गन्ने की सूखी पत्ती और फसल अवशेषों को खेत में करें डी-कम्पोज, जानिए कैसे बढ़ेगी पैदावार

गन्ने की सूखी पत्ती और फसल अवशेषों को खेत में करें डी-कम्पोज, जानिए कैसे बढ़ेगी पैदावार

Sugarcane Farmers News: इससे पहले बागपत के हिसावदा गांव में बुधवार को हुई कृषि चौपाल में करीब 350 किसान शामिल हुए और उन्होंने खुलकर अपने अनुभव, सुझाव और समस्याएं साझा की. योगी सरकार का कहना है कि चौपालों के परिणामस्वरूप गन्ना मिलों की क्षमता विस्तार, सीबीजी संयंत्रों की स्थापना और एथेनॉल उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. 

गन्ने की सूखी पत्तियों से किया गया ट्रैश मल्चिंगगन्ने की सूखी पत्तियों से किया गया ट्रैश मल्चिंग
क‍िसान तक
  • LUCKNOW,
  • Dec 04, 2025,
  • Updated Dec 04, 2025, 10:16 AM IST

उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन के साथ-साथ चीनी उत्पादन में भी देश में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. क्योंकि  पश्चिमी और पूर्वी यूपी में ज्यादातर किसान गन्ना की खेती करते है. इसी क्रम में उप्र गन्ना विकास विभाग के वैज्ञानिकों ने गन्ने की सूखी पत्तियों को खेत में ही डी-कम्पोज किया जाना सर्वाधिक हितकर बताया है. विभाग ने प्रदेश में गन्ना उत्पादक जिलों के समस्त किसानों को जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं. यह स्पष्ट है कि गन्ने की सूखी पत्तियों को जलाने से प्रदूषण बढ़ता है तथा पर्यावरण को नुकसान होता है साथ ही मिट्टी की उर्वरता भी प्रभावित होती है.

पर्यावरण के साथ ही बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरा शक्ति

इसलिए गन्ना किसान, गन्ना कटाई के बाद सूखी पत्ती एवं फसल अवशेषों को जलाने की अपेक्षा ट्रैश मल्चर एवं एमवी प्लाऊ का उपयोग कर गन्ने की सूखी पत्तियों एवं फसल अवशेष का प्रबंधन अवश्य करें. फसल अवशेषों के उपयोग से मिट्टी के पोषक तत्व वापस मिट्टी में मिल जाते हैं और खेतों की मिट्टी अधिक उपजाऊ बनी रहती है.

ट्रैश मल्चर और एमवी प्लाऊ का प्रयोग 

गन्ना आयुक्त ने प्रदेश के सभी उप गन्ना आयुक्तों, जिला गन्ना अधिकारियों एवं चीनी मिलों को कृषक गोष्ठी एवं कृषक मेला, पम्फलेट, वॉल पेंटिंग, समाचार पत्रों के माध्यम से किसानों को जागरूक करने तथा फार्म मशीनरी बैंकों के माध्यम से रैटून मैनेजमेंट डिवाइस (RMD) ट्रैश मल्चर एवं एमवी प्लाऊ उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है. गन्ने की सूखी पत्तियों से किया गया ट्रैश मल्चिंग गन्ने की पैदावार बढ़ाता है, साथ ही मिट्टी की उर्रवरता को भी मजबूत बनाता है.

उल्लेखनीय है कि विभागीय प्रयासों के फलस्वरूप बीते वर्षों के सापेक्ष इस वर्ष गन्ने की सूखी पत्तियों एवं अवशेषों को जलाए जाने की घटनाएं सामने नही आई हैं. प्रदेश में कहीं भी गन्ने के सूखी पत्ती जलाने की घटना प्रकाश न आये, ऐसा प्रयास विभाग के कार्मिक व अधिकारियों द्वारा किया जाना चाहिए.

बागपत के हिसावदा गांव में किसानों ने लगाई चौपाल

इससे पहले बागपत के हिसावदा गांव में बुधवार को हुई कृषि चौपाल में करीब 350 किसान शामिल हुए और उन्होंने खुलकर अपने अनुभव, सुझाव और समस्याएं साझा की. योगी सरकार का कहना है कि चौपालों के परिणामस्वरूप गन्ना मिलों की क्षमता विस्तार, सीबीजी संयंत्रों की स्थापना और एथेनॉल उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. वर्ष 2017 में 61 एथेनॉल आसवनी थीं, जो 2025 में बढ़कर 97 हो गई हैं, और चार नई पाइपलाइन में प्रस्तावित हैं.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिली मजबूती

एथेनॉल उत्पादन 41.28 करोड़ लीटर से बढ़कर 182 करोड़ लीटर तक पहुंचा है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष मजबूती मिली है. वहीं भुगतान व्यवस्था में भी सुधार हुआ है. बता दें कि 2007 से 2017 के बीच गन्ना भुगतान 1,47,346 करोड़ था, जबकि 2017 से अब तक यह बढ़कर 2,90,225 करोड़ हो गया है. वर्ष 2016-17 में गन्ना क्षेत्रफल 20 लाख हेक्टेयर था, जो वर्तमान में 29.51 लाख हेक्टेयर हो गया है.

किसानों को 3,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ

वर्तमान गन्ना मूल्य अगेती किस्म के लिए 400 रुपये प्रति क्विंटल और सामान्य किस्म के लिए 390 रुपये प्रति क्विंटल प्रस्तावित है, जिससे किसानों को 3,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ मिलेगा. 

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