की खेती के प्रोत्साहन देने की एक योजना है, जो चार वर्षों (2024-25 से 2027-28 तक) के लिए संचालित है. प्रदेश के कृषि निदेशक डॉ. पंकज कुमार त्रिपाठी ने बताया कि योजना का कुल खर्च ₹14656.45 करोड़ है तथा यह सम्पूर्ण 75 जनपदों में संचालित होगी. वर्तमान में मक्का की खेती के प्रोत्साहन हेतु भारत सरकार के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के कोर्स के तहत मक्का फसल के लिए मात्र 13 जनपद चयनित हैं.

स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न जैसे उत्पादों की बढ़ी मांग

उन्होंने बताया कि मक्का का उपयोग मुख्य रूप से पोल्ट्री फीड, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, एनीमल फीड, स्टार्च और एथेनॉल उत्पादन आदि के लिए किया जाता है. इसके अलावा, प्रदेश में बढ़ते धार्मिक पर्यटन और औद्योगिकीकरण के कारण होटल उद्योग में स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न जैसे उत्पादों की मांग बढ़ रही है. प्रदेश में मक्का का उत्पादन खरीफ, रबी एवं जायद तीनों सीजन में होता है, हालांकि मक्का के लिए खरीफ मुख्य सीजन है.

प्रदेश में मक्का का उत्पादन  30.55 मीट्रिक टन

कृषि निदेशक डॉ. पंकज कुमार त्रिपाठी के मुताबिक, वर्तमान में प्रदेश में मक्का का क्षेत्रफल 10.85 लाख हेक्टेयर, उत्पादन 30.55 मीट्रिक टन तथा औसत उत्पादकता 28.15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. चूंकि प्रदेश का मुख्य फसल चक्र धान-गेहूं होने के कारण प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन, मृदा स्वास्थ्य खराब होने, खेती की लागत बढ़ने और किसानों को कम लाभ प्राप्त होने जैसी समस्याएं आ रही हैं, इसलिए मक्का ऐसी फसल है जिसको बढ़ावा देकर इन समस्याओं का काफी हद तक समाधान पाया जा सकता है.

अंतर्गत उन्नत तकनीकी प्रदर्शन के लिए अनुदान

डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि प्रदेश में रबी एवं जायद सीजन में मक्का अन्तर्गत आच्छादन, उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि किए जाने की पर्याप्त संभावनाएं हैं. उन्होंने बताया कि वर्ष 2025-26 में योजना में ₹27.37 करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा. योजना के अंतर्गत उन्नत तकनीकी प्रदर्शन के तहत विभिन्न अनुदान दिए जाते हैं. देसी मक्का पर ₹3,000 प्रति एकड़ अनुदान, संकर मक्का प्रदर्शन के लिए ₹4,600 प्रति एकड़ अनुदान, पॉपकॉर्न मक्का प्रदर्शन के लिए ₹4,600 प्रति एकड़ अनुदान, बेबी कॉर्न मक्का प्रदर्शन के लिए ₹16,000 प्रति एकड़ अनुदान, और स्वीट कॉर्न मक्का प्रदर्शन के लिए  ₹20,000 प्रति एकड़ अनुदान दिया जाएगा.

किसानों को कराया जाएगा भ्रमण

वहीं सामान्य संकर बीज वितरण पर ₹15,000 प्रति क्विंटल पर अनुदान देय है. मेज शेलर यंत्र पर मूल्य का 50 प्रतिशत या ₹40,000 (जो भी कम हो) अनुदान देय है. बैच ड्रायर पर मूल्य का 80 प्रतिशत या ₹15,00,000 (जो भी कम हो) (सक्रिय एफपीओ) को अनुदान देय है. कृषि निदेशक डॉ. पंकज कुमार त्रिपाठी ने आगे बताया कि पॉपिंग मशीन पर मूल्य का 50 प्रतिशत या ₹10,000 (जो भी कम हो) अनुदान देय होगा. योजना में किसानों को मक्का की खेती के लिए प्रोत्साहित के लिए गोष्ठियों, मेलों, कार्यशालाओं तथा प्रदेश के अंदर एवं बाहर भ्रमण कराया जाता है.

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